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उपजाऊ भूमि में 'जहर' घोल रहा लैंटाना, ₹38 करोड़ की धनराशि से हटाए जाएंगे खरपतवार

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Published : Jun 11, 2021, 8:26 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 2:28 PM IST

उत्तराखंड में लैंटाना घास अब मुसीबत बनती जा रही है. इसके उन्मूलन को लेकर कई प्रयास किए गए है, लेकिन ठोस समाधान नहीं निकल पाया. अब सीएम तीरथ ने वन महकमे के अधिकारों को जंगलों से लैंटाना हटाने के निर्देश दिए हैं.

lantana
लैंटाना

देहरादूनः प्रदेश में लैंटाना झाड़ी बेहद तेजी से फैल रही है. लैंटाना के फैलने से पेड़-पौधे अपना अस्तित्व खो रहे हैं. इतना ही नहीं लैंटाना से उपजाऊ भूमि भी बंजर होती जा रही है. आलम तो अब ये हो गया है कि लैंटाना धीरे-धीरे हिमालय की ओर बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है. वैसे तो सरकार कई सालों से लैंटाना उन्मूलन को लेकर पहल करने की बात करती आ रही हैं, लेकिन धरातल पर मामला सिफर है. अब सूबे के मुखिया तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर से लैंटाना को हटाने के निर्देश दिए हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब लैंटाना घास को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पहली मतर्बा प्रदेश के सीएम इस पर चिंता जाहिर कर रहे हों, इससे पहले भी कई बार इस ओर कदम उठाया गया, लेकिन यह कदम नाकाफी साबित हुआ है. अब सीएम तीरथ सिंह रावत ने लैंटाना को लेकर वन विभाग को जरूरी निर्देश दिए हैं. उन्होंने लैंटाना/कुरी जैसी प्रजाति को वन क्षेत्र से हटाने के साथ ही स्थानीय प्रजाति के घास/बांस और फलदार पौधों का मिशन मोड़ के तहत रोपण कर जंगलों की गुणवत्ता बढ़ाने को कहा है. साथ ही वन्यजीवों की आवश्यकतानुसार वासस्थल विकसित करने के निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 1576 प्रजातियों के पौधे संरक्षित श्रेणी में, वनस्पतियों को बचाने की कोशिश

38 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत

प्रदेश के वन क्षेत्रों में लैंटाना घास के बेहद तेजी से बढ़ने से न केवल घास की विभिन्न किस्मों को नुकसान पहुंचा है. बल्कि वन्यजीव भी इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) उत्तराखंड राजीव भरतरी ने इस संबंध में सभी डीएफओ को निर्देश पत्र जारी किया है. प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लैंटाना के वन क्षेत्रों के हजारों एकड़ क्षेत्रफल में फैलाव से स्थानीय घास प्रजातियां प्रभावित हुई हैं, इन क्षेत्रों से लैंटाना प्रजाति हटाने संबंधित कार्य योजना तैयार कर घास नर्सरी बनाई जाए. इसके लिए कैंपा परियोजना से 38 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है.

प्रमुख वन संरक्षक भरतरी ने बताया कि इन क्षेत्रों से लैंटाना प्रजाति को हटाकर उसकी जगह स्थानीय घास प्रजाति का रोपण किए जाने से करीब 5 हजार लोगों को रोजगार प्रदान होने के साथ-साथ जंगल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. बता दें कि वनों में लाखों रुपये लैंटाना घास को हटाने के लिए खर्च किया जाता रहा है, लेकिन इसका कुछ खास फायदा वनों में नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस पर प्रमुख वन संरक्षक ने सख्त निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ेंः कुमाऊं मंडल में वन विभाग लगाएगा 14 लाख 50 हजार पेड़

जानिए क्या है लैंटाना

लैंटाना कैमरा (Lantana camara), कुरी, लैटेना एक फूलों की प्रजाति का पौधा है. लैंटाना उष्णकटिबंधीय इलाके का अमेरिकी पौधा है. इसे भारत में सजावटी तौर के रूप में लाया गया था, लेकिन यह पौधा सजावटी गमलों से निकलकर अब खेतों और जंगलों तक पहुंच गया है. यह अपने मूल मध्य और दक्षिण अमेरिका से करीब 50 देशों में फैल गया है. यह बेहद तेजी से फैलने वाला खरपतवार है, जो जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है. अपनी विषाक्तता के कारण कृषि क्षेत्रों पर इसका असर सीधा देखा जा सकता है. इसकी पत्ती को पशु भी नहीं खाते हैं. जबकि, घनी झाड़ियों के चलते जंगली जानवरों के लिए छिपने के लिए दीवार की भांति काम करता है.

