देहरादूनः बीजेपी सरकार आगामी सत्र गैरसैंण में कराए जाने के लिए भारी दबाव में है. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी सत्र कहां होगा, इसका फैसला सरकार की ओर से किए जाने की बात कहकर धामी सरकार पर यह दबाव और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. बड़ी बात ये है कि इस कशमकश के बीच दो निर्दलीय विधायकों और एक बसपा के विधायक ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर सत्र देहरादून में ही कराए जाने की मांग कर दी है.
माना जा रहा है कि विधायकों की चिट्ठी सत्र के देहरादून में ही होने की ओर इशारा कर रही है. कांग्रेस ने तो आरोप लगा दिया है कि इस चिट्टियां विधायकों से सरकार ने ही लिखवाई है. ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी सरकार गैरसैंण में सत्र (Uttarakhand Assembly Session) कराना ही नहीं चाहती और इसके लिए इन विधायकों पर दबाव बनाकर चिट्टियां लिखवाई गई है, ताकि सरकार पर आरोप न लगा सकें.
निर्दलीय विधायक उमेश कुमार (MLA Umesh Kumar) और यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल (Yamunotri MLA Sanjay Dobhal) के अलावा बसपा विधायक शहजाद (Laksar BSP MLA Shahzad) ने देहरादून में ही सत्र कराने की मांग की है. लक्सर विधायक शहजाद ने अपने पत्र में लिखा है कि गैरसैंण में बर्फबारी, ओलावृष्टि और बारिश को देखते हुए शीतकालीन सत्र देहरादून में ही आयोजित कराया जाए.
सवाल ये उठता है कि कांग्रेस और बीजेपी के इतने विधायकों में से अब तक कोई भी गैरसैंण में शीतकालीन सत्र कराए जाने के खिलाफ क्यों सामने नहीं आ रहा है. गैरसैंण में सत्र (Assembly Session in Gairsain) को लेकर ठंडे मौसम का डर क्या केवल निर्दलीय और बसपा विधायक को ही है? जाहिर है कि इसके पीछे बड़ी राजनीति दिखाई देती है.
उधर, सरकार पर भारी दबाव को देखते हुए जो आरोप अब धामी सरकार पर लग रहे हैं, वो भी बेहद गंभीर हैं. हालांकि, बीजेपी नेता अपनी सरकार का बचाव करते हुए कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर रहे हैं और बीजेपी की गैरसैंण (Gairsain Winter Session) को लेकर बेहतर सोच को वो भी बार-बार दोहरा रहे हैं.
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मामले में कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे साजिश करार दिया है. सरकार पर गैरसैंण की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगा रही कांग्रेस का कहना है कि यह एक साजिश के तहत किया जा रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि प्रदेश की जनता साक्षर और समझदार है, ऐसे में उनको मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि देहरादून में सत्र कराए जाने को लेकर बीजेपी के किसी भी विधायक ने पत्र नहीं लिखा, जबकि निर्दलीय विधायकों से गैरसैंण में सत्र न कराए जाने को लेकर पत्र लिखाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले मैदानी जिलों के दो विधायकों से पत्र लिखवाया गया और जब देखा कि पहाड़ के सभी विधायक गैरसैंण में सत्र आहूत कराने के इच्छुक हैं, तब पहाड़ के यमुनोत्री विधानसभा के निर्दलीय विधायक से पत्र लिखवा दिया गया.
उन्होंने इसमें सूचना विभाग की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए हैं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि विधायकों से कांग्रेस यह पूछना चाहती है कि एक पहाड़ी राज्य होने के नाते गैरसैंण में कारण बता-बता कर वहां सुविधाओं के अभाव का हवाला देने वाले सत्र आयोजित नहीं होने देना चाहते हैं. यह अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है और जिसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है.
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