देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह इन दिनों पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे हैं. प्रीतम सिंह की नाराजगी को लेकर सियासी गलियारों में कई तरह की चर्चाओं का बाजार भी गर्म है. कहा जा रहा है कि प्रीतम सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. जब इन चर्चाओं को लेकर प्रीतम सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने इस तरह की संभावनाओं को सिरे से नाकार दिया. हालांकि उन्होंने पत्रकारों ये जरूर पूछा कि इस तरह की खबर किसके इशारे पर चलाई जा रही है.
उन्होंने कहा कि 2022 की हार का ठिकारा उन पर फोड़ा जा रहा है, जो सरासर गलत है. इस हार के बारे में कांग्रेस चुनाव प्रभारी सहित अन्य नेताओं से सवाल पूछना चाहिए. प्रीतम सिंह ने बिना नाम लिए इशारों ही इशारों ने हरीश रावत पर जरूर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो लोग सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे है, आलाकमान उनका जरूर संज्ञान ले. ऐसे नेता चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाकर अपना एजेंडा चला रहा है.
प्रीतम सिंह ने कहा कि उनके पिताजी 8 बार और उसके बाद वह खुद 6 बार अपनी विधानसभा से कांग्रेस के सच्चे सिपाही के रूप में लगातार चुनाव जीत कर विधायक बने हैं. ऐसे में जो आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने चुनाव में अपनी पार्टी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया, ये बिल्कुल गलत आरोप है. वह खुद हाईकमान से इस मामले की जांच करने की बात कर चुके हैं. इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो. यदि वे दोषी पाए जाते है तो सजा भुगताने के लिए भी तैयार है.
प्रीतम सिंह ने बिना नाम लिए इशारों ही इशारों ने हरीश रावत पर जरूर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो लोग सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, आलाकमान उनका जरूर संज्ञान लेगा. ऐसे नेता चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचाकर अपना एजेंडा चला रहा है. दरअसल, बीते दिनों कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष की यशपाल आर्य और उप नेता प्रतिपक्ष की भुवन कापड़ी को दी हैं. ये तीनों नेता कुमाऊं मंडल से आते है. तीनों प्रमुख पदों पर कुमाऊं के नेताओं को तवज्जो देने से पार्टी में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई. यहीं कारण है कि गढ़वाल के बड़े नेता और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर.