देहरादून : प्रदेश में चल रहे विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का गुरुवार को समापन हो गया है. दो दिन तक हुई इस कार्यशाला में बुधवार को विधायी निकायों के सचिवों की और गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा के अध्यक्षों का सम्मेलन आयोजित किया गया .
इस मौके पर देश के अलग अलग राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों का स्वागत किया गया. समापन समारोह में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह मंच पर मौजूद रहे, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मौजूद रहे .
अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि ओम बिड़ला ने कहा कि देवभूमि में हुए इस सम्मेलन में विधायी कार्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुआ. इस सम्मेलन में 24 विधान मंडलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन में विधायी निकायों के 27 पीठासीन अधिकारियों और विधानसभा के 20 सचिवों ने भाग लिया. आंध्रप्रदेश, बिहार और कर्नाटक राज्यों का प्रतिनिधित्व दोनों सदनों यानी विधानसभा और विधान परिषद द्वारा किया गया .
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ओम बिड़ला ने कहा कि सम्मेलन में गहन और संरचनात्मक विचार-विमर्श से पीठासीन अधिकारियों को लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का सामना करने, संसदीय और विधायी काम-काज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. पहले एजेंडे में शून्य काल सहित सभा में उपलब्ध साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ बनाना और क्षमता निर्माण पर चर्चा की गई.
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सम्मेलन में पहुंची सूबे की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विधान मंडलों ने हमारे संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है . उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पीठासीन अधिकारी सभा के निकायों शक्तियों और विशेष अधिकारों के संरक्षक हैं. इस तरह संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.