देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस की हार के ठीक बाद पार्टी में समीक्षात्मक आकलन की बजाए ऐसा शीतयुद्ध मच गया है जो पार्टी में जबरदस्त हलचल मचाए हुए है. इसकी शुरुआत सोशल मीडिया से हुई है और पार्टी में एक गुट के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह सोशल मीडिया पर हमलावर रुख अपनाया है, उससे कांग्रेस की विरोधी जंग चौराहे पर आकर खड़ी हो गई है. पार्टी की गोपनीय बातें सोशल मीडिया पर लिखी जा रही हैं. प्रीतम सिंह गुट और हरीश रावत खेमा ऐसे-ऐसे तीर सोशल मीडिया पर छोड़ रहा है, जो विरोधी गुट से ज्यादा पार्टी के सीने को छलनी कर रहे हैं.
दरअसल, सोशल मीडिया पर लड़ाई इस बात की हो रही है कि राज्य में कांग्रेस की हार के लिए कौन जिम्मेदार है. इसके लिए सबसे ज्यादा निशाना हरीश रावत बने हुए हैं. कोई हरीश रावत के स्लोगन पर तंज कस रहा है तो कोई उनके संगठन चलाने के तरीकों पर सवाल खड़े कर रहा है. बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को अब यह कहना रहा पड़ा है कि पार्टी कार्यकर्ता और नेता पार्टी प्लेटफार्म पर ही अपनी बात रखें, सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह की चीजों को पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी.
गणेश गोदियाल ने कहा कि उनके द्वारा हार की जिम्मेदारी लेकर पार्टी हाईकमान से इस्तीफा देने को लेकर पूछ लिया गया है. लेकिन हाईकमान की तरफ से उन्हें कोई ऐसा आदेश नहीं मिला है. इसलिए वह इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं. उधर प्रीतम सिंह हरीश रावत पर बिना नाम लिए बड़े इल्जाम लगा रहे हैं. जवाब में हरीश रावत भी जुबानी तीर छोड़ रहे हैं.
मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दे को बीजेपी ने भुनाया: मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर गोदियाल ने कहा कि यूनिवर्सिटी खोलने की कांग्रेस की कोई पॉलिसी में कहीं नहीं थी. उन्होंने कहा कि अब यह जांच का विषय है कि उस व्यक्ति ने यह अपनी मर्जी से कहा था या किसी के कहलाने या उकसाने पर कहा था. मगर भाजपा ने इसे तिल का ताड़ बना दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं कहा कि यह बात कांग्रेस पर जबरदस्ती चिपकाई गई. गोदियाल ने साफ किया कि यह बात कांग्रेस के कार्यकर्ता ने की थी लेकिन मैंने, प्रीतम सिंह और हरीश रावत ने कहीं भी इस बात को नहीं बोला. उसके बावजूद इसे कांग्रेस की थीम लाइन बना दिया गया. यह भाजपा का वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास था जो सफल रहा.
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गोदियाल ने कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाला बयान देने वाले सहसपुर के अकील अहमद को कांग्रेस उपाध्यक्ष किसने बनाया, उसकी जांच होगी. वह प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी का पदाधिकारी भी नहीं था लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में उसे पदाधिकारी बनाया गया. ऐसे में यह जांच का विषय है.
बीजेपी ले रही मजे: कांग्रेस के भीतर चल रहे युद्ध कि भले ही यह शुरुआत है, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद सोशल मीडिया पर खुले रूप से शुरू हुई जबरदस्त जंग अब कांग्रेस पार्टी के लिए और भी बड़ी मुसीबत बन गई है. हालांकि चुनाव जीतने वाली भाजपा इसे भी बड़े चटकारे लेकर पढ़ और देख रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला कहते हैं कि कांग्रेस में 'सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा' जैसी स्थिति बनी हुई है.