देहरादून: धामी सरकार दायित्वों का बंटवारा करने में फिलहाल लंबा वक्त लेती हुई दिखाई दे रही है. स्थिति यह है कि पार्टी में कार्यकर्ता और नेता लंबे समय से दायित्वों के लिए लॉबिंग करने में लगे हुए हैं, मगर सरकार कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त को देखते हुए दायित्व बंटवारे से ठिठक रही है. उधर कांग्रेस ने अपनी कार्यकारिणी पर अंगुली उठाने वाली भाजपा को इसी बहाने घेरने की कोशिश कर रही है.
उत्तराखंड भाजपा में दायित्व (Division of responsibilities in Uttarakhand BJP) के नाम पर कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने को लेकर सरकार खासी सुस्त दिखाई दे रही है. मौजूदा भाजपा सरकार ही नहीं बल्कि 2017 के बाद सत्ता में आयी त्रिवेंद्र सरकार ने भी कार्यकर्ताओं को लंबा इंतजार करवाया था. खास बात यह है कि इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं को जल्द ही दायित्वों के बंटवारे को लेकर उम्मीद थी, लेकिन यह उम्मीद पूरी होती हुई नहीं दिखाई दे रही है.
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फिलहाल कुछ महत्वपूर्ण परिषद, आयोग और निगम के अलावा दायित्वों का बंटवारा नहीं किया गया है. हालांकि दायित्व बंटवारे को लेकर समय-समय पर कयास लगाए जाते रहे हैं, लेकिन इस पर कोई सूची जारी नहीं होती है. मौजूदा समय में कांग्रेस ने दायित्व को लेकर सरकार की चुप्पी पर निशाना साधा है. दरअसल, पिछले कुछ समय से लगातार भाजपा कांग्रेस पर कार्यकारिणी घोषित न कर पाने का आरोप लगाती रही है. इसके लिए कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी को भाजपा जिम्मेदार बताती रही है. ऐसे में अब जब सरकार दायित्वों का बंटवारा नहीं कर पा रही है तो कांग्रेस को बैठे-बिठाए इस पर पलटवार करने का मौका मिल गया है.
इस सबके बीच भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन क्योंकि दायित्व का बंटवारा मुख्यमंत्री के विवेक पर होता है, इसमें पार्टी हाईकमान की भी मंजूरी ली जाती है, लिहाजा फिलहाल इस पूरे मामले में सरकार कदम आगे बढ़ाते भी नहीं दिखाई दे रही है.
हालांकि, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा जरूर सफाई दे रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट कहते हैं कि यह मामला मुख्यमंत्री के विवेक का है. मुख्यमंत्री ही इस पर कुछ फैसला ले सकते हैं. उन्होंने कहा सरकार सही वक्त का इंतजार कर रही है.