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मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में MBBS की पढ़ाई पर कांग्रेस की NO, राज्य सरकार को घेरा

मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में MBBS की पढ़ाई कराये जाने के मामले पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने कहा एक ओर सरकार सभी प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम कर रही है, लेकिन मेडिकल एजुकेशन हिंदी माध्यम से पढ़ाने की बात कर रही है. यह भाजपा के दोहरा चरित्र को दर्शाता है

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मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में MBBS की पढ़ाई पर कांग्रेस की NO
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Published : Nov 5, 2022, 7:20 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार ने प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ हिंदी मीडियम में कराने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने कहा राज्य सरकार को 21वीं सदी के हिसाब से फैसले लेने होंगे. उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा अगर हमें दुनिया की दौड़ में शामिल होना है तो हमें अंग्रेजी को भी पकड़ कर चलना होगा. उन्होंने कहा इस प्रकार के फैसलों से हम सस्ती लोकप्रियता हासिल करें, ऐसा नहीं होना चाहिए.

उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा हिंदी भाषा का ज्ञान सभी को होना चाहिए, लेकिन जहां तक बात स्वास्थ्य की है, तो हिंदुस्तान स्वास्थ्य के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है. हमारे देश में लगातार स्वास्थ सुविधाएं बढ़ रही हैं. यह सोचने वाली बात है कि स्वास्थ्य से जुड़ी सभी किताबें अंग्रेजी माध्यम में लिखी जाती हैं, इसलिए हमें दुनिया की दौड़ में शामिल होना है तो हमें अंग्रेजी को भी अपनाना पड़ेगा. एक तरफ सरकार सभी प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम कर रही है, लेकिन मेडिकल एजुकेशन हिंदी माध्यम से पढ़ाने की बात कर रही है. उन्होंने इसे भाजपा का दोहरा चरित्र बताया.

पढे़ं- उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में भी हिंदी में होगी MBBS की पढ़ाई, चार सदस्यीय समिति का गठन

कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा आज देश में सभी दवाओं और इलाज के नाम अंग्रेजी में होते हैं. ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया की दौड़ में शामिल करने की सोच बनाकर रखनी चाहिए ना कि सस्ती लोकप्रियता के लिए हिंदुस्तान को पीछे की ओर ले जाने का काम किया जाना चाहिए.

पढे़ं- दुधारखाल इंटरमीडिएट कॉलेज पहुंचे पूर्व RAW चीफ अनिल धस्माना, साझा की पुरानी यादें

बता दें प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ अब हिन्दी मीडियम में भी होगी. इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन (Four member expert committee constituted) कर दिया है. ये समिति मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वहां के मेडिकल कॉलेजों में लागू हिन्दी मीडियम एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन कर नये पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट तैयार करेगी. जिसका विस्तृत अध्ययन के बाद सभी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुये अगले सत्र से सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया जायेगा.

देहरादून: राज्य सरकार ने प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ हिंदी मीडियम में कराने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस ने कहा राज्य सरकार को 21वीं सदी के हिसाब से फैसले लेने होंगे. उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा अगर हमें दुनिया की दौड़ में शामिल होना है तो हमें अंग्रेजी को भी पकड़ कर चलना होगा. उन्होंने कहा इस प्रकार के फैसलों से हम सस्ती लोकप्रियता हासिल करें, ऐसा नहीं होना चाहिए.

उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा हिंदी भाषा का ज्ञान सभी को होना चाहिए, लेकिन जहां तक बात स्वास्थ्य की है, तो हिंदुस्तान स्वास्थ्य के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है. हमारे देश में लगातार स्वास्थ सुविधाएं बढ़ रही हैं. यह सोचने वाली बात है कि स्वास्थ्य से जुड़ी सभी किताबें अंग्रेजी माध्यम में लिखी जाती हैं, इसलिए हमें दुनिया की दौड़ में शामिल होना है तो हमें अंग्रेजी को भी अपनाना पड़ेगा. एक तरफ सरकार सभी प्राइमरी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम कर रही है, लेकिन मेडिकल एजुकेशन हिंदी माध्यम से पढ़ाने की बात कर रही है. उन्होंने इसे भाजपा का दोहरा चरित्र बताया.

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कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा आज देश में सभी दवाओं और इलाज के नाम अंग्रेजी में होते हैं. ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया की दौड़ में शामिल करने की सोच बनाकर रखनी चाहिए ना कि सस्ती लोकप्रियता के लिए हिंदुस्तान को पीछे की ओर ले जाने का काम किया जाना चाहिए.

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बता दें प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अगले सत्र से एमबीबीएस की पढ़ाई अंग्रेजी के साथ-साथ अब हिन्दी मीडियम में भी होगी. इसके लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन (Four member expert committee constituted) कर दिया है. ये समिति मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वहां के मेडिकल कॉलेजों में लागू हिन्दी मीडियम एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अध्ययन कर नये पाठ्यक्रम का ड्राफ्ट तैयार करेगी. जिसका विस्तृत अध्ययन के बाद सभी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुये अगले सत्र से सूबे के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया जायेगा.

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