देहरादून: उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के सामने अब एक बड़ी चुनौती 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनने को लेकर है. उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल को 6 महीने का समय पूरा होने में अभी 3 महीने बाकी हैं.
ऐसे में अभी से ही मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. 10 सितंबर 2021 को तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले 6 महीने हो जाएंगे. 6 महीने के अंदर चुनाव जीतना जरूरी होता है.
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ऐसे में 10 सितंबर से पहले मुख्यमंत्री को किसी भी विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतना होगा. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए बीजेपी के 5 विधायक और एक निर्दलीय विधायक भी सीट छोड़ने को तैयार हैं. इसके लिए पांचों बीजेपी विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को पत्र भी लिख दिया है.
इसके अतिरिक्त एक निर्दलीय विधायक ने भी सीट छोड़ने की बात कही है. ऐसे में साफ है कि सीएम तीरथ के चुनाव लड़ने के लिए प्रदेश में 6 विधानसभा सीटें मौजूदा विधायक छोड़ने को तैयार हैं. इसके साथ ही गंगोत्री विधानसभा सीट में भी उपचुनाव होना है.
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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए सबसे पहले सीट छोड़ने की बात कहने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के दौरान ही अपनी विधानसभा सीट को छोड़ने की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने हाईकमान को भी अपने फैसले से अवगत करा दिया था. इस बात को बीते 3 महीने से अधिक समय हो गया है.
लेकिन अभी तक हरक सिंह रावत के सीट छोड़ने की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है और ना ही भाजपा हाईकमान से सीट छोड़ने के लिए उन्हें निर्देश मिला है. अटकलें लगाई जा रही थी कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपनी कोटद्वार विधानसभा सीट को छोड़कर पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
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मुख्यमंत्री एवं पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत के लिए उनके लोकसभा क्षेत्र के 3 विधायकों ने भी सीट छोड़ने के लिए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को लिखित में पत्र दिया है. इनमें लैंसडाउन से विधायक दिलीप रावत, यमकेश्वर से विधायक रितु खंडूरी और बदरीनाथ से विधायक महेंद्र भट्ट शामिल हैं. इसके साथ ही राजधानी देहरादून के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनोद चमोली ने भी सीट छोड़ने के लिए लिखित में पत्र दिया है.
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हालांकि इन भाजपा विधायकों के साथ ही भीमताल विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भी मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने की बात कही है. ऐसे में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास उपचुनाव लड़ने के लिए 7 विधानसभा सीटों का विकल्प है.
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10 मार्च को सीएम तीरथ ने ली थी शपथ
बता दें कि सीएम तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड में राजनीतिक परिवर्तन के बाद 10 मार्च को सीएम पद की शपथ ली थी. तीरथ सिंह रावत अभी विधायक नहीं हैं और संविधान के अनुसार अगर कोई ऐसा व्यक्ति जो विधायक नहीं है और राज्य का मुख्यमंत्री चुना जाता है तो उसे 6 महीने के अंदर चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी होती है. ऐसे में सीएम तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर तक चुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करना जरूरी है.
राज्य में अगले साल होने हैं विधानसभा चुनाव
चुनाव आयोग का कहना है कि किसी भी उपचुनाव में भी तीन से चार महीने का समय लगता है. अगर सितंबर में उपचुनाव कराने हैं तो उसके लिए जून में ही इस बात निर्णय होगा कि कौन सी सीट खाली है और सीएम कहां से चुनाव लड़ेंगे.
राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं इस वजह से अब इस बात की दिलचस्पी ज्यादा बढ़ गई है कि राज्य के मुखिया तीरथ सिंह रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे.