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सद्गुरु जग्गी वासुदेव से मिले सीएम धामी, उत्तराखंड को नंबर-1 बनाने पर चर्चा - त्तराखंड को नंबर एक राज्य बनाने पर बात

उत्तराखंड की संस्कृति अपने आप में श्रेष्ठ है, इसकी तुलना देश-दुनिया में किसी से नहीं की जा सकती है. यह बात सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने आध्यात्मिक संवाद कार्यक्रम में कही. कार्यक्रम में सीएम धामी और सद्गुरु के बीच उत्तराखंड को अध्यात्म, पर्यटन और वेलनेस के क्षेत्र में नंबर वन राज्य बनाने पर भी चर्चा हुई.

sadhguru jaggi vasudev
सीएम धामी और सद्गुरु जग्गी वासुदेव
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Published : Sep 27, 2021, 10:03 PM IST

Updated : Sep 28, 2021, 7:28 PM IST

देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सद्गुरु जग्गी वासुदेव आध्यात्मिक संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए. सीएम धामी ने सद्गुरु वासुदेव के साथ आध्यात्मिक विषयों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. साथ ही आध्यात्म, पर्यटन और वेलनेस के क्षेत्र में उत्तराखंड को नंबर एक राज्य बनाने पर बातचीत हुई.

आध्यात्मिक संवाद कार्यक्रम में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि उत्तराखंड तमाम प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर राज्य है. इस राज्य को एशिया का सबसे बेहतर आध्यात्मिक और पर्यटन राज्य बनाने के लिए स्वदेशी तौर-तरीकों को विकसित कर आगे बढ़ाने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः ...जैसे ही पूरे लाव-लश्कर के साथ पतंजलि पहुंचा हाईटेक बाइक सवार, रामदेव-बालकृष्ण ने छू लिए पैर

उत्तराखंड की संस्कृति की किसी से तुलना नहींः सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि उत्तराखंड में आने वाले हर व्यक्ति को यहां की प्रकृति और पहाड़ों की जीवटता को महसूस करना चाहिए. यहां की संस्कृति अपने आप में श्रेष्ठ है, इसकी तुलना देश-दुनिया में किसी से नहीं की जा सकती है.

बता दें कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव उत्तराखंड दौरे पर हैं. सोमवार को सद्गुरु हाईटेक बाइक पर सवार होकर पतंजलि पहुंचे थे. जहां उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात की. इस दौरान रामदेव और बालकृष्ण ने सद्गुरु का पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया.

कौन हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव: जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ. उनके पिता एक डॉक्टर थे. इन्हें 'सद्गुरु' भी कहा जाता है. ये ईशा फाउंडेशन नामक लाभ रहित मानव सेवी संस्‍थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत समेत संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है.

ये भी पढ़ेंः पिथौरागढ़ के योग प्रशिक्षक विजय ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, 1 मिनट में किया 21 बार सूर्य नमस्कार

जग्गी वासुदेव ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. सद्गुरु का आश्रम कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य योग का प्रचार-प्रसार कर उसे लोगों के लिए सुलभ बनाना है. सद्गुरु के अनुयायी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मानते हैं जो लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का और उनको नई दिशा दिखाने का काम करता है.

देहरादूनः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सद्गुरु जग्गी वासुदेव आध्यात्मिक संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए. सीएम धामी ने सद्गुरु वासुदेव के साथ आध्यात्मिक विषयों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. साथ ही आध्यात्म, पर्यटन और वेलनेस के क्षेत्र में उत्तराखंड को नंबर एक राज्य बनाने पर बातचीत हुई.

आध्यात्मिक संवाद कार्यक्रम में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि उत्तराखंड तमाम प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर राज्य है. इस राज्य को एशिया का सबसे बेहतर आध्यात्मिक और पर्यटन राज्य बनाने के लिए स्वदेशी तौर-तरीकों को विकसित कर आगे बढ़ाने की जरूरत है.

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उत्तराखंड की संस्कृति की किसी से तुलना नहींः सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि उत्तराखंड में आने वाले हर व्यक्ति को यहां की प्रकृति और पहाड़ों की जीवटता को महसूस करना चाहिए. यहां की संस्कृति अपने आप में श्रेष्ठ है, इसकी तुलना देश-दुनिया में किसी से नहीं की जा सकती है.

बता दें कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव उत्तराखंड दौरे पर हैं. सोमवार को सद्गुरु हाईटेक बाइक पर सवार होकर पतंजलि पहुंचे थे. जहां उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात की. इस दौरान रामदेव और बालकृष्ण ने सद्गुरु का पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया.

कौन हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव: जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ. उनके पिता एक डॉक्टर थे. इन्हें 'सद्गुरु' भी कहा जाता है. ये ईशा फाउंडेशन नामक लाभ रहित मानव सेवी संस्‍थान के संस्थापक हैं. ईशा फाउंडेशन भारत समेत संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है. साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है.

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जग्गी वासुदेव ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. सद्गुरु का आश्रम कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है. इस फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य योग का प्रचार-प्रसार कर उसे लोगों के लिए सुलभ बनाना है. सद्गुरु के अनुयायी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति मानते हैं जो लोगों के जीवन में प्रकाश भरने का और उनको नई दिशा दिखाने का काम करता है.

Last Updated : Sep 28, 2021, 7:28 PM IST
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