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सचिवालय में उरेडा विभाग की समीक्षा बैठक, सीएम ने वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज सचिवालय में उरेडा द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा बैठक ली. इस दौरान विभिन्न योजनाओं की प्रगति को जानने के साथ वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने और इसके प्रचार-प्रसार को लेकर निर्देश जारी किए हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
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Published : Aug 10, 2020, 4:25 PM IST

देहरादूनः राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने और इससे जुड़ी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने को लेकर आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह और एनजीओ को जोड़ने पर बल दिया. इसके अलावा पर्वतीय जनपदों में 2-2 ब्लॉक चिन्हित कर अधिक पिरूल वाले ब्लॉक को बिजली उत्पादन में मॉडल ब्लॉक के रूप में स्थापित किये जाने पर जोर दिया गया. इस दौरान जनपद स्तर पर डीएफओ को नोडल अधिकारी भी बनाए जाने की बात कही गई.

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय. विशेष उत्सवों एवं पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा और मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर ली जाय.

सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि प्रदेश में वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक कार्य किये जा रहे हैं. सोलर में 272 मेगावाट के कार्य स्थापित हो चुके हैं. वर्ष 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई है. जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा. लघु जल विद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं.

राधिका झा ने बताया कि बायोमास एवं को-जनरेशन के क्षेत्र में 131 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं. नगरीय कूड़े करकट से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू इनर्जी नीति का गठन किया गया है. इसके लिए शहरी विकास विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया गतिमान है. 203 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गई थी, कोविड-19 की वजह से इन परियोजनाओं के स्थापित होने में और समय लगेगा.

पढ़ेंः दून में बारिश का रौद्र रूप: उफान पर रिस्पना-बिंदाल, दून स्कूल की गिरी दीवार

निदेशक उरेडा आलोक शेखर तिवा़री ने कहा कि पिरूल नीति-2018 के अन्तर्गत ऊर्जा उत्पादन हेतु 1060 कि.वा. क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं. प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है. प्रदेश के सभी जनपदों में केन्द्र पोषित योजना के अन्तर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 19,655 सोलर स्ट्रीट लाईटों की स्थापना का कार्य चल रहा है. यह कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा.

प्रदेश के सरकारी आवासीय विद्यालयों में निवासरत छात्रों को गर्म पानी की सुविधा हेतु कुल 50500 ली. प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग संयंत्र स्थापित किये गये हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक गांव को ‘‘ऊर्जा दक्ष ग्राम’’ के रूप में विकसित किये जाने का कार्य किया जा रहा है. यह कार्य दिसम्बर 2020 तक पूर्ण हो जायेगा. एलईडी ग्राम योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस योजना के तहत प्रदेश की लगभग सभी 8 हजार ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाईट लगाने की योजना तैयार की जा रही है. प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्युत की खपत में कमी करने के लिए सैकी के माध्यम से चयनित फर्मों द्वारा 1.899 पैसा प्रति यूनिट की दर पर सोलर पॉवर प्लान्ट लगाये जाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है.

देहरादूनः राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने और इससे जुड़ी योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने को लेकर आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह और एनजीओ को जोड़ने पर बल दिया. इसके अलावा पर्वतीय जनपदों में 2-2 ब्लॉक चिन्हित कर अधिक पिरूल वाले ब्लॉक को बिजली उत्पादन में मॉडल ब्लॉक के रूप में स्थापित किये जाने पर जोर दिया गया. इस दौरान जनपद स्तर पर डीएफओ को नोडल अधिकारी भी बनाए जाने की बात कही गई.

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय. विशेष उत्सवों एवं पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा और मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर ली जाय.

सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि प्रदेश में वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में अनेक कार्य किये जा रहे हैं. सोलर में 272 मेगावाट के कार्य स्थापित हो चुके हैं. वर्ष 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई है. जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा. लघु जल विद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं.

राधिका झा ने बताया कि बायोमास एवं को-जनरेशन के क्षेत्र में 131 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं. नगरीय कूड़े करकट से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू इनर्जी नीति का गठन किया गया है. इसके लिए शहरी विकास विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया गतिमान है. 203 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के स्थायी निवासियों को आवंटित की गई थी, कोविड-19 की वजह से इन परियोजनाओं के स्थापित होने में और समय लगेगा.

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निदेशक उरेडा आलोक शेखर तिवा़री ने कहा कि पिरूल नीति-2018 के अन्तर्गत ऊर्जा उत्पादन हेतु 1060 कि.वा. क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं. प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है. प्रदेश के सभी जनपदों में केन्द्र पोषित योजना के अन्तर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 19,655 सोलर स्ट्रीट लाईटों की स्थापना का कार्य चल रहा है. यह कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा.

प्रदेश के सरकारी आवासीय विद्यालयों में निवासरत छात्रों को गर्म पानी की सुविधा हेतु कुल 50500 ली. प्रतिदिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग संयंत्र स्थापित किये गये हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में एक-एक गांव को ‘‘ऊर्जा दक्ष ग्राम’’ के रूप में विकसित किये जाने का कार्य किया जा रहा है. यह कार्य दिसम्बर 2020 तक पूर्ण हो जायेगा. एलईडी ग्राम योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस योजना के तहत प्रदेश की लगभग सभी 8 हजार ग्राम पंचायतों में स्ट्रीट लाईट लगाने की योजना तैयार की जा रही है. प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्युत की खपत में कमी करने के लिए सैकी के माध्यम से चयनित फर्मों द्वारा 1.899 पैसा प्रति यूनिट की दर पर सोलर पॉवर प्लान्ट लगाये जाने के लिए सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है.

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