देहरादून: मसूरी में चल रहे तीन दिवसीय चिंतन शिविर पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में लाल फीताशाही हावी है. सरकार तेरी फाइल मेरी फाइल के खेल में उलझी हुई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर डीजीपी के इस्तीफे की मांग उठाई है. उन्होंने कहा शिविर करना गलत नहीं है, लेकिन लोग सरकार से पिछले सालों का भी हिसाब पूछेंगे, क्योंकि 2017 और 2022 के बीच सरकार ने इस प्रदेश में सत्तर हजार का कर्जा चढ़ा दिया है. उन्होंने सवाल उठाया राज्य गठन के बाद 2017 तक प्रदेश के ऊपर 35 हजार करोड़ का कर्जा था लेकिन 2017 से 2022 तक सरकार ने इस प्रदेश को 70 हजार करोड़ के कर्जे में दबा दिया.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि बेहतर होता कि ऐसे चिंतन शिविर से अच्छा सरकार अपने विकास कार्यों में ध्यान देती. उन्होंने कहा सरकार और मंत्रियों के बीच सामंजस्य का अभाव है. सरकार की बात अधिकारी और कर्मचारी सुनने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर डीजीपी के इस्तीफे की भी मांग उठाई है. करन माहरा ने कहा मुख्यमंत्री को तत्काल डीजीपी का इस्तीफा लेकर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारनी चाहिए.
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर साधा निशाना: करण माहरा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को अगर अधिकारी भ्रमित कर रहे हैं, या फिर उन्हें डार्क में रख रहे हैं तो यह किसकी कमी है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह कमी मुख्यमंत्री की है या फिर उनकी प्रशासनिक क्षमता की कमजोरी को दर्शाता है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री के रहते हुए प्रदेश के डीजीपी अंकिता भंडारी केस में उनकी भूमिका के बावजूद पद पर बने रहते हैं. अंकिता केस के सबूत मिटाए जाते हैं. अंकिता के माता पिता के वार्तालाप की रिकॉर्डिंग कराई जाती है और उस रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक कराया जाता है, फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती.
उन्होंने मुख्यमंत्री से डीजीपी के इस्तीफे की मांग दोहराई है. इधर, विधि विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी एसएलपी वापस लेने की बात करते हैं और फिर उसके बाद कहा जाता है कि एसएलपी वापस नहीं ली जाएगी. ऐसे में मुख्यमंत्री को यह बताना पड़ेगा कि उन्होंने उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जिन्होंने उन्हें अंधेरे में रखा। उन्होंने कहा कि अंकिता का केस हो या फिर केदार का केस हो, अंकिता भंडारी के केस में वीआईपी को बचाने के लिए सरकार और पुलिस ने जो कार्य किया है. उससे यदि मुख्यमंत्री परेड मजबूत होती तो अधिकारियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई की होती.
कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने खड़े किये सवाल: धामी सरकार के चिंतन शिविर पर कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा अगर राज्य के विकास को लेकर सरकार और अधिकारी गंभीर हैं तो धरातल पर काम भी दिखना चाहिए. ऐसे चिंतन मंथन शिविर से अगर कुछ ठोस नहीं निकला तो ऐसे मंथन शिविर का कोई फायदा नहीं. उन्होंने कहा इस चिंतन मंथन से कुछ भी नहीं निकलने वाला है. अगर विकास ही देखना है तो अधिकारियों को हिमाचल प्रदेश भेजना चाहिए. सुमित ने कहा सरकार को केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए इस तरह के शिविर नहीं करने चाहिए, बल्कि गंभीर चर्चा करके नई ठोस नीति बनाई जानी चाहिए. जिससे कि राज्य का विकास हो और जनता का भला हो सके.