देहरादून: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर निशाना साधने के बाद कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस पर उठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए आज कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ देहरादून पहुंचे और मीडिया से वार्ता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा पर पलटवार किया.
गौरव वल्लभ ने भाजपा सरकार को शराब प्रेमी बताया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पर्यटन पर आधारित दौरा था, जब वह आए तो उनको यहां की सरकार ने कागज थमा दिया और कह दिया कि यहां डेनिस शराब बिक रही है. उन्होंने कहा कि देवप्रयाग में यदि शराब फैक्ट्री लगाई गई है तो इसका श्रेय इसी भाजपा सरकार को जाता है. अब तो भाजपा शासनकाल में दबंग नाम की शराब भी बेची जा रही है.
अमित शाह का यह कहना कि डेनिस शराब से लोग मर रहे हैं. लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि शराब प्रेमी सरकार के शासनकाल में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन यहां की सरकार ने उनके हाथ में यह कागज नहीं थमाया. भाजपा शासनकाल में घर-घर मोबाइल बैंक के जरिए शराब बेची और किसी भाजपा सरकार के कार्यकाल में शराब की 120 दुकानें बढ़ा दी गईं.
घस्यारी नाम से आपत्ति: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि कल केंद्रीय गृह मंत्री ने घस्यारी कल्याण योजना की शुरुआत की. इस पार्टी इस योजना के नाम पर घोर आपत्ति जताती है. गौरव वल्लभ का कहना है कि इस योजना मे घस्यारी शब्द का क्या अर्थ होता है? यह गृह मंत्री को नहीं पता. एक ओर जहां उत्तराखंड की मातृशक्ति को तीलू रौतेली, बसंती देवी के नाम से जाना जाता है. उस प्रदेश महिलाओं की तुलना घस्यारी से नहीं की जा सकती.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार इस योजना को शुरू करके मुफ्त घास के अधिकार को छीनने जा रही है. उन्होंने इसे पहाड़ की महिलाओं की छवि को धूमिल करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि शाह के संबोधन में पूर्व सीएम हरीश रावत का नाम भी छाया रहा. इससे साफ प्रतीत होता है कि भाजपा कांग्रेस से भयभीत हो गई है. निसंदेह साल 2022 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी.
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रोजगार पर भी भाजपा सरकार पर निशाना: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह भी बताना चाहिए था कि बीते साढ़े 4 साल में कितने रोजगार के अवसर सृजित किए गए. भाजपा के खाते में यह रिकॉर्ड भी जाता है कि अपने शासनकाल में पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाएं नहीं कराई गईं. लेकिन जब चुनाव सामने दिख रहा है, तो भाजपा को रोजगार देने की बात याद आ गई. जो सरकार पौने पांच सालों में कुछ नहीं कर पाई अब क्या करेगी?