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Exclusive: पार्टियां बदलीं पर बढ़ता रहा यशपाल आर्य का कद, सत्ता से दूर रहकर भी हमेशा रहे पावरफुल

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Published : Apr 12, 2022, 7:29 AM IST

Updated : Apr 26, 2022, 5:43 PM IST

कांग्रेस के बूथ स्तर की राजनीति से ककहरा सीखने के बाद यशपाल आर्य देखते ही देखते राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन गए. उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के विभाजन से पहले से ही यशपाल आर्य विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ते रहे हैं. उनकी सियासी शतरंजी चाल ही विपक्षी को सियासत के खेल में मात देती है.

Uttarakhand Politics News
यशपाल आर्य

देहरादून: उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले यशपाल आर्य ऐसे राजनीतिज्ञ माने जाते हैं, जो हर बार और मजबूती से उभरकर आते हैं. यशपाल आर्य चुपचाप राजनीति की बिसात पर अपने मोहरे इस तरह सेट करते हैं कि मैदान में जीत का राजतिलक उनके ही सिर सज जाता है. उनकी सियासी शतरंजी चाल ही विपक्षी को सियासत के खेल में मात देती है. जो सियासत में शतरंजी चाल भी चलते हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ भी मजबूत रखते हैं.सरल और मिलनसार स्वभाव उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाए हुए हैं. वहीं यशपाल आर्य का राजनीतिक कद कुमाऊं के साथ ही एक विशेष वर्ग को भी प्रभावित करता है. आइए नजर डालते हैं यशपाल आर्य के राजनीतिक जादूगरी पर...

यशपाल आर्य का कद: उत्तराखंड में यशपाल आर्य का कद किसी भी दिग्गज नेता से कम नहीं है. कांग्रेस के बूथ स्तर की राजनीति से ककहरा सीखने के बाद यशपाल आर्य देखते ही देखते राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन गए. उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के विभाजन से पहले से ही यशपाल आर्य विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ते रहे हैं. यशपाल आर्य दसवीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 12वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए उनका दूसरा कार्यकाल भी शानदार रहा.

पढ़ें-नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर यशपाल आर्य ने आलाकमान का जताया आभार, कहा- जनमुद्दों को लेकर सदन में बनेंगे जनता की आवाज

सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी: यशपाल आर्य ने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों पर ऐसा जादू किया कि जनता ने हर परिस्थिति में बस उनका ही दामन थामे रखा. यशपाल आर्य की यह जादूगरी केवल अपनी विधानसभा की जनता तक ही नहीं रही, बल्कि राजनेताओं और पार्टी हाईकमान तक भी उन्होंने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि हर कोई उनका मुरीद दिखाई दिया. यशपाल आर्य राजनीति के जादूगर मानें जाते हैं, उन्हें यह खिताब इसलिए भी दिया जा सकता है क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद न केवल उन्होंने अपने हर चुनाव को जीतने में कामयाबी हासिल की, बल्कि पिछले 22 सालों में यशपाल आर्य कभी कमजोर नहीं हुए.

हमेशा बड़े पदों पर रहे काबिज: राज्य में ऐसा आज तक कोई मौका नहीं आया जब यशपाल आर्य के पास कोई बड़ा पद ना हो. यशपाल आर्य ने पार्टी के सर्वोच्च पद पाने में हमेशा कामयाबी हासिल की. राज्य स्थापना के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के बाद यशपाल आर्य साल 2002 से 2007 तक सत्ताधारी पार्टी के विधायक बनकर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. साल 2007 से 2012 तक उत्तराखंड में भाजपा की सरकार रही लेकिन इसके बावजूद भी यशपाल आर्य ताकतवर नेता के रूप में दिखाई दिए. दरअसल, यशपाल आर्य इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर विराजमान रहे. उनका प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर 2007 से 2014 तक कार्यकाल रहा.

