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सीमांत क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में मददगार होंगे अधिवक्ताओं के सुझावः CM त्रिवेंद्र - सीएम त्रिवेंद्र वर्चुअल रैली

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड की वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं के सुझाव सीमांत क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में भी मददगार होंगे. वहीं, चकबंदी से भूमि के बेहतर इस्तेमाल में मदद मिलने की बात भी कही है.

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त्रिवेंद्र सिंह रावत
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Published : Sep 19, 2020, 11:10 PM IST

देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड की वर्चुअल रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं के विचार और सुझावों की जानकारी ली. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि अधिवक्ताओं के सुझाव सीमांत क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में भी मददगार होंगे.

  • आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड की वर्चुअल रैली को सम्बोधित किया।अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड से जुड़े अधिवक्ताओं के विचार एवं सुझावों को सुना। देहरादून स्थित सभी कोर्ट एक ही परिसर में स्थापित हों इसके प्रयास किये जायेंगे। pic.twitter.com/BBsMe6Et0A

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) September 19, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड से जुड़े अधिवक्ताओं के विचार और सुझावों की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न शासनादेश अधिनियम आदि निर्गत करने से पूर्व उन्हें पब्लिक डोमेन में डाले जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे उसमें ज्यादा से ज्यादा सुझाव मिल सके और वे व्यावहारिकता के साथ लागू हो सके.

ये भी पढ़ेंः महाकुंभ 2021: सीमित रूप से आयोजन, साधु-संतों से बैठक के बाद होगा अंतिम फैसला

उन्होंने कहा कि देहरादून स्थित सभी कोर्ट एक ही परिसर में स्थापित हों इसके लिए प्रयास किए जाएंगे. स्वैच्छिक चकबंदी के लिए उनके स्तर पर पहले भी प्रयास किए गए थे. इसे लागू करने के लिए इसमें आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा. पर्वतीय जिलों में गोल खातों के कारण इसमें व्यावहारिक दिक्कत आ रही है, यदि यह लागू हो गया तो यह प्रदेश के लिए क्रांतिकारी कदम होगा.

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि इससे भूमि के बेहतर उपयोग में भी मदद मिलेगी. इसमें अधिवक्ताओं से अपना सुझाव देने की भी मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की, यह राज्य हित में उनका बड़ा योगदान भी होगा. राज्य की साक्षरता दर केरल, दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है, जो वर्तमान में 86 प्रतिशत है, इसे 95 प्रतिशत तक ले जाने के प्रयास में अधिवक्तागण सहयोगी बनें.

इसी प्रकार कुपोषण के विरूद्ध अभियान में भी उन्होंने सहयोग की जरूरत बताई. करीब 1700 बच्चों को गोद लेकर उन्हें कुपोषण से मुक्त किया गया है, इसमें भी अधिवक्ता सहयोग दे सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य हित में अधिवक्ताओं के सुझावों पर राज्य सरकार अमल करेगी.

देहरादूनः मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड की वर्चुअल रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं के विचार और सुझावों की जानकारी ली. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि अधिवक्ताओं के सुझाव सीमांत क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान में भी मददगार होंगे.

  • आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड की वर्चुअल रैली को सम्बोधित किया।अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखण्ड से जुड़े अधिवक्ताओं के विचार एवं सुझावों को सुना। देहरादून स्थित सभी कोर्ट एक ही परिसर में स्थापित हों इसके प्रयास किये जायेंगे। pic.twitter.com/BBsMe6Et0A

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) September 19, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड से जुड़े अधिवक्ताओं के विचार और सुझावों की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न शासनादेश अधिनियम आदि निर्गत करने से पूर्व उन्हें पब्लिक डोमेन में डाले जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे उसमें ज्यादा से ज्यादा सुझाव मिल सके और वे व्यावहारिकता के साथ लागू हो सके.

ये भी पढ़ेंः महाकुंभ 2021: सीमित रूप से आयोजन, साधु-संतों से बैठक के बाद होगा अंतिम फैसला

उन्होंने कहा कि देहरादून स्थित सभी कोर्ट एक ही परिसर में स्थापित हों इसके लिए प्रयास किए जाएंगे. स्वैच्छिक चकबंदी के लिए उनके स्तर पर पहले भी प्रयास किए गए थे. इसे लागू करने के लिए इसमें आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा. पर्वतीय जिलों में गोल खातों के कारण इसमें व्यावहारिक दिक्कत आ रही है, यदि यह लागू हो गया तो यह प्रदेश के लिए क्रांतिकारी कदम होगा.

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि इससे भूमि के बेहतर उपयोग में भी मदद मिलेगी. इसमें अधिवक्ताओं से अपना सुझाव देने की भी मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की, यह राज्य हित में उनका बड़ा योगदान भी होगा. राज्य की साक्षरता दर केरल, दिल्ली के बाद तीसरे स्थान पर है, जो वर्तमान में 86 प्रतिशत है, इसे 95 प्रतिशत तक ले जाने के प्रयास में अधिवक्तागण सहयोगी बनें.

इसी प्रकार कुपोषण के विरूद्ध अभियान में भी उन्होंने सहयोग की जरूरत बताई. करीब 1700 बच्चों को गोद लेकर उन्हें कुपोषण से मुक्त किया गया है, इसमें भी अधिवक्ता सहयोग दे सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य हित में अधिवक्ताओं के सुझावों पर राज्य सरकार अमल करेगी.

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