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विधानसभा सत्रः मुख्यमंत्री के 'दिन' को लेकर हंगामा, कांग्रेस बोली- 2 साल में नहीं आया सोमवार

उत्तराखंड विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री के जवाब देने के दिन को लेकर जमकर हंगामा हुआ. इस दौरान विपक्ष ने कहा कि सरकार के इन 2 सालों के विधानसभा में किसी भी सोमवार को मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों के सवाल नहीं आ पाए. साथ ही सवाल पूछते हुए कहा कि क्या मुख्यमंत्री को इतने विभागों की जिम्मेदारी रखनी चाहिए?

मुख्यमंत्री के 'दिन' को लेकर विपक्ष का हंगामा
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Published : Jun 25, 2019, 6:31 PM IST

Updated : Jun 25, 2019, 6:53 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब देने के दिन को लेकर जमकर सवाल उठाए. इस दौरान कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने सरकार के व्यवस्थाओं पर सवाल उठते हुए कहा कि सरकार के इन 2 सालों में एक बार भी सोमवार का दिन नहीं आया है. जब सदन में मुख्यमंत्री खुद अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब दे सकें. उधर, नेता प्रतिपक्ष ने भी मुख्यमंत्री के जवाब देने के सोमवार दिन को बदलने की मांग की.

मुख्यमंत्री के जवाब देने के दिन को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने.


बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान सदन में जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों के लिए एक दिन निश्चित किया जाता है. साथ ही उसी दिन के हिसाब से मंत्री भी जवाब देते हैं. हालांकि मौजूदा समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास सबसे ज्यादा विभाग हैं. यही वजह है कि सोमवार का दिन मुख्यमंत्री के लिए रखा गया है.


ऐसे में अमूमन देखने को मिलता है कि सोमवार के दिन सदन के भीतर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न उठाए जाते हैं, लेकिन बड़ी बात ये रही कि सरकार के इन 2 सालों में जितनी भी विधानसभा सत्र हुई. इन सत्रों में किसी भी सोमवार को मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों के सवाल नहीं आ पाए.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड विधानसभा सत्रः पेंशन को लेकर अपनों ने ही सरकार को घेरा, मिला ये जवाब


मामले पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सरकार को घेरते हुए कहा कि जब वो सत्ता में थीं, तब वो ही संसदीय कार्य मंत्री थीं. ऐसे में वो खुद तय करती थीं कि किस मंत्री को कौन से दिन प्रश्नों के जवाब देने हैं. सोमवार का दिन ही मुख्यमंत्री के लिए तय किया जाता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री इतने विभाग में व्यस्त हैं कि इन महत्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब नहीं आ सकता.


उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को तय करना चाहिए कि क्या मुख्यमंत्री को इतने विभागों की जिम्मेदारी रखनी चाहिए. जिनकी रोज मॉनिटरिंग होनी जरूरी है. साथ ही कहा कि ये उनकी सरकार और उनका अधिकार है, लेकिन विपक्ष सिर्फ राय दे सकता है.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा सत्र: सरकार पर इंदिरा हृदयेश का हमला, कहा- जन समस्याओं के लिए दो दिन का समय कम


वहीं, संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि नियम 34 और कार्य नियमावन संचालिका के नियम अध्याय 5 के दो नियम हैं. जिसके अंतर्गत प्रश्न कैसे लगाए जाते हैं और उच्चरित होते हैं. इन दोनों नियमों में उसकी व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के तहत कौन मंत्री किस दिन उत्तर देगा, विधानसभा अध्यक्ष उसकी सलाह से उसे तय करते हैं.


साथ ही कहा कि इसके लिए सोमवार का दिन रखा गया है. जहां अधिक से अधिक सदन चलने की संभावना रहती है. इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोमवार का दिन दिया गया है, लेकिन विपक्ष के पास सत्र के पहले दिन 20 सवालों में से एक सवाल भी नहीं थे.

देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब देने के दिन को लेकर जमकर सवाल उठाए. इस दौरान कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने सरकार के व्यवस्थाओं पर सवाल उठते हुए कहा कि सरकार के इन 2 सालों में एक बार भी सोमवार का दिन नहीं आया है. जब सदन में मुख्यमंत्री खुद अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब दे सकें. उधर, नेता प्रतिपक्ष ने भी मुख्यमंत्री के जवाब देने के सोमवार दिन को बदलने की मांग की.

मुख्यमंत्री के जवाब देने के दिन को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने.


बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान सदन में जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों के लिए एक दिन निश्चित किया जाता है. साथ ही उसी दिन के हिसाब से मंत्री भी जवाब देते हैं. हालांकि मौजूदा समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास सबसे ज्यादा विभाग हैं. यही वजह है कि सोमवार का दिन मुख्यमंत्री के लिए रखा गया है.


