देहरादून: प्रदेश की भाजपा सरकार ने गांवों में कैबिनेट बैठक (cabinet meeting in village) करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि अब जबकि नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव निकट हैं, ऐसे में अब भाजपा को प्रवास करने की याद आई है.
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि 6 साल से भाजपा सरकार प्रदेश की सत्ता में काबिज है. जब पिछली सरकार में सुबोध उनियाल कैबिनेट मिनिस्टर थे, उस दौरान जनता दरबार में हल्द्वानी के एक व्यापारी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. तब सभी मंत्री और विधायक घबरा गए थे और तब से लेकर अब तक राज्य में लोग जनता दरबार के लिए तरस गए हैं. लेकिन अब जबकि नगर निगम और लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं, भाजपा को जिले प्रवास और गांवों में चौपालें लगाने की याद आई है.
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी (Congress spokesperson Garima Dasouni) का कहना है कि 2015 में कांग्रेस ने गांव में चौपाल लगाकर छोड़ दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के के कामों का अनुसरण कर रहे हैं. इधर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर चौहान का कहना है कि गांवों में कैबिनेट बैठक और चौपाल लगाने का मुख्य उद्देश्य अंतिम छोर के व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाना है. उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माणा में आकर कहा था कि माणा कोई अंतिम गांव नहीं है, बल्कि प्रथम गांव है उसी परिप्रेक्ष्य में सोचने की जरूरत है.
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने यह तय किया है कि प्रदेश के सुदूरवर्ती गांव में जाकर कैबिनेट की बैठक करवाई जाए. साथ ही वहां चौपाल लगाकर ग्रामीण क्षेत्रों की विकास योजना तय की जाएं. बता दें कि मुख्यमंत्री का कहना है कि ग्राम पंचायतों का सुनियोजित विकास हो सके, इसके लिए चौपाल लगाई जाए. उनका कहना है कि राज्य के समग्र विकास के लिए गांव के विकास पर विशेष फोकस किया जाए. इसके साथ ही गांवों के विकास के लिए किसी गांव में एक कैबिनेट बैठक आयोजित की जाए, जिसमें गांवों के विकास से संबंधित प्रस्ताव हों.