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क्या कर्ज से दूर होगा उत्तराखंड का मर्ज, लोन के बोझ तले दब रहा प्रदेश - त्रिवेंद्र सिंह रावत

उत्तराखंड सरकार प्रदेश को चलाने के लिए 500 करोड़ रुपये का लोन ले चुकी है. मामले पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड समय-समय पर कर्ज लेता आ रहा है. पिछले कर्ज को चुकाने में पिछली सरकारों ने काफी ढील बरती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

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Published : Aug 18, 2019, 6:53 PM IST

Updated : Aug 18, 2019, 7:51 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड इन दिनों आर्थिकी की मार झेल रहा है. ऐसे में सरकार प्रदेश को चलाने के लिए लगातार कर्ज ले रही है. अभीतक सरकार RBI से 500 सौ करोड़ रुपये का लोन ले चुकी है. वहीं, सूबे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि कर्ज लेना और देना एक सामान्य प्रक्रिया है. सभी राज्य कर्ज लेते हैं और कर्ज लेने के बाद प्रदेश में तमाम विकास कार्यों को करने के बाद लौटते भी हैं.

कर्ज को लेकर जानकारी देते सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और आर्थिक मामलों के जानकार.

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सरकार लोन लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का दावा कर रही है. कर्ज को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड राज्य भी समय-समय पर कर्ज लेता आ रहा है. पिछले कर्ज को चुकाने में पिछली सरकारों ने काफी ढील बरती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. साथ ही कहा कि कर्ज लेना गलत नहीं है, बल्कि कर्ज लिए गए पैसे का उपयोग किस तरह से हो रहा है. ये जरूरी है.

ये भी पढ़ेंः बारिश का कहरः उत्तरकाशी के आराकोट बंगाण क्षेत्र में भारी तबाही, एक की मौत, कई लापता

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि उनके द्वारा लिया जा रहा लोन राज्य की कर्ज लेने की सीमा के भीतर है. प्रदेश की GDP बढ़ रही है. जिसके चलते कर्ज लेने में कोई समस्या नहीं है. वहीं, उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि कर्ज लिए गए पैसे का सही जगह इस्तेमाल होगा और समय पर चुकाया भी जाएगा.

वहीं, आर्थिक मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार सुधाकर भट्ट का कहना है कि कोई भी सरकसर FRBM की नियमावली के अनुसार राज्य की जीडीपी के 7 प्रतिशत तक लोन ले सकती है. इस हिसाब से उत्तराखंड 7 हजार करोड़ रुपये तक का लोन ले सकता है. ऐसे में 500 करोड़ का लोन एक मामूली लोन है.

उन्होंने कहा कि पिछले लंबे समय से चला आ रहा लोन का बैकलॉग चिंता का विषय जरूर है. साथ ही कहा कि देश के अन्य राज्यों में स्थिति इससे भी बदतर है. आर्थिक मैनेजमेंट के नजरिये से देखा जाए तो उत्तराखंड की स्थिति अन्य राज्यों से काफी बेहतर है.

देहरादूनः उत्तराखंड इन दिनों आर्थिकी की मार झेल रहा है. ऐसे में सरकार प्रदेश को चलाने के लिए लगातार कर्ज ले रही है. अभीतक सरकार RBI से 500 सौ करोड़ रुपये का लोन ले चुकी है. वहीं, सूबे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि कर्ज लेना और देना एक सामान्य प्रक्रिया है. सभी राज्य कर्ज लेते हैं और कर्ज लेने के बाद प्रदेश में तमाम विकास कार्यों को करने के बाद लौटते भी हैं.

कर्ज को लेकर जानकारी देते सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और आर्थिक मामलों के जानकार.

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सरकार लोन लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का दावा कर रही है. कर्ज को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड राज्य भी समय-समय पर कर्ज लेता आ रहा है. पिछले कर्ज को चुकाने में पिछली सरकारों ने काफी ढील बरती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. साथ ही कहा कि कर्ज लेना गलत नहीं है, बल्कि कर्ज लिए गए पैसे का उपयोग किस तरह से हो रहा है. ये जरूरी है.

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सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि उनके द्वारा लिया जा रहा लोन राज्य की कर्ज लेने की सीमा के भीतर है. प्रदेश की GDP बढ़ रही है. जिसके चलते कर्ज लेने में कोई समस्या नहीं है. वहीं, उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि कर्ज लिए गए पैसे का सही जगह इस्तेमाल होगा और समय पर चुकाया भी जाएगा.

