देहरादून: मंगलवार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल के पास होने पर जहां बीजेपी इसे अपनी बड़ी जीत के तौर पर देख रही है तो वहीं कांग्रेस बौखलाई हुई नजर आ रही है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अब शरियत का हवाला देने में लगे हुए हैं.
राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि जिस तीन तलाक को मोदी सरकार ने कुप्रथा बता कर राज्यसभा में बिल पास करा दिया है, उसे मुस्लिम शरीयत नहीं मानती है. तीन तलाक बिल को पारित कर बीजेपी देश के कम्युनिटी को आइसोलेट करना चाहती है. क्योंकि शरीयत (मुस्लिम कानून) में पहले से ही तीन तलाक अवैध है. फिर कानून बनाने का कोई औचित्य नहीं रहता है.
धस्माना ने कहा कि सवाल तीन तलाक बिल के स्वागत या विरोध का नहीं है. ये देश का पहला कानून होगा कि जिसके अंदर शिकायतकर्ता को बेल के दौरान अवसर दिया जाएगा कि वह आकर कचहरी में कहे कि अपराध घटित हुआ है या नहीं.
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उन्होंने कहा कि मुस्लिम लॉ में विवाह एक सिविल कांट्रेक्टर और सिविल कांटेक्ट में सरकार ने संघीय अपराध बना दिया है. यदि ऐसी परिस्थितियां पैदा होती हैं कि कोई तीन बार तलाक एक साथ दे तो शरीयत भी इसकी इजाजत नहीं देता है. सरकार ने भले ही राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास करा दिया हो मगर सरकार को यह भी जोड़ना चाहिए था कि शरीयत में तीन तलाक का पहले से ही प्रावधान है. इसलिए सरकार तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में ला रही है.