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सरकार और शराब माफिया के बीच टेबल के नीचे हुआ गुप्त समझौता- प्रीतम सिंह - प्रीतम सिंह नई आबकारी नीति के खिलाफ

कांग्रेस ने नई आबकारी नीति पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का मानना है कि सरकार को आखिर साल में दो सालों की नीति निर्धारण करने का कोई अधिकार नहीं है. ये सब शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए हो रहा है.

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प्रीतम सिंह
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Published : Feb 2, 2021, 4:40 PM IST

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी. इसके तहत शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी की जगह अब दो साल के लिए ई-टेंडरिंग से होगा. नई आबकारी नीति पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि नई आबकारी नीति पर सरकार और शराब माफिया के बीच टेबल के नीचे गुप्त समझौता हुआ है.

कांग्रेस ने किया नई आबकारी नीति का विरोध

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि वो शुरुआत से ही कह रहे हैं कि इस प्रदेश को सरकार नहीं, बल्कि खनन, भू और शराब माफिया चला रहे हैं. नई आबकारी नीति में शराब माफिया और सरकार का गठजोड़ सामने आ आ गया है. इससे पहले भी प्रदेश में एक साल के लिए आबकारी नीति बनाई जाती रही है और उसी के अनुसार शराब की दुकानों का आवंटन किया जाता रहा है. लेकिन इस समय सरकार को 2 साल की नीति बनाने का अब नैतिक अधिकार नहीं है.

पढ़ें- नई आबकारी नीति पर हरदा का तंज, कहा- 'भाजपाई कद्दू काटते हैं और फिर बांटते हैं'

प्रीतम सिंह ने कहा कि जब इस सरकार की 2022 में विदाई तय है तो ये 2023 तक के लिए कैसे आबकारी नीति बना सकती है. आबकारी नीति का सीधा संबंध राज्य के राजस्व से होता है. इसलिए सरकार को आखिर साल में दो सालों की नीति निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है. कांग्रेस नई आबकारी नीति का विरोध करती है. अगर 2022 में कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस आबकारी नीति को निरस्त करेगी.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी नई आबकारी नीति का विरोध किया था. उन्होंने इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि जिस प्रदेश को उन्होंने शराब माफिया के हाथों से बाहर निकाला था, उसे त्रिवेंद्र सरकार एक बार फिर माफिया के हाथों में देने जा रही है.

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी. इसके तहत शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी की जगह अब दो साल के लिए ई-टेंडरिंग से होगा. नई आबकारी नीति पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि नई आबकारी नीति पर सरकार और शराब माफिया के बीच टेबल के नीचे गुप्त समझौता हुआ है.

कांग्रेस ने किया नई आबकारी नीति का विरोध

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि वो शुरुआत से ही कह रहे हैं कि इस प्रदेश को सरकार नहीं, बल्कि खनन, भू और शराब माफिया चला रहे हैं. नई आबकारी नीति में शराब माफिया और सरकार का गठजोड़ सामने आ आ गया है. इससे पहले भी प्रदेश में एक साल के लिए आबकारी नीति बनाई जाती रही है और उसी के अनुसार शराब की दुकानों का आवंटन किया जाता रहा है. लेकिन इस समय सरकार को 2 साल की नीति बनाने का अब नैतिक अधिकार नहीं है.

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प्रीतम सिंह ने कहा कि जब इस सरकार की 2022 में विदाई तय है तो ये 2023 तक के लिए कैसे आबकारी नीति बना सकती है. आबकारी नीति का सीधा संबंध राज्य के राजस्व से होता है. इसलिए सरकार को आखिर साल में दो सालों की नीति निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है. कांग्रेस नई आबकारी नीति का विरोध करती है. अगर 2022 में कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस आबकारी नीति को निरस्त करेगी.

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी नई आबकारी नीति का विरोध किया था. उन्होंने इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा था कि जिस प्रदेश को उन्होंने शराब माफिया के हाथों से बाहर निकाला था, उसे त्रिवेंद्र सरकार एक बार फिर माफिया के हाथों में देने जा रही है.

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