वहीं, आर्थिक मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार सुधाकर भट्ट का कहना है कि कोई भी सरकसर FRBM की नियमावली के अनुसार राज्य की जीडीपी के 7 प्रतिशत तक लोन ले सकती है. इस हिसाब से उत्तराखंड 7 हजार करोड़ रुपये तक का लोन ले सकता है. ऐसे में 500 करोड़ का लोन एक मामूली लोन है.

उन्होंने कहा कि पिछले लंबे समय से चला आ रहा लोन का बैकलॉग चिंता का विषय जरूर है. साथ ही कहा कि देश के अन्य राज्यों में स्थिति इससे भी बदतर है. आर्थिक मैनेजमेंट के नजरिये से देखा जाए तो उत्तराखंड की स्थिति अन्य राज्यों से काफी बेहतर है.

Intro:summary- प्रदेश सरकार द्वारा लगातार लिया जा रहा लोन का क्या रहेगा असर इस पर ख़बर।

एंकर- पूरे देश के साथ साथ उत्तराखंड भी अपने आर्थिक हालातों से इन दिनों जूझ रहा है जिसका अंदाज हम सरकार द्वारा लगातार लिए जा रहे 5 सौ करोड़ के लोन से लगा सकते हैं हालांकि उत्तराखंड के लिए ये कोई नई बात नही है, राज्य बनने के बाद से लगतार सरकार ने लोन लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का दावा किया है लेकिन एक चिंता जो बाहरी तौर से देखने से लगती है तो वो है लगातार पिछले 19 सालों से राज्य पर बढ़ता हुआ कर्ज का बोझ ऐसे में सरकार का इस पर क्या कहना है और साथ ही साथ आर्थिक मामलों के जानकार इस पर क्या सोचते हैं ये जानना भी जरूरी है।


Body:वीओ- मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से जब सरकार पर लगातार बढ़ते इस कर्ज को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कर्ज लेना देना एक सामान्य प्रक्रिया है और सभी राज्य कर्ज लेते हैं और कर्ज लेकर प्रदेश में तमाम विकास कार्यों को कर के कर लौटते भी है। ठीक इसी तरह से उत्तराखंड राज्य भी समय-समय पर कर्ज लेता रहा है लेकिन ये बात जरूर है कि पिछले कर्ज को चुकाने में पिछली सरकारों ने काफी ढील बरती है लेकिन अब ऐसा नही होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का कहना है कि कर्ज लेना गलत निहि है बल्कि कर्ज लिए गए पैसे का उपयोग किस तरह से हो रहा है ये देखने वाली बात है। सीएम त्रिवेन्द्र ने कहा कि उनके द्वारा लिया जा रहा कर्ज राज्य की कर्ज लेने की सीमा के भीतर है। प्रदेश की GDP बढ़ रही है जिसके चलते कर्ज लेने में कोई समस्या नही है लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि कर्ज लिया गया पैसे का सही जगह इस्तमाल होगा और समय से इसे चुकाया भी जेएगा।

बाइट- त्रिवेन्द्र रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

वहीं इसी मामले में आर्थिक मामलों के जानकार और प्रदेश की अर्थ व्यवस्था पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुधाकर भट्ट का कहना है कि कोई भी सरकसर FRBM की नियमावली के अनुसार राज्य की जीडीपी के 7 प्रतिशत तक लोन ले सकती है। उस हिसाब से देखे तो उत्तराखंड की जीडीपी के अनुसार प्रदेश 7 हजार करोड़ तक का लोन ले सकता है और उस हिसाब से 500 करोड़ का लोन एक मामूली लोन है हालांकि पिछले लंबे समय से चलता आ रहा लोन का बैकलोक चिंता का विषय जरूर है। आर्थिक मामलों के जानकार सुधाकर भट्ट ने बताया कि देश के अन्य राज्यों में स्थिति इस से भी बत्तर है और आर्थिक मैनेजमेंट के नजरिये से देखा जाय तो उत्तराखंड की स्थिति अन्य राज्यों से काफी बेहतर है।

बाइट- सुधाकर भट्ट, वरिष्ठ पत्रकार


Conclusion:
Last Updated : Aug 18, 2019, 7:51 PM IST
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