देहरादून: उत्तराखंड में आज से 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं का वैक्सीनेशन किया जाना था. लेकिन उत्तराखंड को वैक्सीन नहीं मिलने के बाद आज से वैक्सीनेशन अभियान की शुरूआत नहीं हो पाई. जहां प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है, वहीं वैक्सीन लगाने की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं.
गौर हो कि कोरोना की इन परिस्थितियों के बीच देशभर में 1 मई यानी आज से 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं का वैक्सीनेशन किए जाने का अभियान शुरू होना था. लेकिन वैक्सीन के टीके न मिलने से टीकाकरण नहीं हो पाया. यूं तो देशभर में इस अभियान की शुरुआत की जानी है, लेकिन मौजूदा हालातों के लिहाज से उत्तराखंड में आज से इस अभियान की शुरुआत नहीं हो पाई.
देश में वैक्सीन की कमी से सभी वाकिफ हैं. इस बार यह कमी उत्तराखंड में युवाओं के लिए शुरू होने वाले वैक्सीन अभियान पर भी दिख रही हैं. देशभर की तरह प्रदेश में 1 मई यानी आज से 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को वैक्सीन लगाए जाने का काम शुरू होना था, लेकिन हालात यह हैं कि उत्तराखंड के पास फिलहाल युवाओं को वैक्सीन लगाने के लिए कोई डोज नहीं है. उत्तराखंड को वैक्सीन नहीं मिलने के बाद आज से वैक्सीनेशन अभियान की शुरूआत नहीं हो पाई.
फिलहाल, राज्य में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. हैरानी की बात यह है कि सरकार से लेकर शासन स्तर तक से भी वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर दावे किए जा रहे हैं, लेकिन 30 अप्रैल शाम 6 बजे तक भी वैक्सीन की खेप उत्तराखंड तक नहीं पहुंची है. जानकारों के अनुसार सिरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से इसके मद्देनजर सरकार के स्तर पर बातचीत की जा रही है, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से अब तक उत्तराखंड को कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल पाए हैं.
भारत सरकार द्वारा जल्द दी जाएगी वैक्सीन- स्वास्थ्य सचिव
उत्तराखंड में कोविड-19 संबंधित व्यवस्थाओं के बारे में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जानकारी दी कि पिछले कई दिनों से लगातार सरकार द्वारा ऑक्सीजन बेड के लिए इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 18 वर्ष से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों को कोविड वैक्सीन के लिए 1,22,108 डोज कोविशील्ड एवं 42,370 डोज कोवैक्सीन की आपूर्ति जल्द भारत सरकार द्वारा की जाएगी, जिसके तत्पश्चात ही प्रदेश में 18 साल से 45 आयु के लोगों का वैक्सीनेशन शुरू किया जाएगा.
सचिव अमित नेगी ने यह भी जानकारी दी कि सरकार द्वारा आम जनता तक पहुंचाने के लिए एक पोर्टल भी बनाया गया है, जिसको कंट्रोल रूम के माध्यम से लगातार मॉनिटर भी किया जा रहा है. ई-संजीवनी पोर्टल के माध्यम से प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों को लाभ दिया जा रहा है. राज्य सरकार द्वारा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, एम्स एवं सेवानिवृत्त चिकित्सकों से भी मदद ली जा रही है.
उन्होंने बताया कि कोविड हेल्पलाइन 104 पर रोजाना 2000 फोन कॉल प्राप्त किए जा रहे हैं. राज्य सरकार के सामने चुनौतियां बहुत हैं लेकिन ऑक्सिजन सपोर्टेड बेड लगातार बढ़ाए जा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि दवाओं एवं मेडिकल इक्विपमेंट्स की कालाबाजारी रोकने के लिए शासन और पुलिस के स्तर पर नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है.
अभी तक वैक्सीन प्राप्त नहीं हुई- डीजी हेल्थ
इसके बाद भारत बायोटेक से उत्तराखंड सरकार 1,22,000 के आसपास वैक्सीन की व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है. राज्य सरकार को भारत बायोटेक की तरफ से भी अभी वैक्सीन को लेकर हामी नहीं भरी गई है. इसके बावजूद भी स्वास्थ्य सचिव और सरकार के मंत्रियों की तरफ से वैक्सीन अभियान को जिस तरह से समय पर शुरू करने के दावे किए जा रहे हैं, वह हैरान करने वाले हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा बेहद कम शब्दों में बचते-बचाते हुए कहती हैं कि फिलहाल राज्य को वैक्सीन प्राप्त नहीं हुई है और जैसे ही वैक्सीन की आपूर्ति होती है अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा.