ताकतवर नेताओं में गिनती: अगला चुनाव 2012 में हुआ और एक बार फिर सरकार कांग्रेस की आई इस बार भी यशपाल आर्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर महत्वपूर्ण विभागों को संभालते हुए दिखाई दिए. 2012 से 2017 तक उनका कार्यकाल रहा. इसके बाद यशपाल आर्य ने पार्टी बदल दी और वह भाजपा में शामिल हो गए, प्रदेश में भी अब 2017 विधानसभा चुनाव में सत्ता भाजपा की ही थी, लिहाजा यशपाल आर्य दलबदल करने के बावजूद भी जीतकर विधानसभा पहुंचे और भाजपा की सरकार में भी महत्वपूर्ण विभागों में कैबिनेट मंत्री के तौर पर मजबूती के साथ दिखाई दिए. यशपाल आर्य ने साल 2017 से 2022 तक भाजपा में कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम किया.

पढ़ें-उत्तराखंड कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने करण माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

राजनीतिक पैतरेबाजी के माहिर खिलाड़ी: अब साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की, लेकिन इस बार सरकार भाजपा एक बार फिर बना ले गई. यशपाल आर्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन इस बार उन्हें विपक्ष में बैठना है. राजनीति के जादूगर यशपाल आर्य का राजनीतिक पैतरा इतना शानदार था कि इस बार भी उन्होंने दलबदल करने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को पाने में कामयाबी हासिल कर ली. जिसे उन्हें विरोधी पचा नहीं पा रहे हैं.

पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज धराशायी हो गए और कांग्रेस हाईकमान ने यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले इतने महत्वपूर्ण पद से नवाज दिया. ये वही यशपाल आ रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस की सरकार को 2017 में अचानक जोर का झटका दिया और पार्टी छोड़ कर चले गए लेकिन इसके बावजूद जिस तरह उनकी वापसी के बाद उन्हें इतने बड़े पद से नवाजा गया है उसे यशपाल आर्य के राजनीतिक जादूगरी का ही असर माना जा रहा है.

बता दें कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने करण माहरा (karan mahra uttarakhand congress president) को उत्तराखंड कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष (Uttarakhand congress new president) और यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. जबकि खटीमा सीट से विधायक भुवन चंद्र कापड़ी को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है. 49 वर्षीय करण माहरा अल्मोड़ा जिले के रानीखेत सीट से पूर्व विधायक रहे हैं. जबकि यशपाल आर्य उधमसिंह नगर की बाजपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

देहरादून: उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले यशपाल आर्य ऐसे राजनीतिज्ञ माने जाते हैं, जो हर बार और मजबूती से उभरकर आते हैं. यशपाल आर्य चुपचाप राजनीति की बिसात पर अपने मोहरे इस तरह सेट करते हैं कि मैदान में जीत का राजतिलक उनके ही सिर सज जाता है. उनकी सियासी शतरंजी चाल ही विपक्षी को सियासत के खेल में मात देती है. जो सियासत में शतरंजी चाल भी चलते हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ भी मजबूत रखते हैं.सरल और मिलनसार स्वभाव उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाए हुए हैं. वहीं यशपाल आर्य का राजनीतिक कद कुमाऊं के साथ ही एक विशेष वर्ग को भी प्रभावित करता है. आइए नजर डालते हैं यशपाल आर्य के राजनीतिक जादूगरी पर...

यशपाल आर्य का कद: उत्तराखंड में यशपाल आर्य का कद किसी भी दिग्गज नेता से कम नहीं है. कांग्रेस के बूथ स्तर की राजनीति से ककहरा सीखने के बाद यशपाल आर्य देखते ही देखते राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन गए. उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के विभाजन से पहले से ही यशपाल आर्य विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ते रहे हैं. यशपाल आर्य दसवीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 12वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए उनका दूसरा कार्यकाल भी शानदार रहा.

