देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का निर्णय लिया है. उन्होंने कांग्रेस की ओर से प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराए जाने के सवाल पर भी आपत्ति जताया. उन्होंने कहा कि बार-बार यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने राम मंदिर का न्योता ठुकराया है, जो सही नहीं है.
पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि हम राम के दरबार में जाकर राम लला के दर्शन जरूर करेंगे, लेकिन बीजेपी ने जिस तरह 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भाजपायीकरण और संघीयकरण कर सामरोह को हाईजैक कर लिया हो, ऐसी स्थिति में किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनावी मौके पर अपने प्रतिद्वंद्वी दल के समारोह में जाना संभव नहीं है.
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अयोध्या जरूर जाएंगे, लेकिन बीजेपी के निमंत्रण पर नहीं: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साफतौर पर कहा कि वो श्री राम के दर्शनों के लिए अयोध्या जरूर जाएंगे, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के दिन बीजेपी के निमंत्रण पर नहीं जाएंगे. वहीं, हरीश रावत के इस बयान से साफ हो रहा है कि उन्होंने इसे बीजेपी का कार्यक्रम करार दिया है.
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को भी भगवान राम से जोड़ा: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान राम खुद ही न्याय के प्रतीक रहे हैं, इसलिए न्याय के प्रतीक रहे भगवान श्री राम को स्मरण करते हुए न्याय यात्रा निकाला जा रहा है. यही प्रार्थना कर रहे हैं कि प्रभु दलित, महिला, नौजवानों, पीड़ितों को सामाजिक और आर्थिक न्याय मिलना चाहिए.