इस मामले को लेकर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज हवा-हवाई बातें करते हुए दिखाई देते हैं. महाराज कहते हैं कि दवाइयों के लिए जिस तरह से प्लेन भेजा गया है, उसी तरह से वैक्सीन के लिए भी प्लेन भेजकर आपूर्ति को पूरा किया जाएगा. शायद मंत्री जी को यह जानकारी ही नहीं है कि वैक्सीन उपलब्ध कराने वाली कंपनियों ने ही अभी राज्य को वैक्सीन देने की हामी नहीं भरी है. ऐसे में समय से अभियान को शुरू करने का काम कैसे होगा यह समझ से परे है.
वैक्सीनेशन को लेकर असमंजस में अधिकारी
बता दें कि आज से 18 से 44 वर्षीय लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज लगाने का अभियान शुरू होगा या नहीं इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं थी जबकि वैक्सीनेशन के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन अनुसार Co-vin में पंजीकरण कराने का सिलसिला जारी है. देहरादून जिला अधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव की मानें तो राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक आगे के टीकाकरण अभियान की व्यवस्था बनाई जाएगी.
44+ को टीका लगाने का अभियान लगातार जारी है
वहीं 44 साल से ऊपर वालों की बात करें वह भी आवश्यकता मुताबिक लगातार प्राप्त हो रही हैं. जिलाधिकारी के अनुसार अभी 18 से 44 साल के लोगों को टीकाकरण लगाने के आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं. जैसे ही राज्य सरकार के इस विषय पर निर्देश जारी होंगे वैसे ही टीकाकरण का अभियान शुरू कर दिया जाएगा.
पौड़ी प्रशासन भी वैक्सीनेशन की तैयारियों जुटा
स्वास्थ्य विभाग पौड़ी ने भी 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोविड वैक्सीन की तैयारियां तेज कर दी थी. पौड़ी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि जनपद को अभी तक वैक्सीन नहीं मिल पाई है, जिससे कि वैक्सीनेशन करवाना संभव नहीं हो पा रहा है. पौड़ी जनपद में करीब 2 लाख 75 हजार ऐसे लोग है, जिन्हें यह वैक्सीन लगनी है. इसलिए सभी लोगों से आग्रह किया गया है कि आज से 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को वैक्सीन नहीं लगनी है, जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हो गया है उन्हें वैक्सीन लगने का दिन और स्थान भी बता दिया जाएगा.
उत्तराखंड में वैक्सीनेशन की स्थिति
बता दें, इस वैक्सीन अभियान को लेकर भारत सरकार द्वारा 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोगों के लिए 1,22,108 डोज कोविशील्ड वैक्सीन और 42,370 डोज कोवैक्सीन की आपूर्ति की जानी है. हालांकि, अभी तक वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर कोई फाइनल स्थिति नहीं बन पाई है. उधर, इस आयु वर्ग के लोग co-win पोर्टल पर पंजीकरण लगातार कर सकेंगे. फिलहाल देशभर में करीब 1.5 करोड़ लोग इस आयु वर्ग के पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं.
राज्य में फिलहाल वैक्सीन की 35 हजार डोज ही बची हुई हैं, जो कि 45 साल आयु वर्ग से अधिक उम्र के लोगों के लिए हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को बड़ी संख्या में राज्य में वैक्सीन की डोज दी गई है. राज्य में कुल 2,31,818 लोग हैं, जिन्हें दोनों डोज वैक्सीन की दी जा चुकी है. जबकि इस उम्र के 14,05,212 लोग हैं, जिन्हें एक डोज दी जा चुकी है.
वैक्सीन की कमी और शासन के बड़े अधिकारियों के दावों पर इसलिए भी संदेह होना लाजमी है क्योंकि एक तरफ 45 साल की उम्र से अधिक के लोगों के लिए बेहद कम कोटा बचा है. दूसरी तरफ 18 साल की उम्र से अधिक युवाओं के लिए अभियान की शुरुआत के लिए एक भी डोज नहीं पहुंची है. इस लिहाज से यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वैक्सीनेशन की कमी को सरकार कैसे पूरा करेगी और बिना ठोस बातचीत के इस तरह के दावे क्यों किए जा रहे हैं.