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भाजपा RSS की कठपुतली, कम होते जनाधार को बचाने उत्तराखंड आए भागवत: कांग्रेस

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दौरे पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा है. कांग्रेस ने मोहन भागवत के दौरे को राजनैतिक दौरा बताया है.

कांग्रेस का बयान
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Published : Feb 6, 2019, 7:00 PM IST

देहरादून: प्रदेश में लोकसभा चुनाव के आगाज के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों राजधानी देहरादून में चार दिवसीय प्रवास पर हैं. मोहन भागवत के दौरे पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है.

आरएसएस प्रमुख पर कांग्रेस का बयान.
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कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दौरे के दौरान कई बुद्धिजीवियों से मिले. साथ ही उनका ये दौरा पूरी तरह से राजनीतिक दौरा है. वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने मोहन भागवत के इस कार्यक्रम को सामाजिक कार्यक्रम बताया है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस दौरे को विपक्ष पार्टी राजनीतिक दौरे से जोड़ कर देख रही है. बुद्धिजीवी आशुतोष डिमरी ने बताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा आरएसएस को चिंता है कि कहीं देश की सत्ता फिर कांग्रेस पार्टी के हाथों में न चली जाए.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि आरएसएस प्रमुख का देवभूमि का दौरा सामाजिक कार्यक्रमों की वजह से है. आरएसएस प्रमुख देहरादून में प्रभुत्व के लोगों, रिटायर्ड मुख्य सचिव, इंटर कॉलेज प्राचार्य आदि लोगों से मुलाकात कर रहे हैं, विपक्ष इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश न करे.

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पढ़ें: 21 फरवरी से शुरू हो जाएगा राम मंदिर निर्माण, मार्च में अयोध्या कूच करेंगे संत: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के देहरादून प्रवास पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि मोहन भागवत का यह दौरा पूरी तरीके से राजनीतिक है. आरएसएस को भाजपा का सुपड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है. साथ ही भाजपा, आरएसएस की कठपुतली है और यही वजह है कि आरएसएस अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए मोहन भागवत को यहां लेकर आई है.

कांग्रेस के बयान को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने हास्यपद बताते हुए कहा कि कांग्रेस का आरोप निराधार है. कांग्रेस इसे अपने राजनीतिक चश्मे से देख रही है. साथ ही बताया कि मोहन भागवत के इस प्रवास में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से मिलने का कार्यक्रम नहीं है और अगर कांग्रेस को संघ को समझना है तो कांग्रेस को संघ के शाखाओ में जाना पड़ेगा.

देहरादून: प्रदेश में लोकसभा चुनाव के आगाज के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों राजधानी देहरादून में चार दिवसीय प्रवास पर हैं. मोहन भागवत के दौरे पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है.

आरएसएस प्रमुख पर कांग्रेस का बयान.
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कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दौरे के दौरान कई बुद्धिजीवियों से मिले. साथ ही उनका ये दौरा पूरी तरह से राजनीतिक दौरा है. वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने मोहन भागवत के इस कार्यक्रम को सामाजिक कार्यक्रम बताया है.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस दौरे को विपक्ष पार्टी राजनीतिक दौरे से जोड़ कर देख रही है. बुद्धिजीवी आशुतोष डिमरी ने बताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा आरएसएस को चिंता है कि कहीं देश की सत्ता फिर कांग्रेस पार्टी के हाथों में न चली जाए.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि आरएसएस प्रमुख का देवभूमि का दौरा सामाजिक कार्यक्रमों की वजह से है. आरएसएस प्रमुख देहरादून में प्रभुत्व के लोगों, रिटायर्ड मुख्य सचिव, इंटर कॉलेज प्राचार्य आदि लोगों से मुलाकात कर रहे हैं, विपक्ष इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश न करे.

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पढ़ें: 21 फरवरी से शुरू हो जाएगा राम मंदिर निर्माण, मार्च में अयोध्या कूच करेंगे संत: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के देहरादून प्रवास पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि मोहन भागवत का यह दौरा पूरी तरीके से राजनीतिक है. आरएसएस को भाजपा का सुपड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है. साथ ही भाजपा, आरएसएस की कठपुतली है और यही वजह है कि आरएसएस अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए मोहन भागवत को यहां लेकर आई है.

