देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि जब जनता सेवा करने का मौका देती है तो सेवा को सेवा भाव से करना चाहिए. उसमें अहंकार नहीं पालना चाहिए. लेकिन 57 विधायकों वाली भाजपा सरकार अपने फैसले जनता पर थोप रही है. यही वजह है कि बीजेपी के ही बड़े नेताओं और मुख्यमंत्री के बीच घमासान हो रहा है.
जहां एक ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर याचिका दायर की है तो वहीं दूसरी ओर नैनीताल सांसद देवस्थानम बोर्ड को ठीक नहीं बता रहे हैं. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार जब परम्पराओं और लोगों की आस्था को तोड़ने का काम करेगी तो उसका यही रिजल्ट सामने आएगा. जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि भाजपा में देवस्थानम बोर्ड के नाम पर हो रहा झगड़ा, हकीकत में मुख्यमंत्री की कुर्सी के झगड़े के रूप में दिखाई दे रहा है.
सरकार ने सोच-विचार कर लिया फैसला- बंशीधर भगत
उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला राज्य सरकार ने बहुत सोच-विचार कर लिया है. यह फैसला जब राज्य सरकार ने लिया तो उस दौरान अजय भट्ट, प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे. ऐसे में उनकी भी राय ली गई थी और जिन्हें इस बोर्ड से आपत्ति है वो न्यायालय गए हैं. लिहाजा जो न्यायालय का निर्णय होगा वह सभी को स्वीकार होगा. भगत ने कहा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिस पर अजय भट्ट ने अपना स्पष्टीकरण भी दे दिया है.
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गौर हो, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने देवस्थानम बोर्ड को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिस पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रखा गया है. इसके साथ ही देवस्थानम बोर्ड पर भाजपा सांसद अजय भट्ट ने भी सरकार से पुनर्विचार करने की बात कही है. भाजपा के बड़े नेताओं की बोर्ड को लेकर की गयी बयानबाजी पर जहां एक ओर कांग्रेस लगातार राज्य सरकार और संगठन पर सवाल उठा रही है तो वहीं, संगठन अब इस मामले के कोर्ट में होने का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से बच रहा है.