देहरादून: पिछले कई सालों से चल रही एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. सीएम त्रिवेंद्र ने न केवल खुद इसका बारीकी से अध्ययन करने का मन बनाया है, बल्कि युवाओं को भी परियोजना से जोड़ने का नया खाका तैयार किया है.
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उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई है. ऐसे में सरकार की प्राथमिकता हमेशा से ही युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की रहती है. एकीकृत आजीविका परियोजना सरकार की इस सोच को आगे बढ़ा रही है.
यूं तो राज्य के 11 जिलों में इस परियोजना के तहत काम किया जा रहा है, लेकिन अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसको और भी बेहतर तरीके से संचालित करने की योजना पर काम कर रहे हैं. इसके लिए अब विकासखंड स्तर पर चल रहे केंद्रों का अध्ययन किया जाएगा.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों से प्रत्येक विकास खंड के 4-4 केंद्रों की सूची देने के निर्देश दिए हैं. जिनका वह खुद अध्ययन करेंगे. यही नहीं सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए बेरोजगार युवाओं को भी इन केंद्रों में ले जाने और स्वरोजगार से जुड़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं.
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आजीविका योजना के तहत उत्तराखंड की स्थिति
उत्तराखंड में आजीविका परियोजना की कुल लागत 868 करोड़ 60 लाख रुपए है.
इसमें 63 प्रतिशत परियोजना से 14 प्रतिशत राज्य सरकार, 19 प्रतिशत बैंकों से फाइनेंस और 4 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा खर्च किया जाता है.
उत्तराखंड में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़, देहरादून, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, नैनीताल और चंपावत के 44 विकास खंडों में परियोजना संचालित हो रही है.
राज्य में कुल 126000 लोगों को परियोजना का मिल रहा है लाभ
परियोजना में सिंचाई के लिए 3291 एलडीपीई टैंकों का हुआ निर्माण, 650 हेक्टेयर में चारा विकास कार्यक्रम संचालित, परियोजना के तहत 918 बंजर भूमि को उपयोग में लाया गया, 150 क्लस्टर स्तरीय कलेक्शन सेंटर, 599 ग्रामीण स्तरीय स्मॉल कलेक्शन सेंटर, 129 नैनो पैकेजिंग यूनिट, 367 समूह मुर्गी पालन, 290 समूह औषधीय वाह सगंध पौध, 89 समूह इको टूरिज्म, 276 समूह गैर कृषि उद्यम.
आजीविका परियोजना की परफॉर्मेंस बेहतर हो तो राज्य में न केवल पलायन बल्कि रोजगार की समस्या को भी काफी हद तक समाप्त किया जा सकता है. यह परियोजना काफी साल से चल रही है, लेकिन मुख्यमंत्री का परियोजना को खुद प्राथमिकता देना इसके और भी बेहतर परिणाम ला सकता है.