कांग्रेस के बयान को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने हास्यपद बताते हुए कहा कि कांग्रेस का आरोप निराधार है. कांग्रेस इसे अपने राजनीतिक चश्मे से देख रही है. साथ ही बताया कि मोहन भागवत के इस प्रवास में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से मिलने का कार्यक्रम नहीं है और अगर कांग्रेस को संघ को समझना है तो कांग्रेस को संघ के शाखाओ में जाना पड़ेगा.

Intro:एंकर - लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चार दिवसीय देहरादून प्रवास पर हैं। प्रवास के दौरान मोहन भागवत का कई प्रबुद्ध लोगों से मिलने का कार्यक्रम तय किया गया था और अब प्रवास के दौरान मोहन भागवत बंद कमरे में कई क्षेत्रों के प्रबुद्ध लोगों से मिल रहे हैं। अब ऐसे में मोहन भागवत के प्रवास पर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर आरएसएस प्रमुख प्रबुद्ध लोगों से तो नही मिल रहे हैं।


Body:वीओ - आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का देहरादून में 4 दिवशीय प्रवास लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। बुद्धिजीवि आशुतोष डिमरी की माने तो उनका कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में प्रवास के कई मायने निकल कर सामने आ रहे हैं। आशुतोष डिमरी ने बताया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा आरएसएस को चिंता है कि कही देश सत्ता फिर कांग्रेस की हाथो में ना चली जाए।

बाइट - आशुतोष डिमरी (बुद्धजीवी)

वीओ - उत्तराखंड में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के प्रवास से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई है जहां एक तरफ भाजपा मोहन भागवत के प्रवास को सामाजिक कार्यक्रम कह रही है तो वही कांग्रेस पूर्ण रूप से इसे राजनीतिक कार्यक्रम बता रही है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि आरएसएस प्रमुख का उत्तराखंड प्रवास सामाजिक कार्यक्रमों से है। आरएसएस प्रमुख देहरादून में प्रभुत्व के लोगों, रिटायर्ड मुख्य सचिव, इंटर कॉलेज प्राचार्य आदि लोगों से मुलाकात कर रहे हैं इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।

बाइट - वीरेंद्र बिष्ट (प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी) 1

वीओ - आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के देहरादून प्रवास पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि मोहन भागवत का यह दौरा पूरी तरीके से राजनीतिक है। क्योकि आरएसएस को भाजपा का सुफड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है। साथ ही बताया कि भाजपा, आरएसएस की कठपुतली है और यही वजह है कि आरएसएस अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए मोहन भागवत यहाँ आये है।

बाइट - गरिमा दसौनी (प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस)

तो वही कांग्रेस के बयान को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने हास्यपद बताते हुए कहा कि कांग्रेस का ये आरोप निराधार है। कांग्रेस बस इसे अपने राजनीतिक चश्मे से देखती है। साथ ही बताया कि मोहन भागवत के इस प्रवास में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से मिलने का कार्यक्रम नही है। और अगर कांग्रेस को संघ को समझना है तो कांग्रेस को संघ के शाखाओ में जाना पड़ेगा।

बाइट - वीरेंद्र बिष्ट (प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी) 2






Conclusion:फाइनल वीओ - हालांकि आरएसएस कार्यकर्ता और भाजपा यह जरूर कह रहे हैं कि संघ प्रमुख का चार दिवसीय प्रवास गैरराजनीतिक है। लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 'आरएसएस प्रमुख का उत्तराखंड में प्रवास और बंद कमरे में प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात' के कई मायने निकाले जा रहे हैं और यहां तक कहा जा रहा है कि आरएसएस प्रमुख का प्रवास पूरी तरह से राजनीतिक है। बहरहाल यह तो वक्त ही बताएगा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का देहरादून प्रवास राजनीतिक था या गैरराजनीतिक था। देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट.....
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