पढ़ें-नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर यशपाल आर्य ने आलाकमान का जताया आभार, कहा- जनमुद्दों को लेकर सदन में बनेंगे जनता की आवाज

सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी: यशपाल आर्य ने अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों पर ऐसा जादू किया कि जनता ने हर परिस्थिति में बस उनका ही दामन थामे रखा. यशपाल आर्य की यह जादूगरी केवल अपनी विधानसभा की जनता तक ही नहीं रही, बल्कि राजनेताओं और पार्टी हाईकमान तक भी उन्होंने अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि हर कोई उनका मुरीद दिखाई दिया. यशपाल आर्य राजनीति के जादूगर मानें जाते हैं, उन्हें यह खिताब इसलिए भी दिया जा सकता है क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद न केवल उन्होंने अपने हर चुनाव को जीतने में कामयाबी हासिल की, बल्कि पिछले 22 सालों में यशपाल आर्य कभी कमजोर नहीं हुए.

हमेशा बड़े पदों पर रहे काबिज: राज्य में ऐसा आज तक कोई मौका नहीं आया जब यशपाल आर्य के पास कोई बड़ा पद ना हो. यशपाल आर्य ने पार्टी के सर्वोच्च पद पाने में हमेशा कामयाबी हासिल की. राज्य स्थापना के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के बाद यशपाल आर्य साल 2002 से 2007 तक सत्ताधारी पार्टी के विधायक बनकर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली. साल 2007 से 2012 तक उत्तराखंड में भाजपा की सरकार रही लेकिन इसके बावजूद भी यशपाल आर्य ताकतवर नेता के रूप में दिखाई दिए. दरअसल, यशपाल आर्य इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर विराजमान रहे. उनका प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर 2007 से 2014 तक कार्यकाल रहा.

ताकतवर नेताओं में गिनती: अगला चुनाव 2012 में हुआ और एक बार फिर सरकार कांग्रेस की आई इस बार भी यशपाल आर्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर महत्वपूर्ण विभागों को संभालते हुए दिखाई दिए. 2012 से 2017 तक उनका कार्यकाल रहा. इसके बाद यशपाल आर्य ने पार्टी बदल दी और वह भाजपा में शामिल हो गए, प्रदेश में भी अब 2017 विधानसभा चुनाव में सत्ता भाजपा की ही थी, लिहाजा यशपाल आर्य दलबदल करने के बावजूद भी जीतकर विधानसभा पहुंचे और भाजपा की सरकार में भी महत्वपूर्ण विभागों में कैबिनेट मंत्री के तौर पर मजबूती के साथ दिखाई दिए. यशपाल आर्य ने साल 2017 से 2022 तक भाजपा में कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम किया.

पढ़ें-उत्तराखंड कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने करण माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य

राजनीतिक पैतरेबाजी के माहिर खिलाड़ी: अब साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की, लेकिन इस बार सरकार भाजपा एक बार फिर बना ले गई. यशपाल आर्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन इस बार उन्हें विपक्ष में बैठना है. राजनीति के जादूगर यशपाल आर्य का राजनीतिक पैतरा इतना शानदार था कि इस बार भी उन्होंने दलबदल करने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद को पाने में कामयाबी हासिल कर ली. जिसे उन्हें विरोधी पचा नहीं पा रहे हैं.

पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज धराशायी हो गए और कांग्रेस हाईकमान ने यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले इतने महत्वपूर्ण पद से नवाज दिया. ये वही यशपाल आ रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस की सरकार को 2017 में अचानक जोर का झटका दिया और पार्टी छोड़ कर चले गए लेकिन इसके बावजूद जिस तरह उनकी वापसी के बाद उन्हें इतने बड़े पद से नवाजा गया है उसे यशपाल आर्य के राजनीतिक जादूगरी का ही असर माना जा रहा है.

बता दें कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने करण माहरा (karan mahra uttarakhand congress president) को उत्तराखंड कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष (Uttarakhand congress new president) और यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. जबकि खटीमा सीट से विधायक भुवन चंद्र कापड़ी को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है. 49 वर्षीय करण माहरा अल्मोड़ा जिले के रानीखेत सीट से पूर्व विधायक रहे हैं. जबकि यशपाल आर्य उधमसिंह नगर की बाजपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

Last Updated : Apr 26, 2022, 5:43 PM IST
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