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उत्तराखंड में आसान नहीं UCC की राह! कांग्रेस ने गिनाईं पेचीदगियां, धामी सरकार को घेरा - कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी

uniform civil code उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस का कहना है कि धामी सरकार अपनी इच्छानुसार यूसीसी उत्तराखंड पर थोपना चाहती है. कांग्रेस ने कहा कि यूसीसी केंद्र का मुद्दा है.

Congress spokesperson Garima Dasouni
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 11, 2023, 9:35 PM IST

Updated : Nov 11, 2023, 9:55 PM IST

मन मुताबिक यूसीसी थोपना चाहती है धामी सरकार-कांग्रेस

देहरादूनः उत्तराखंड में जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने की चर्चा जोरों पर है. चर्चा है कि जल्द ही धामी सरकार विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर सकती है. यूसीसी का ड्राफ्ट रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक कमेठी द्वारा तैयार किया गया है. सियासी गलियारों में चल रही इस चर्चा के बाद उत्तराखंड कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है.

मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि यदि यूसीसी देश हित में है तो फिर धामी सरकार को केंद्र सरकार से इसे पूरे देश में लागू करवाना चाहिए. क्योंकि उत्तराखंड देश से अलग नहीं है. यूसीसी का मतलब ही यूनिफॉर्मिटी यानी सभी नागरिकों में एकरूपता है. दसौनी ने कहा यदि यूसीसी उत्तराखंड में लागू हो भी जाएगा और देश में नहीं तो इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ेगा. देखा जाए तो यूसीसी केंद्र का मुद्दा है और यदि भविष्य में केंद्र सरकार देश में यूसीसी लाती है तो उस सूरत में उत्तराखंड का यूसीसी ठंडे बस्ते में चला जाएगा.

यूसीसी पर सरकार ने बदले बयान: उन्होंने आगे कहा कि पहले दिन से धामी सरकार यूसीसी के मामले में गंभीर नहीं दिखाई दे रही है. यूसीसी को लेकर कई बार सरकार के बयान बदले हैं. कमेटी भी अपना ड्राफ्ट बहुत पहले सरकार को सौंप चुकी थी. लेकिन शायद ड्राफ्टिंग सरकार के मन मुताबिक नहीं हो पाया. इस वजह से इसका पुनः अवलोकन किया गया.

करना माहरा ने लिखी चिट्ठी: उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यूसीसी पर हाई पावर समिति बुलाई गई, जिसमें प्रदेश के मुख्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था. परंतु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के ड्राफ्टिंग समिति को तीन बार चिट्ठी लिखने पर भी समिति से ड्राफ्ट नहीं मिल पाया. जब यूसीसी का ड्राफ्ट ही उपलब्ध नहीं था तो चर्चा कैसे संभव है.
ये भी पढ़ेंः धामी सरकार ने कर ली UCC लागू करने की तैयारी, जल्द बुलाया जा रहा विधानसभा का विशेष सत्र, पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

सरकार यूसीसी उत्तराखंड पर थोपना चाहती है: मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस ये जानना चाहती थी कि यूसीसी के ड्राफ्ट में किन महत्वपूर्ण बातों की अनदेखी की गई है. उसके बाद ही वह सरकार को अपना सुझाव दे सकती थी. परंतु धामी सरकार यूसीसी के ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में आने ही नहीं देना चाहती. तानाशाही रवैया अपनाते हुए नोटबंदी, जीएसटी और तीन कृषि कानून की तरह अपना मन मुताबिक यूसीसी उत्तराखंड पर थोपना चाहती है.

दसौनी ने कहा कि यूसीसी कितना सफल या कितना प्रदेश हित में साबित होगा? यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन इतना जरूर है कि यूसीसी को लेकर धामी सरकार के बार-बार बदलते बयानों और कदमों ने 'भेड़िया आया' वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है.

मन मुताबिक यूसीसी थोपना चाहती है धामी सरकार-कांग्रेस

देहरादूनः उत्तराखंड में जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने की चर्चा जोरों पर है. चर्चा है कि जल्द ही धामी सरकार विशेष सत्र बुलाकर उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर सकती है. यूसीसी का ड्राफ्ट रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक कमेठी द्वारा तैयार किया गया है. सियासी गलियारों में चल रही इस चर्चा के बाद उत्तराखंड कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है.

मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि यदि यूसीसी देश हित में है तो फिर धामी सरकार को केंद्र सरकार से इसे पूरे देश में लागू करवाना चाहिए. क्योंकि उत्तराखंड देश से अलग नहीं है. यूसीसी का मतलब ही यूनिफॉर्मिटी यानी सभी नागरिकों में एकरूपता है. दसौनी ने कहा यदि यूसीसी उत्तराखंड में लागू हो भी जाएगा और देश में नहीं तो इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ेगा. देखा जाए तो यूसीसी केंद्र का मुद्दा है और यदि भविष्य में केंद्र सरकार देश में यूसीसी लाती है तो उस सूरत में उत्तराखंड का यूसीसी ठंडे बस्ते में चला जाएगा.

यूसीसी पर सरकार ने बदले बयान: उन्होंने आगे कहा कि पहले दिन से धामी सरकार यूसीसी के मामले में गंभीर नहीं दिखाई दे रही है. यूसीसी को लेकर कई बार सरकार के बयान बदले हैं. कमेटी भी अपना ड्राफ्ट बहुत पहले सरकार को सौंप चुकी थी. लेकिन शायद ड्राफ्टिंग सरकार के मन मुताबिक नहीं हो पाया. इस वजह से इसका पुनः अवलोकन किया गया.

करना माहरा ने लिखी चिट्ठी: उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यूसीसी पर हाई पावर समिति बुलाई गई, जिसमें प्रदेश के मुख्य विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था. परंतु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के ड्राफ्टिंग समिति को तीन बार चिट्ठी लिखने पर भी समिति से ड्राफ्ट नहीं मिल पाया. जब यूसीसी का ड्राफ्ट ही उपलब्ध नहीं था तो चर्चा कैसे संभव है.
ये भी पढ़ेंः धामी सरकार ने कर ली UCC लागू करने की तैयारी, जल्द बुलाया जा रहा विधानसभा का विशेष सत्र, पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

सरकार यूसीसी उत्तराखंड पर थोपना चाहती है: मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस ये जानना चाहती थी कि यूसीसी के ड्राफ्ट में किन महत्वपूर्ण बातों की अनदेखी की गई है. उसके बाद ही वह सरकार को अपना सुझाव दे सकती थी. परंतु धामी सरकार यूसीसी के ड्राफ्ट को पब्लिक डोमेन में आने ही नहीं देना चाहती. तानाशाही रवैया अपनाते हुए नोटबंदी, जीएसटी और तीन कृषि कानून की तरह अपना मन मुताबिक यूसीसी उत्तराखंड पर थोपना चाहती है.

दसौनी ने कहा कि यूसीसी कितना सफल या कितना प्रदेश हित में साबित होगा? यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन इतना जरूर है कि यूसीसी को लेकर धामी सरकार के बार-बार बदलते बयानों और कदमों ने 'भेड़िया आया' वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है.

Last Updated : Nov 11, 2023, 9:55 PM IST
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