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लोकसभा चुनाव के बाद बजेगी निकाय चुनाव की रणभेरी! कांग्रेस ने खड़े किये सवाल, सरकार को घेरा - Congress on Uttarakhand civic elections

civic elections in uttarakhand उत्तराखंड में निकाय चुनाव में हो रही देरी पर कांग्रेस लगातार धामी सरकार को घेर रही है. निकायों के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद डीएम निकायों पर प्रशासक नियुक्त हो गये हैं. इस पर अब कांग्रेस ने धामी सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं.

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लोस चुनाव के बाद बजेगी निकाय चुनाव की रणभेरी!
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 6, 2023, 11:41 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में तय समय पर नगर निकाय चुनाव नहीं करने पर सभी निकाय प्रशासकों के हवाले कर दिये गये हैं. इसके बाद माना जा रहा है कि अब लोकसभा चुनाव के बाद ही नगर निकाय चुनाव की रणभेरी बजेगी. निकाय चुनावों में देरी के मामले पर कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि भाजपा के लिए प्रदेश में स्थितियां अनुकूल नहीं थी, जिसके कारण निकाय चुनाव टाले गये हैं.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने निकाय चुनाव नहीं कराये जाने को लेकर सरकार पर प्रहार किया. उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा भाजपा के लिए प्रदेश में स्थितियां अनुकूल नहीं थी. अंकिता भंडारी हत्याकांड, पटवारी पेपर लीक, केदारनाथ में सोने की परत के मामलों को लेकर भाजपा बैक फुट पर है. उन्होंने कहा भाजपा अपनी नेगेटिविटी को हमेशा प्रॉफिट में कन्वर्ट करने में कामयाब रहती है. इसका लाभ लेते हुए भाजपा ने इलेक्शन पीछे कर दिए हैं.

पढ़ें- निकायों के लिए अधिसूचना जारी, डीएम नियुक्त हुए प्रशासक

वहीं, कांग्रेस के नगर निकाय प्रभारी वीरेंद्र पोखरियाल ने कहा कि भाजपा ने हार की आशंका के चलते चुनाव टाल दिए हैं. उन्होंने कहा सरकार का तर्क है कि पिछड़ा वर्ग का आरक्षण एनालिसिस का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. जिसके चलते निकाय चुनाव टाले गए हैं. यह बात बिल्कुल निराधार है. संविधान में इस बात का उल्लेख है कि 6 माह पहले ही यह प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन किस वजह से सरकार ने सभी नगर निकाय प्रशासकों के हवाले कर दिए हैं.

पढ़ें- 'सरकार' के गेम प्लान पर संशय! दुग्ध संघ चुनाव में तेजी, कोऑपरेटिव इलेक्शन पर साधी 'चुप्पी'

बता दें प्रदेश के 97 नगर निकायों का 5 वर्षीय कार्यकाल 1 दिसंबर को समाप्त हो गया है. राज्य में 97 नगर निकायों के चुनाव 2018 में हुए थे, जबकि प्रदेश में आठ नगर निगम हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में तय समय पर नगर निकाय चुनाव नहीं करने पर सभी निकाय प्रशासकों के हवाले कर दिये गये हैं. इसके बाद माना जा रहा है कि अब लोकसभा चुनाव के बाद ही नगर निकाय चुनाव की रणभेरी बजेगी. निकाय चुनावों में देरी के मामले पर कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि भाजपा के लिए प्रदेश में स्थितियां अनुकूल नहीं थी, जिसके कारण निकाय चुनाव टाले गये हैं.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने निकाय चुनाव नहीं कराये जाने को लेकर सरकार पर प्रहार किया. उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा भाजपा के लिए प्रदेश में स्थितियां अनुकूल नहीं थी. अंकिता भंडारी हत्याकांड, पटवारी पेपर लीक, केदारनाथ में सोने की परत के मामलों को लेकर भाजपा बैक फुट पर है. उन्होंने कहा भाजपा अपनी नेगेटिविटी को हमेशा प्रॉफिट में कन्वर्ट करने में कामयाब रहती है. इसका लाभ लेते हुए भाजपा ने इलेक्शन पीछे कर दिए हैं.

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वहीं, कांग्रेस के नगर निकाय प्रभारी वीरेंद्र पोखरियाल ने कहा कि भाजपा ने हार की आशंका के चलते चुनाव टाल दिए हैं. उन्होंने कहा सरकार का तर्क है कि पिछड़ा वर्ग का आरक्षण एनालिसिस का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. जिसके चलते निकाय चुनाव टाले गए हैं. यह बात बिल्कुल निराधार है. संविधान में इस बात का उल्लेख है कि 6 माह पहले ही यह प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन किस वजह से सरकार ने सभी नगर निकाय प्रशासकों के हवाले कर दिए हैं.

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बता दें प्रदेश के 97 नगर निकायों का 5 वर्षीय कार्यकाल 1 दिसंबर को समाप्त हो गया है. राज्य में 97 नगर निकायों के चुनाव 2018 में हुए थे, जबकि प्रदेश में आठ नगर निगम हैं.

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