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सीएम तीरथ सिंह रावत ने आपातकाल में जान गंवाने वालों को दी श्रद्धांजलि - Emergency Declaration

सीएम तीरथ सिंह रावत ने आपातकाल के खिलाफ संकल्पबद्धता एवं संघर्ष का पर्याय बने प्रत्येक स्वर को सादर श्रद्धांजलि दी है.

Emergency news
सीएम तीरथ सिंह रावत
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Published : Jun 25, 2021, 12:23 PM IST

देहरादून: सीएम तीरथ सिंह रावत ने आपातकाल के खिलाफ संकल्पबद्धता एवं संघर्ष का पर्याय बने प्रत्येक स्वर को सादर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है 25 जून, 1975 के विरुद्ध स्वर बुलंद करने वाली हुतात्माओं को सादर नमन.

बता दें, 25 जून, 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की थी, जिसके बाद लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए थे.

  • भारतीय लोकतंत्र में निकृष्ट राजनीति द्वारा 25 जून 1975 को समाहित हुए काला अध्याय "आपातकाल" के विरूद्ध संकल्पबद्धता एवं संघर्ष का पर्याय बने प्रत्येक स्वर को सादर श्रद्धांजलि॥ #DarkDaysOfEmergency pic.twitter.com/Ljvnx9jC9D

    — Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देश में आपातकाल की घोषणा आम जनता को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए दी गई थी. देशभर में आपातकाल लगाए जाने के बाद मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानी मीसा के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

पढ़ें- 'इमरजेंसी की वो वजहें आज भी हैं मौजूद'

आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके साथ इंदिरा की नीतियों का विरोध कर रहे कई और नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया और देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया.

आपातकाल पर सियासत

आपातकाल का वो दौर गुजरे करीब 5 दशक का वक्त बीत चुका है लेकिन उस दौर पर सियासत लगातार जारी है. विरोधी दल कांग्रेस को हर बार आपातकाल को लेकर घेरते हैं. आपातकाल का मुद्दा चुनावी रैलियों में भी कांग्रेस के विरोधी खूब भुनाते हैं. आपातकाल के दौरान जेल में रहे नेता उस दौर को याद करते हुए उसे भारतीय इतिहास और लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हैं.

केंद्र के साथ कई राज्यों में आज बीजेपी की सरकार है. आपातकाल के दौरान जेल में रहने वाले लोगों को सरकार की तरफ से पेंशन तक का प्रावधान किया गया है. कुल मिलाकर सियासत उस आपातकाल को अपने फायदे लिए इस्तेमाल करती रही है और आगे भी करती रहेगी. लेकिन आपातकाल एक सबक है कि अपने स्वार्थ के लिए शक्तियों का दुरुपयोग करने वालों को जनता सबक सिखाती है. भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इसकी कई मिसालें हैं.

देहरादून: सीएम तीरथ सिंह रावत ने आपातकाल के खिलाफ संकल्पबद्धता एवं संघर्ष का पर्याय बने प्रत्येक स्वर को सादर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है 25 जून, 1975 के विरुद्ध स्वर बुलंद करने वाली हुतात्माओं को सादर नमन.

बता दें, 25 जून, 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की थी, जिसके बाद लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए थे.

  • भारतीय लोकतंत्र में निकृष्ट राजनीति द्वारा 25 जून 1975 को समाहित हुए काला अध्याय "आपातकाल" के विरूद्ध संकल्पबद्धता एवं संघर्ष का पर्याय बने प्रत्येक स्वर को सादर श्रद्धांजलि॥ #DarkDaysOfEmergency pic.twitter.com/Ljvnx9jC9D

    — Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) June 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

देश में आपातकाल की घोषणा आम जनता को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए दी गई थी. देशभर में आपातकाल लगाए जाने के बाद मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानी मीसा के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

पढ़ें- 'इमरजेंसी की वो वजहें आज भी हैं मौजूद'

आपातकाल लगते ही इंदिरा के कड़े विरोधी माने जा रहे जयप्रकाश नारायण को 26 जून की रात डेढ़ बजे गिरफ्तार कर लिया गया था. उनके साथ इंदिरा की नीतियों का विरोध कर रहे कई और नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया और देशभर की कई जेलों में डाल दिया गया.

आपातकाल पर सियासत

आपातकाल का वो दौर गुजरे करीब 5 दशक का वक्त बीत चुका है लेकिन उस दौर पर सियासत लगातार जारी है. विरोधी दल कांग्रेस को हर बार आपातकाल को लेकर घेरते हैं. आपातकाल का मुद्दा चुनावी रैलियों में भी कांग्रेस के विरोधी खूब भुनाते हैं. आपातकाल के दौरान जेल में रहे नेता उस दौर को याद करते हुए उसे भारतीय इतिहास और लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हैं.

केंद्र के साथ कई राज्यों में आज बीजेपी की सरकार है. आपातकाल के दौरान जेल में रहने वाले लोगों को सरकार की तरफ से पेंशन तक का प्रावधान किया गया है. कुल मिलाकर सियासत उस आपातकाल को अपने फायदे लिए इस्तेमाल करती रही है और आगे भी करती रहेगी. लेकिन आपातकाल एक सबक है कि अपने स्वार्थ के लिए शक्तियों का दुरुपयोग करने वालों को जनता सबक सिखाती है. भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इसकी कई मिसालें हैं.

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