देहरादून: राजधानी में बीती रात बारिश आफत बनकर बरसी. भारी बारिश के कारण नेशविला रोड स्थित चुक्खुवाला में एक इमारत ढहने से चार लोगों की मौत हो गई. जिसमें 3 महिलाएं और एक 8 साल की बच्ची शामिल है. घटना के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने घटना पर दु:ख जताते हुए सरकारी नियमों के तहत मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान किया है. वहीं, कांग्रेस इस मामले को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है. कांग्रेस का कहना है कि जब पीड़ित परिवार के कोई बड़ा बचा ही नहीं तो सरकार किसे मुआवजे देगी. कांग्रेस ने सरकार से खतरे की जद में आ रही तमाम मलिन बस्तियों का व्यापक सर्वेक्षण और लोगों के पुनर्वास की मांग की है.
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कांग्रेस पहले से ही मांग करती आई है कि बरसात से पहले सरकार और नगर निगम व्यापक स्तर पर मलिन बस्तियों का सर्वेक्षण करें. उन्होंने कहा कि बाढ़ और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में खतरे की जद में रह रहे लोगों के बचाव के साथ ही उनके पुनर्वास का इंतजाम होना चाहिए. मगर सरकार है कि उसकी नींद घटना घट जाने के बाद ही टूटती है. उन्होंने कहा इस घटना में चार मौतें नहीं बल्कि 5 मौतें हुई हैं, क्योंकि बिल्डिंग में दबकर एक गर्भवती महिला की भी मौत हुई है.
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सरकार ऐसे में किनको मुआवजा देने जा रही है, जबकि परिवार के बड़े लोग इस हादसे में अपनी जान गंवा चुके हैं. धस्माना ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है कि जब इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं. इससे पहले भी इंदिरा नगर चुक्खुवाला में कई हादसे हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस सरकार से मांग करती है कि देहरादून की तमाम मलिन बस्तियों, बिंदाल, रिस्पना खाले-नालों में बस ऐसे लोगों का व्यापक सर्वेक्षण कराकर उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए.
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वहीं, इस हादसे में घायल चकराता के रिखाड़ गांव के रहने वाले शांति का रो-रोकर बुरा हाल है. इस घटना में अपनी गर्भवती पत्नी और अपनी बहन को गंवा चुके शांति का कहना है कि भगवान को उन्हें भी नहीं बचाना चाहिए था. शांति के मुताबिक, भारी बारिश के चलते पुश्ता ढहने से मकान भी मलबे में तब्दील हो गया. कोरोनेशन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती शांति का कहना है कि भारी बारिश ने किसी को बचने तक का मौका नहीं दिया.