देहरादून: बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी, इसके बाद भी कांग्रेस भाजपा से पिछड़ गई. इसके पीछे एक वजह ये भी रही कि बागेश्वर विधानसभा का उप चुनाव भले ही वोटों की संख्या के लिए भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा हो, लेकिन इसमें बाकी दलों के प्रत्याशियों द्वारा हासिल किए गए वोट भी भाजपा की जीत के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.
उपचुनाव के परिणाम आने के बाद SP और कांग्रेस में खटास: उत्तर प्रदेश में घोसी विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तमाम मंत्रियों के प्रयासों के बावजूद इस सीट को अपने नाम कर लिया है. घोसी विधानसभा और बागेश्वर विधानसभा में चुनाव परिणाम के कारण कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच खटास की स्थिति बन गई है. दरअसल उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को समर्थन करते हुए अपना कोई भी प्रत्याशी नहीं उतरा और नतीजा यह रहा कि मिलकर लड़े गए इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा को हरा दिया है.
बागेश्वर उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने पर SP से कांग्रेस खफा: उत्तराखंड में यह स्थिति काफी उलट थी, क्योंकि उत्तराखंड में चुनाव मैदान में कांग्रेस के साथ 'इंडिया' गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी भी भाग्य आजमा रही थी. यानी इस गठबंधन में शामिल होने के बाद भी समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया और अपना प्रत्याशी उतारा. बस इसी बात से खफा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने समाजवादी पार्टी को नसीहत देते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में जीत के लिए कांग्रेस का अहम रोल है और उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी ने अपना वही रोल नहीं निभाया.
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दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जुबानी जंग: कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौंनी ने बताया कि उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी और बाकी छोटे दलों ने बिना जन समर्थन के ही अपने प्रत्याशी बेवजह चुनाव मैदान में उतारे हैं. वहीं, अगर वो चुनाव में ना होते तो कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से होता और कांग्रेस इन परिणामों को बदल सकती थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 'इंडिया' गठबंधन में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी के इस तरह चुनाव लड़ने पर आपत्ति भी दर्ज कराई थी.
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