देहरादूनः नगर निगम ने मलिन बस्तियों से भवन कर यानी हाउस टैक्स वसूली शुरू कर दी है. जिसके लिए निगम ने मलिन बस्तियों में 5 कैंप लगाए हैं, लेकिन टैक्स जमा करने के लिए नगर निगम ने कड़े नियम और शर्तें रखी है. इसके तहत टैक्स जमा करने के लिए नगर निगम की ओर से एक शपथ पत्र भरवाया जा रहा है. जिसमें शपथ पत्र के साथ ही मकान की फोटो भी अनिवार्य की गई है. जिसका पूर्व नेता प्रतिपक्ष विरोध कर रहे हैं और इस शपथ पत्र को निगम की अपनी मनमानी बता रहे हैं.
दरअसल, देहरादून नगर निगम ने साल 2018 से मलिन बस्तियों से बंद पड़ी टैक्स वसूली को इस साल शुरू कर दिया है. बकाया माफ करते हुए शहर की करीब 129 मलिन बस्तियों के करीब 40,000 घरों से कर वसूली के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. इसके लिए नगर निगम की ओर से मलिन बस्तियों में 5 कैंप की व्यवस्था की गई है. जहां पर मलिन बस्ती के करदाता कैंप में जाकर टैक्स जमा करने का काम कर रहे हैं. अगर किसी भी तरह की कोई समस्या आ रही है, उस समस्या को भी कैंप के कर्मचारी दूर करने का काम कर रहे हैं.
वहीं, अब निगम टैक्स वसूलने को तैयार है. मलिन बस्ती नियमितीकरण नियमावली के अनुसार साल 2016 के बाद बनी बस्तियों से टैक्स नहीं लिया जाएगा. मामले देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि मलिन बस्तियों में भवन कर जमा कराने के लिए शिविर लगेंगे. इसके साथ ही निगम कार्यालय में भी कर जमा कर सकते हैं. उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिस किसी का हाउस टैक्स जमा नहीं हुआ हो, वो समय से पहले हाउस टैक्स जमा कर लें. जिससे वो पेनल्टी से बच सकें.
भवन कर सिर्फ निर्माण के लिए, भूमि पर कोई अधिकार नहींः उनका कहना है कि मलिन बस्ती के जो करदाता है, वो टैक्स के साथ एक शपथ पत्र भी भर कर दे रहे हैं. जिसमें शपथ पत्र में स्पष्ट है कि भवन कर अदा करना मलिन बस्ती में निर्माण पर स्वामी नहीं है. नगर निगम की ओर से स्पष्ट किया गया है कि भवन कर केवल निर्माण के लिए लिया जा रहा है. भूमि पर उनका कोई भी अधिकार नहीं माना जाएगा और मलिन बस्ती नियमावली 2016 का उन्हें पालन करना होगा.
कोर्ट भी नहीं जा सकेंगे मलिन बस्ती के करदाताः मेयर गामा का कहना है कि घर का टैक्स जमा करने से संपत्ति पर उनके मालिकाना हक सिद्ध नहीं होगा. शपथ पत्र में ये भी है कि निर्माण के संबंध में किसी भी कोर्ट में कोई वाद लंबित नहीं है और न ही भविष्य में किसी सरकारी आदेश के खिलाफ उनकी ओर से वाद दाखिल किया जाएगा. नगर निगम के कैंप में जो कर्मचारी करदाताओं को रसीद दे रहे हैं, उसमें भी अंकित किया गया है कि इसे स्वामी का साक्ष्य न माना जाए.
कांग्रेस ने जताई आपत्तिः वहीं, नगर निगम भले ही मलिन बस्तियों पर हाउस टैक्स लगाने जा रही हो, लेकिन एक बड़ा सवाल यहां पर कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम अशोक वर्मा ने सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि नगर निगम की ओर से मलिन बस्तियों के निवासियों से भवन कर लेने के लिए जो शपथ पत्र मांगे जा रहे हैं, उसके क्रम संख्या 7 पर अंकित बिंदु पर गहरी आपत्ति है. जिसमें प्रार्थी से कोर्ट न जाने का वचन लिया जा रहा है.
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मलिन बस्ती वालों को मिलना चाहिए मालिकाना हकः उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कथन लोकतंत्र की हत्या है. संविधान प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता का संदेश देता है. कोर्ट के द्वार हमेशा सभी के लिए खुले रहते हैं. उन्होंने कहा कि शपथ पत्र में कहा गया है कि यह हाउस टैक्स मालिकाना हक नहीं है. उन्होंने मांग की है कि मलिन बस्ती वालों को मालिकाना हक दिया जाना चाहिए.
नगर आयुक्त मनुज गोयल ने कही ये बातः वहीं, पूरे मामले में देहरादून नगर आयुक्त मनुज गोयल ने बताया है कि निगम की ओर से मलिन बस्तियों से भवन कर वसूला जा रहा है, वो नियमावली 2016 का पालन कर रहे हैं. साथ ही मलिन बस्ती के करदाताओं से जो शपथ पत्र लिया जा रहा है, उसमें शिकायत आ रही है कि निर्माण के संबंध में भविष्य में किसी भी सरकारी आदेश के विपरीत कहीं नहीं जा सकते हैं. ऐसे में नगर निगम की ओर से मलिन बस्ती से आपत्ति लेकर इसमें फेरबदल कराया जाएगा. कोई भी मलिन बस्ती करदाता किसी भी बात को लेकर कहीं भी कोर्ट में जा सकता है, वो स्वतंत्र है.