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मसूरी माउंटेन फेस्टिवल का समापन, हिमालय की समृद्ध विविधता समेत उत्तराखंड की संस्कृति पर चर्चा - उत्तराखंड संस्कृति पर हुई चर्चा

मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल मसूरी के हेंडिफ सेंटर ऑफ वुडस्टॉक स्कूल के यूट्यूब चैनल के माध्यम से देखा गया. जिसमें देश-विदेश के सैकड़ों लोग जुड़े.

मसूरी माउंटेन फेस्टिवल 2020
मसूरी माउंटेन फेस्टिवल 2020
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Published : Dec 9, 2020, 10:18 PM IST

मसूरी: बुधवार को मसूरी माउंटेन फेस्टिवल 2020 का हिमालय की समृद्ध विविधता, विशेष रूप से उत्तराखंड की संस्कृति और परिदृश्यों पर हुई चर्चा और आकर्षक प्रदर्शनी के साथ समापन हुआ. प्रोफेसर डीआर पुरोहित ने प्रसिद्ध कवि चंद्र कुंवर भरतवाल के बारे में बात की और प्रसिद्ध गायक संजय पांडे द्वारा उनके गीत की संगीतमय व्याख्या की गई.

डॉ आर पुरोहित ने गढ़वाल के पांडवलीला लोक नाटकों पर भी अपनी बात रखी. गायक और कवि मोहम्मद मुनीम नजीर ने पारंपरिक कश्मीरी लोक गीत को मार्मिक भावनाओं के साथ प्रदर्शित किया. प्रकृति वादियों सुनीति भूषण दत्ता और संजय सोंधी ने देहरादून से इस क्षेत्र की जैव विविधता के बारे में बात की. ़

पढ़ें- IMA देहरादून में लाइट एंड साउंड कार्यक्रम का शानदार आयोजन

पर्वतारोहण को हरीश कपाड़िया और स्टीफन वेनबल्स के बीच एक साक्षात्कार भी चित्रित किया गया था. अरुणाचल प्रदेश में कवि ममंग दाई और गायक-गीतकार ताकर नबाम का भी अच्छा प्रतिनिधित्व था.

मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल मसूरी के हेंडिफ सेंटर ऑफ वुडस्टॉक स्कूल के यूट्यूब चैनल के माध्यम से देखा गया. जिसमें देश-विदेश के सैकडों लोग जुड़े. 2005 में स्थापित माउंटेन फ़ेस्टिवल पर्वतीय संस्कृति, कला और प्राकृतिक इतिहास के सभी पहलुओं को समाहित करने का प्रयास कर रहा है.

मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल के संस्थापक निदेशक स्टीफन ऑल्टर ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार सभी प्रस्तुतियों ऑनलाइन आयोजित की गई थी. उनकों उम्मीद है कि मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल दर्शकों के लिए आकर्षक का केन्द्र रहा.

मसूरी: बुधवार को मसूरी माउंटेन फेस्टिवल 2020 का हिमालय की समृद्ध विविधता, विशेष रूप से उत्तराखंड की संस्कृति और परिदृश्यों पर हुई चर्चा और आकर्षक प्रदर्शनी के साथ समापन हुआ. प्रोफेसर डीआर पुरोहित ने प्रसिद्ध कवि चंद्र कुंवर भरतवाल के बारे में बात की और प्रसिद्ध गायक संजय पांडे द्वारा उनके गीत की संगीतमय व्याख्या की गई.

डॉ आर पुरोहित ने गढ़वाल के पांडवलीला लोक नाटकों पर भी अपनी बात रखी. गायक और कवि मोहम्मद मुनीम नजीर ने पारंपरिक कश्मीरी लोक गीत को मार्मिक भावनाओं के साथ प्रदर्शित किया. प्रकृति वादियों सुनीति भूषण दत्ता और संजय सोंधी ने देहरादून से इस क्षेत्र की जैव विविधता के बारे में बात की. ़

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पर्वतारोहण को हरीश कपाड़िया और स्टीफन वेनबल्स के बीच एक साक्षात्कार भी चित्रित किया गया था. अरुणाचल प्रदेश में कवि ममंग दाई और गायक-गीतकार ताकर नबाम का भी अच्छा प्रतिनिधित्व था.

मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल मसूरी के हेंडिफ सेंटर ऑफ वुडस्टॉक स्कूल के यूट्यूब चैनल के माध्यम से देखा गया. जिसमें देश-विदेश के सैकडों लोग जुड़े. 2005 में स्थापित माउंटेन फ़ेस्टिवल पर्वतीय संस्कृति, कला और प्राकृतिक इतिहास के सभी पहलुओं को समाहित करने का प्रयास कर रहा है.

मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल के संस्थापक निदेशक स्टीफन ऑल्टर ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार सभी प्रस्तुतियों ऑनलाइन आयोजित की गई थी. उनकों उम्मीद है कि मसूरी माउंटेन फ़ेस्टिवल दर्शकों के लिए आकर्षक का केन्द्र रहा.

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