देहरादूनः उत्तराखंड में महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस ने हल्द्वानी के संप्रेक्षण गृह की किशोरी के साथ दुष्कर्म की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. कांग्रेस का कहना है कि हल्द्वानी में बीते 3 महीने के भीतर तीन प्रकरण सामने आ चुके हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है मानो शासन प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है.
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देहरादून में प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता @garimadasauni जी ने महिला उत्पीडन के बढते मामलो और हल्द्वानी में तीन महीने में तीन बडी घटनाएं होने के बावजूद प्रशासन के मौन रहने को लेकर पत्रकार वार्ता कर भाजपा सरकार को आढे हाथो लिया।#BJPGovernment_jawab_do #Haldwani… pic.twitter.com/DT231Ugm0G
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कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने हल्द्वानी जेल में मिले 55 कैदियों की एचआईवी संक्रमित होने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि अगस्त महीने में हल्द्वानी जेल में 55 कैदियों की एचआईवी संक्रमित होने की बात सामने आई. इसके बाद भी वहां का शासन प्रशासन हरकत में नहीं आया. इसी तरह अक्टूबर महीने में काठगोदाम स्थित मूक बधिर और दृष्टि बाधित बच्चों की आवासीय संस्था में बच्चों के साथ कई दिनों से यौन शोषण होता रहा. बोलने, सुनने और देखने में असमर्थ मासूम बच्चों ने अपनी ही संस्था के संचालक पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए.
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उन्होंने कहा कि संस्था का संचालक वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम बताई जा रही है, उनके साथ दुष्कर्म करता रहा, लेकिन संचालक की प्रदेश के बड़े नेताओं और अधिकारियों में गहरी पैठ होने की वजह से उन बच्चों की आवाज दब कर रह गई. गरिमा ने ताजा मामला भी उठाया. उन्होंने कहा कि हल्द्वानी के संप्रेक्षण गृह में एक नाबालिग बच्ची के साथ बीते कई दिनों से दुष्कर्म होता रहा और इस कार्य को संरक्षण गृह में कार्यरत दो महिलाएं अंजाम दे रही थी. जो बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.
गरिमा ने कहा कि सभी घटनाएं तीन से चार महीनों के भीतर हुई है. उन्होंने आशंका जताई कि अभी तो संप्रेक्षण गृह की मात्र एक बच्ची ने अपनी आपबीती बताई है, लेकिन यह भी हो सकता है कि न जाने कितनी नाबालिग बच्चियों के साथ इस तरह का उत्पीड़न हो रहा होगा. यदि पहले ही शासन और प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेता और सख्त कार्रवाई की होती तो ऐसे मामले सामने नहीं आते. हल्द्वानी में अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे लगातार मजबूत होते चले जा रहे हैं, जिस पर लगाम लगाई जाए.