ऐसे में अमूमन देखने को मिलता है कि सोमवार के दिन सदन के भीतर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न उठाए जाते हैं, लेकिन बड़ी बात ये रही कि सरकार के इन 2 सालों में जितनी भी विधानसभा सत्र हुई. इन सत्रों में किसी भी सोमवार को मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों के सवाल नहीं आ पाए.

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मामले पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सरकार को घेरते हुए कहा कि जब वो सत्ता में थीं, तब वो ही संसदीय कार्य मंत्री थीं. ऐसे में वो खुद तय करती थीं कि किस मंत्री को कौन से दिन प्रश्नों के जवाब देने हैं. सोमवार का दिन ही मुख्यमंत्री के लिए तय किया जाता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री इतने विभाग में व्यस्त हैं कि इन महत्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब नहीं आ सकता.


उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को तय करना चाहिए कि क्या मुख्यमंत्री को इतने विभागों की जिम्मेदारी रखनी चाहिए. जिनकी रोज मॉनिटरिंग होनी जरूरी है. साथ ही कहा कि ये उनकी सरकार और उनका अधिकार है, लेकिन विपक्ष सिर्फ राय दे सकता है.

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वहीं, संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि नियम 34 और कार्य नियमावन संचालिका के नियम अध्याय 5 के दो नियम हैं. जिसके अंतर्गत प्रश्न कैसे लगाए जाते हैं और उच्चरित होते हैं. इन दोनों नियमों में उसकी व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के तहत कौन मंत्री किस दिन उत्तर देगा, विधानसभा अध्यक्ष उसकी सलाह से उसे तय करते हैं.


साथ ही कहा कि इसके लिए सोमवार का दिन रखा गया है. जहां अधिक से अधिक सदन चलने की संभावना रहती है. इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोमवार का दिन दिया गया है, लेकिन विपक्ष के पास सत्र के पहले दिन 20 सवालों में से एक सवाल भी नहीं थे.

Intro:विधानसभा सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने सदन के भीतर सरकार के व्यवस्थाओं पर सवाल उठते हुए कहा कि इन 2 सालों में एक ही बार वह सोमवार नहीं आया जब सदन के भीतर मुख्यमंत्री खुद अपने विभागों से संबंधित सवालों के जवाब दे सकें। तो वही सदन के भीतर ही नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हिरदेश ने भी सदन के भीतर मुख्यमंत्री के जवाब देने के सोमवार दिन को बदलने की मांग की।


Body:गौर हो कि विधानसभा सत्र के दौरान सदन में जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री गणों के लिए एक दिन निश्चित किया जाता है और उसी दिन के हिसाब से ही मंत्री जवाब देते हैं हालांकि मौजूदा समय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास सबसे ज्यादा विभाग है और यही वजह है कि सोमवार का दिन मुख्यमंत्री के लिए रखा गया है और अमूमन देखने को मिलता है कि सोमवार के दिन सदन के भीतर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न उठाए जाते हैं।लेकिन बड़ी बात यह है कि बीते इन 2 सालों में जितनी भी विधानसभा सत्र हुई हैं इन सत्रों में किसी भी सोमवार को मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों के सवाल नहीं आ पाए।


वही संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि नियम 34 और कार्य नियमावन संचालिके के नियम अध्याय 5 है ये दो ऐसे नियम हैं जिसके अंतर्गत प्रश्न कैसे लगाए जाते हैं और उच्चरित होते हैं। इन दोनों नियमों में उसकी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अंतर्गत कौन मंत्री किस दिन उत्तर देगा, विधानसभा अध्यक्ष उसकी सलाह से उसको तय करते हैं और सोमवार ऐसा दिन है। जहां अधिक से अधिक सदन चलने की संभावना रहती है, इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोमवार का दिन दिया गया है, लेकिन विपक्ष के पास सत्र के पहले दिन 20 सवालों में से एक सवाल भी नहीं थे।

बाइट - मदन कौशिक, संसदीय कार्यमंत्री

तो वही नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हिरदेश ने बताया कि जब वो सत्ता में थी तब वही संसदीय कार्य मंत्री थी और वही तय करती थी कि किस मंत्री को कौन से दिन प्रश्नों के जवाब देने हैं। और अमूमन सोमवार का दिन ही मुख्यमंत्री के लिए तय किया जाता था। लेकिन अब मुख्यमंत्री इतने विभाग रखने लगे हैं कि इन महत्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब नहीं आ सकता। इसलिए यह तय करना भारत सरकार और राज्य सरकार को है कि क्या मुख्यमंत्री को इतने विभाग रखनी चाहिए, जिनकी रोज मोनिटरिंग होना जरूरी है, साथ ही कहा कि ये उनकी सरकार है, और यह उनका अधिकार है लेकिन विपक्ष सिर्फ राय दे सकता है।

बाइट - इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष


Conclusion:
Last Updated : Jun 25, 2019, 6:53 PM IST
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