देहरादूनः प्रदेश में लैंटाना झाड़ी बेहद तेजी से फैल रही है. लैंटाना के फैलने से पेड़-पौधे अपना अस्तित्व खो रहे हैं. इतना ही नहीं लैंटाना से उपजाऊ भूमि भी बंजर होती जा रही है. आलम तो अब ये हो गया है कि लैंटाना धीरे-धीरे हिमालय की ओर बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है. वैसे तो सरकार कई सालों से लैंटाना उन्मूलन को लेकर पहल करने की बात करती आ रही हैं, लेकिन धरातल पर मामला सिफर है. अब सूबे के मुखिया तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर से लैंटाना को हटाने के निर्देश दिए हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब लैंटाना घास को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पहली मतर्बा प्रदेश के सीएम इस पर चिंता जाहिर कर रहे हों, इससे पहले भी कई बार इस ओर कदम उठाया गया, लेकिन यह कदम नाकाफी साबित हुआ है. अब सीएम तीरथ सिंह रावत ने लैंटाना को लेकर वन विभाग को जरूरी निर्देश दिए हैं. उन्होंने लैंटाना/कुरी जैसी प्रजाति को वन क्षेत्र से हटाने के साथ ही स्थानीय प्रजाति के घास/बांस और फलदार पौधों का मिशन मोड़ के तहत रोपण कर जंगलों की गुणवत्ता बढ़ाने को कहा है. साथ ही वन्यजीवों की आवश्यकतानुसार वासस्थल विकसित करने के निर्देश दिए हैं.

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38 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत

प्रदेश के वन क्षेत्रों में लैंटाना घास के बेहद तेजी से बढ़ने से न केवल घास की विभिन्न किस्मों को नुकसान पहुंचा है. बल्कि वन्यजीव भी इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) उत्तराखंड राजीव भरतरी ने इस संबंध में सभी डीएफओ को निर्देश पत्र जारी किया है. प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लैंटाना के वन क्षेत्रों के हजारों एकड़ क्षेत्रफल में फैलाव से स्थानीय घास प्रजातियां प्रभावित हुई हैं, इन क्षेत्रों से लैंटाना प्रजाति हटाने संबंधित कार्य योजना तैयार कर घास नर्सरी बनाई जाए. इसके लिए कैंपा परियोजना से 38 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है.

प्रमुख वन संरक्षक भरतरी ने बताया कि इन क्षेत्रों से लैंटाना प्रजाति को हटाकर उसकी जगह स्थानीय घास प्रजाति का रोपण किए जाने से करीब 5 हजार लोगों को रोजगार प्रदान होने के साथ-साथ जंगल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. बता दें कि वनों में लाखों रुपये लैंटाना घास को हटाने के लिए खर्च किया जाता रहा है, लेकिन इसका कुछ खास फायदा वनों में नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस पर प्रमुख वन संरक्षक ने सख्त निर्देश दिए हैं.

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जानिए क्या है लैंटाना

लैंटाना कैमरा (Lantana camara), कुरी, लैटेना एक फूलों की प्रजाति का पौधा है. लैंटाना उष्णकटिबंधीय इलाके का अमेरिकी पौधा है. इसे भारत में सजावटी तौर के रूप में लाया गया था, लेकिन यह पौधा सजावटी गमलों से निकलकर अब खेतों और जंगलों तक पहुंच गया है. यह अपने मूल मध्य और दक्षिण अमेरिका से करीब 50 देशों में फैल गया है. यह बेहद तेजी से फैलने वाला खरपतवार है, जो जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है. अपनी विषाक्तता के कारण कृषि क्षेत्रों पर इसका असर सीधा देखा जा सकता है. इसकी पत्ती को पशु भी नहीं खाते हैं. जबकि, घनी झाड़ियों के चलते जंगली जानवरों के लिए छिपने के लिए दीवार की भांति काम करता है.

Last Updated : Jun 12, 2021, 2:28 PM IST
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