देहरादून: प्रदेश में लोकसभा चुनाव के आगाज के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज होने लगी हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों राजधानी देहरादून में चार दिवसीय प्रवास पर हैं. मोहन भागवत के दौरे पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है.
कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दौरे के दौरान कई बुद्धिजीवियों से मिले. साथ ही उनका ये दौरा पूरी तरह से राजनीतिक दौरा है. वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने मोहन भागवत के इस कार्यक्रम को सामाजिक कार्यक्रम बताया है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस दौरे को विपक्ष पार्टी राजनीतिक दौरे से जोड़ कर देख रही है. बुद्धिजीवी आशुतोष डिमरी ने बताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा आरएसएस को चिंता है कि कहीं देश की सत्ता फिर कांग्रेस पार्टी के हाथों में न चली जाए.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि आरएसएस प्रमुख का देवभूमि का दौरा सामाजिक कार्यक्रमों की वजह से है. आरएसएस प्रमुख देहरादून में प्रभुत्व के लोगों, रिटायर्ड मुख्य सचिव, इंटर कॉलेज प्राचार्य आदि लोगों से मुलाकात कर रहे हैं, विपक्ष इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश न करे.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के देहरादून प्रवास पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि मोहन भागवत का यह दौरा पूरी तरीके से राजनीतिक है. आरएसएस को भाजपा का सुपड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है. साथ ही भाजपा, आरएसएस की कठपुतली है और यही वजह है कि आरएसएस अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए मोहन भागवत को यहां लेकर आई है.
कांग्रेस के बयान को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने हास्यपद बताते हुए कहा कि कांग्रेस का आरोप निराधार है. कांग्रेस इसे अपने राजनीतिक चश्मे से देख रही है. साथ ही बताया कि मोहन भागवत के इस प्रवास में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति से मिलने का कार्यक्रम नहीं है और अगर कांग्रेस को संघ को समझना है तो कांग्रेस को संघ के शाखाओ में जाना पड़ेगा.