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पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन, विधायी कार्यों को लेकर रखे गए महत्वपूर्ण विचार - पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन देहरादून समाचार

विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का समापन हो गया है. अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि देवभूमि में हुए इस सम्मेलन में विधायी कार्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ.

79th conference of presiding officers , पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन देहरादून न्यूज
विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन .
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Published : Dec 19, 2019, 10:14 PM IST

देहरादून : प्रदेश में चल रहे विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का गुरुवार को समापन हो गया है. दो दिन तक हुई इस कार्यशाला में बुधवार को विधायी निकायों के सचिवों की और गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा के अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया गया .

विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन .

इस मौके पर देश के अलग अलग राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों का स्वागत किया गया. समापन समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह मंच पर मौजूद रहे, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहे .

अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि ओम बिड़ला ने कहा कि देवभूमि में हुए इस सम्मेलन में विधायी कार्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ. इस सम्मेलन में 24 विधान मंडलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन में विधायी निकायों के 27 पीठासीन अधिकारियों और विधानसभा के 20 सचिवों ने भाग लिया. आंध्रप्रदेश, बिहार और कर्नाटक राज्यों का प्रतिनिधित्व दोनों सदनों यानी विधानसभा और विधान परिषद द्वारा किया गया .

यह भी पढ़ें-सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा- नियंत्रण रेखा पर कभी भी बिगड़ सकते हैं हालात, तैयार हैं हम

ओम बिड़ला ने कहा कि सम्मेलन में गहन और संरचनात्मक विचार-विमर्श से पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का सामना करने, संसदीय और विधायी काम-काज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. पहले एजेंडे में शून्य काल सहित सभा में उपलब्ध साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ बनाना और क्षमता निर्माण पर चर्चा की गई.

यह भी पढ़ें-उत्तराखंड में एक बार फिर से जम्बो कांग्रेस कार्यकारिणी के आसार, PCC चीफ दोहराएंगे इतिहास

सम्मेलन में पहुंची सूबे की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विधान मंडलों ने हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है . उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पीठासीन अधिकारी सभा के निकायों शक्तियों और विशेष अधिकारों के संरक्षक हैं. इस तरह संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

देहरादून : प्रदेश में चल रहे विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का गुरुवार को समापन हो गया है. दो दिन तक हुई इस कार्यशाला में बुधवार को विधायी निकायों के सचिवों की और गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा के अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया गया .

विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का समापन .

इस मौके पर देश के अलग अलग राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों का स्वागत किया गया. समापन समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह मंच पर मौजूद रहे, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहे .

अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि ओम बिड़ला ने कहा कि देवभूमि में हुए इस सम्मेलन में विधायी कार्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ. इस सम्मेलन में 24 विधान मंडलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन में विधायी निकायों के 27 पीठासीन अधिकारियों और विधानसभा के 20 सचिवों ने भाग लिया. आंध्रप्रदेश, बिहार और कर्नाटक राज्यों का प्रतिनिधित्व दोनों सदनों यानी विधानसभा और विधान परिषद द्वारा किया गया .

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ओम बिड़ला ने कहा कि सम्मेलन में गहन और संरचनात्मक विचार-विमर्श से पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का सामना करने, संसदीय और विधायी काम-काज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. पहले एजेंडे में शून्य काल सहित सभा में उपलब्ध साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ बनाना और क्षमता निर्माण पर चर्चा की गई.

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सम्मेलन में पहुंची सूबे की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विधान मंडलों ने हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है . उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पीठासीन अधिकारी सभा के निकायों शक्तियों और विशेष अधिकारों के संरक्षक हैं. इस तरह संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

Intro:Note- इस खबर की फीड FTP से (uk_deh_02_presiding_officers_event_vis_byte_7205800) नाम से भेजी गई है।

एंकर- उत्तराखंड में चल रहे विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारीयों में 79वें सम्मेलन का आज समापन हो गया है। दो दिन तक हुई इस कार्यशाला में कल विधायी निकायों के सचिवों की और आज लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा के अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया गया।


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वीओ- विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का आज समापन हो गया है। इस मौके पर देश के अलग अलग राज्यों की विधानसभा अध्यक्षों का स्वागत किया गया। समापन समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक उपाध्यक्ष रगुनाथ सिंह मंच पर मोजूद रहे तो वहीं मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मोजूद रहे।

अपने सम्बोधन में ओम बिड़ला ने कहा कि देव भूमि में हुए इस सम्मेलन में विधायीकार्य को लेकर एक महत्वपूर्ण विचारविमर्श हुए। इस सम्मेलन में 24 विधान मंडलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में विधाई निकायों के 27 पीठासीन अधिकारियों और विधानसभा के 20 सचिवों ने भाग लिया। आंध्र प्रदेश बिहार और कर्नाटक राज्यों का प्रतिनिधित्व दोनों सदनों यानी विधानसभा और परिषद द्वारा किया गया।

सम्मेलन में पहुंची उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विधान मंडलों ने हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पीठासीन अधिकारी सभा के निकायों शक्तियों और विशेष अधिकारों के संरक्षक है। और इस तरह संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समापन समारोह के संबोधन में कहा कि सम्मेलन में गहन और संरचनात्मक विचार-विमर्श से पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का सामना करने, संसदीय और विधायी काम-काज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। पहले एजेंडा आइटम अर्थात शून्य काल सहित सभा में उपलब्ध साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ बनाना और क्षमता निर्माण पर चर्चा का उल्लेख करते हुए बिरला ने बताया कि इस बात पर सहमति हुई कि सभी सदस्यों को शून्यकाल में अभिलम्बनीय लोक महत्व की बात रखने का अवसर अधिकाधिक मिले ताकि विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबी सुनिश्चित किया जा सके।

बाइट- ओम बिड़ला, लोकसभा अध्यक्ष



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