देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार को साढ़े 3 साल पूरे हो गए हैं. ऐसे भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के इस कार्यकाल पर हुए विकास कार्यों को जनता के सामने पेश किया है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न सेक्टर्स में कांग्रेस सरकार के लिहाज से हुए कार्यों के तुलनात्मक आंकड़े भी दिए हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अब तक 85 फीसदी वादे पूरे कर दिए हैं. इस दौरान राज्य सरकार ने रोजगार से लेकर खेती तक में कई नए काम भी किए. इस सरकार में जीरो टॉलरेंस नीति का खास तौर पर जिक्र किया गया.
रोजगार के आंकड़े
सीएम ने कहा कि अप्रैल 2017 से सितंबर 2020 तक विभिन्न विभागों के अंतर्गत कुल 7 लाख 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है. इनमें नियमित रोजगार लगभग 16 हजार, आउटसोर्स/अनुबंधात्मक रोजगार लगभग 1 लाख 15 हजार और स्वयं उद्यमिता/प्राइवेट निवेश से प्रदान/निर्माणाधीन परियोजनाओं से रोजगार लगभग 5 लाख 80 हजार है.
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की गई भर्तियों की बात की जाए तो इसके माध्यम से वर्ष 2014 से 2017 तक कुल 8 परीक्षाएं आयोजित की गईं हैं. जिनमें 801 पदों पर चयन पूर्ण किया गया. जबकि, वर्ष 2017 से 2020 तक कुल 59 परीक्षाएं आयोजित की गईं. जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया. वर्तमान में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 7200 पदों पर अधियाचन/भर्ती प्रक्रिया गतिमान है.
मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है. कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रूपए अतिरिक्त व्यय किए गए हैं. आगामी तीन माह में कैम्पा के अंतर्गत 40 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना है.
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ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया है. गैरसैंण में राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है. भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है. इसमें तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है. अटल आयुष्मान योजना में राज्य के सभी परिवारों को 5 लाख रूपए वार्षिक की नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है. अभी 2 लाख 5 हजार मरीजों को योजना में नि:शुल्क उपचार मिला है. जिस पर 180 करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं. नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा देते हुए देशभर के 22 हजार से अधिक अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हैं.
कार्य संस्कृति में सुधार
ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाइन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्य संस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस सरकार की प्रमुख नीति है. इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 25 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है. अगले डेढ़ वर्ष में इसे 40 हजार करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है.
रिवर्स पलायन पर सुनियोजित प्रयास
पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखण्ड में पहली बार किसी सरकार ने रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है. एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है. सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं. 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है. बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं. हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है.
किसानों को तीन लाख रूपए और महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रदेश के गन्ना किसानों को अवशेष गन्ना मूल्य का शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया गया है.
नए पर्यटन केद्रों का विकास
13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टिनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है. होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. विभिन्न रोपवे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. जलसंरक्षण और जलसंवर्धन पर काफी काम किया गया है. प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक जन अभियान शुरू किया गया है.
डबल इंजन का असर
डबल इंजन का असर साफ-साफ देखा जा सकता है. केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं. बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है. इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियोजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, भारत नेट फेज -2 परियोजना, एयर कनेक्टविटी पर किया जा रहा काम मुख्य है. उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जहां उड़ान योजना में हेली सेवा प्रारम्भ की गई है. इसके साथ ही सरकार ने बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाया है.
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राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
पिछले लगभग साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखण्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. नीति आयोग द्वारा जारी 'भारत नवाचार सूचकांक 2019' में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखण्ड सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल है. राज्य को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया है.
स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में उधम सिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया है. उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया है.
जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले हैं. मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है.
लोक कल्याणकारी सरकार
आंगनबाड़ी वर्कर्स, आंगनबाड़ी सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी की गई है. वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांगजन पेंशन की राशि को 1000 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 1200 रूपए प्रतिमाह किया गया. ग्राम प्रहरियों का मानदेय रूपए 2000 हजार प्रतिमाह किया गया है. दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है. उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां अनाथ बच्चों की चिंता करते हुए उनके लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था की गई है.
दुर्घटना राहत राशि को मृत्यु पर 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख, गम्भीर घायल होने पर 20 हजार से बढ़ाकर 40 हजार और साधारण घायल होने पर 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया है. शहीद सैनिकों के परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दी जा रही है. विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में कई गुना बढ़ोतरी की गई है.
हेल्थ सिस्टम हुए मजबूत
उत्तराखण्ड में सभी के सहयोग से कोविड-19 से लड़ाई लड़ी जा रही है. परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं. सर्विलांस, सैंपलिंग, टेस्टिंग पर फोकस किया जा रहा है. राज्य में हेल्थ सिस्टम को मजबूत किया गया है. पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. अब राज्य के सभी जनपदों में आईसीयू स्थापित किए जा चुके हैं. मार्च में राज्य में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग सुविधा नहीं थी. वर्तमान में 5 सरकारी और विभिन्न प्राइवेट लैब में कोविड-19 के सैंपल की जांच की जा रही है.
वर्तमान में 481 आईसीयू बेड, 543 वेंटिलेटर्स, 1846 ऑक्सीजन सपोर्ट बेड, 30,500 आइसोलेशन बेड उपलब्ध हैं. रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं. पिछले लगभग तीन साल में पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या में पहले से लगभग ढाई गुना वृद्धि की गई है. टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी लाभदायक साबित हो रही हैं.