देहरादून: केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में भूमिगत केबलिंग परियोजना का लोकार्पण किया. करीब 301 करोड़ की लागत से यूपीसीएल द्वारा भूमिगत विद्युत लाइन का जाल बिछाया गया है. वाराणसी के बाद हरिद्वार देश का दूसरा शहर है, जहां भूमिगत केबलिंग किया गया है. लोकार्पण कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, विधायक प्रदीप बत्रा मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की आईपीडीएस योजना अंतर्गत हरिद्वार के कुंभ क्षेत्र में आज भूमिगत केबलिंग परियोजना का लोकार्पण किया गया है. इस मौके पर उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री आरके सिंह का आभार व्यक्त किया. सीएम ने अंडरग्राउंड केबलिंग परियोजना के लिए भारत सरकार का भी आभार व्यक्त किया.
हरिद्वार के ऋषिकुल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में यूपीसीएल के निदेशक नीरज खैरवाल, ऊर्जा सचिव राधिका झा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मौजूद रहे. ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि अंडरग्राउंड बिजली का कार्य काफी कठिन था. क्योंकि इसके कारण लोगों को काफी असुविधा होती है, उसके बावजूद भी लोगों ने काफी सहयोग किया. आज बनारस के बाद हरिद्वार दूसरा ऐसा शहर बना है, जहां पर बिजली की तारों को अंडरग्राउंड किया गया है. इससे हरिद्वार शहर का सौंदर्यीकरण और सुरक्षा भी होगा. साथ ही विद्युत की आपूर्ति भी सही ढंग से हो पाएगी.
ये भी पढ़ें: कुमाऊं के 6 जिलों में अब तक बंद हुए 443 प्राइमरी स्कूल, 1200 से अधिक पर भी जल्द लटकने वाला है ताला
राधिका झा ने कहा कि हरिद्वार शहर काफी बड़ा है. अभी हमारे द्वारा मुख्य शहर में ही भूमिगत बिजली की लाइनें डाली गई है. हमने मंत्रालय से अनुरोध किया है बाकी बचे हरिद्वार शहर को भूमिगत बिजली की लाइनें डालने के लिए कार्य को अप्रूव करें, इसके लिए हमारे द्वारा डीपीआर बनाकर भेजा जाएगा.
इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरिद्वार में भूमिगत बिजली लाइनें डालने के लिए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को धन्यवाद दिया. उनके द्वारा आश्वासन दिया गया है कि बाकी शहर में भी जल्द ही बिजली की तारें भूमिगत की जाएगी. इसके लिए जल्दी डीपीआर बनाकर भेजी जाएगी और हरिद्वार देश का दूसरा बनारस के बाद भूमिगत लाइनों वाला शहर होगा.
मदन कौशिक ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए 400 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन इसे 300 करोड़ में ही पूरा कर लिया गया. इसको पूरा करने में काफी कठिनाई का भी सामना करना पड़ा, लेकिन इस कार्य में हरिद्वार के सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने अच्छा काम किया, जिससे कारण इतना बड़ा कार्य जल्द पूरा हो सका.