देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को लखनऊ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. दोनों के बीच परिसंपत्तियों के जुड़े विवाद को लेकर चर्चा हुई. इस बैठक में कई मुद्दों पर दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी, वहीं कई मसले अभी भी लटके हुए है. सीएम धामी के इस यूपी दौरे को कांग्रेस सैर सपाटा बताया है.
दरअसल, उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का विवाद चल रहा है. इस मसले का अभीतक कोई हल नहीं किया है. हालांकि इस पहले भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई स्थाई समाधान नहीं निकला. हालांकि गुरुवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच इस मसले पर काफी लंबी बैठक हुई. वहीं इस बैठक को लेकर कांग्रेस पर बीजेपी पर तंज कसा है.
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि 2017 में जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दोनों ही जगहों रप बीजेपी को प्रचंड बहुमत हासिल किया था. योगी को यूपी का और त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखंड का सीएम बनाया गया था. सीएम बनने के बाद योगी केदारनाथ और बदरीनाथ आए थे, तब भी दोनों मुख्यमंत्रियों ने एक बड़ी प्रेस वार्ता कर परिसंपत्तियों के मामलों को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सब सुलझ गया है, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस रही और एक भी मामला नहीं सुलझ पाया. अब जब चुनाव आने वाले हैं तो एक बार फिर से परिसंपत्तियों को लेकर ढोंग किया जा रहा है.
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वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि सीएम धामी का उत्तर प्रदेश के दौरे से उत्तराखंड को कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. उन्होंने कहा सीएम धामी केवल सैर सपाटे के लिए लखनऊ गए थे और इस दौरे से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है.
बीजेपी सरकार ने गंवा दिया मौका: कांग्नेस का कहना है कि तीनों मोर्चों पर मौजूद भाजपा सरकार से लोगों की काफी उम्मीदें थी. लेकिन जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां 2017 विधानसभा चुनाव के बाद तीनों मोर्चों पर बनी थी, उसके बाद यह उम्मीद करना भी बेहद लाजमी था कि कुछ हो न हो. लेकिन यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के मामले सुलझ पाएंगे. लेकिन अब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में दोबारा से विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वापस वहीं परिस्थितियां बनेगी. जोकि पिछली बार बनी थी. लेकिन एक बड़ा मौका परिसंपत्तियों के बंटवारे पर अगर इस बार भाजपा नहीं बना पाती है तो यह भाजपा की सबसे बड़ी नाकामी होगा.