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किसानों की आय में होगी वृद्धि, सीएम ने हर्बल उत्पादन को बढ़ावा देने के दिए निर्देश

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Published : May 21, 2021, 10:41 PM IST

सचिवालय में जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान तथा उत्तराखंड संगन्ध पौधा केंद्र (कैप) सेलाकुई की योजनाओं की मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने समीक्षा बैठक की.

किसानों की आय में वृद्धि
किसानों की आय में वृद्धि

देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान तथा उत्तराखंड संगन्ध पौधा केंद्र (कैप) सेलाकुई की योजनाओं की समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए एग्रीकल्चर एवं हार्टिकल्चर के साथ हर्बल उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय. हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए लोगों में जागरूकता लाने के साथ ही इसकी प्रशिक्षण की व्यवस्था भी जाय.

तीरथ सिंह रावत ने कैप की शोध एवं विकास टीम द्वारा बनाये गये ‘गनिया’ हर्बल हैण्ड सेनिटाइजर को लॉन्च किया. इसके अलावा जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियो को निर्देश दिए कि कुछ बड़े उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय. तीन-चार ऐसे उत्पाद चयनित किए जाए, जिससे उत्तराखंड की देश में अलग पहचान बने. इसके लिए मार्केटिंग प्लान भी हो.

सीएम ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उत्पादों को अलग पहचान देना जरूरी है. इसके लिए उत्पादों का चयन जल्द करें. यह सुनिश्चित किया जाए कि 6 माह के अंदर परिणाम दिखने शुरू हो जाए. एचआरडीआई द्वारा आयुष विभाग की सहायता से जल्द एक हर्बल हीलिंग एवं वैलनेस सेंटर की स्थापना की जाए. उत्तराखंड की हर्बल आधारित स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक किया जाय.

उत्तराखंड संगंध पौधा केंद्र की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कैप के जो 109 कलस्टर बने हैं, उनमें से कई कलस्टर एचआरडीआई के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का फायदा उठाने के लिए सटीक प्रोजक्ट बनाये जाए. 6 माह में हाईटेक नर्सरी निर्माण, एरोमा पार्क नीति एवं इंडस्ट्रियल एवं मेडिसनल हैंप की नीति की दिशा में तेजी से कार्य किया जाय.

ये भी पढ़ें: नोडल अधिकारी रोकेंगे कोरोना, 10 विधानसभा सीटों में हुए नियुक्त, ये रही लिस्ट

बैठक में जानकारी दी गई कि उत्तराखंड संगंध पौध केंद्र से प्रदेश के 21 हजार किसान जुड़े हैं. प्रदेश में 109 कलस्टर बनाये गए हैं. इसके अन्तर्गत परित्यक्त भूमि के पुनर्वास, बाउन्ड्री फसल के रूप में डैमस्क गुलाब का कृषिकरण, मिश्रित खेती के रूप में जापानी मिन्ट का कृषिकरण, वानिकी फसल के रूप में तेजपात के कृषिकरण एवं अल्प अवधि के रूप में कैमोमिल व अन्य फसलों के कृषिकरण की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.

कैप का सीएजीआर 37 प्रतिशत है. जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान से प्रदेश के 26 हजार किसान जुड़े हैं. सीमांत जनपदों चमोली, उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ में जड़ी-बूटी अनुसंधान एवं विकास का अनुश्रवण व पर्यवेक्षण हेतु 3 केन्द्रों की स्थापना की गई है. संस्थान की मंडल पौधशाला में 12 विभिन्न औषधीय उद्यानों के मॉडल की स्थापना की गई हैं. संस्थान मुख्यालय मंडल में म्यूजियम तथा हर्वेरियम की स्थापना की गई है.

संस्थान द्वारा 6 हर्बल चाय यथा मार्निंग हर्बल टी, इवनिंग हर्बल टी, नाईट हर्बल टी, क्वीन हर्बल टी, किंग हर्बल टी एवं हिपोफी हर्बल टी की तकनीकी हस्तानांतरण हेतु निर्माण किया गया. प्रदेश के काश्तकारों हेतु 38 प्रजातियों की संक्षिप्त कृषि तकनीक की बुकलेट का प्रकाशन किया गया. 100 औषधीय उत्पादों को विकसित किये जाने हेतु शोध एवं विकास की कार्यवाही चल रही है.

देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान तथा उत्तराखंड संगन्ध पौधा केंद्र (कैप) सेलाकुई की योजनाओं की समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए एग्रीकल्चर एवं हार्टिकल्चर के साथ हर्बल उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय. हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए लोगों में जागरूकता लाने के साथ ही इसकी प्रशिक्षण की व्यवस्था भी जाय.

तीरथ सिंह रावत ने कैप की शोध एवं विकास टीम द्वारा बनाये गये ‘गनिया’ हर्बल हैण्ड सेनिटाइजर को लॉन्च किया. इसके अलावा जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियो को निर्देश दिए कि कुछ बड़े उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय. तीन-चार ऐसे उत्पाद चयनित किए जाए, जिससे उत्तराखंड की देश में अलग पहचान बने. इसके लिए मार्केटिंग प्लान भी हो.

सीएम ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उत्पादों को अलग पहचान देना जरूरी है. इसके लिए उत्पादों का चयन जल्द करें. यह सुनिश्चित किया जाए कि 6 माह के अंदर परिणाम दिखने शुरू हो जाए. एचआरडीआई द्वारा आयुष विभाग की सहायता से जल्द एक हर्बल हीलिंग एवं वैलनेस सेंटर की स्थापना की जाए. उत्तराखंड की हर्बल आधारित स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक किया जाय.

उत्तराखंड संगंध पौधा केंद्र की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कैप के जो 109 कलस्टर बने हैं, उनमें से कई कलस्टर एचआरडीआई के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का फायदा उठाने के लिए सटीक प्रोजक्ट बनाये जाए. 6 माह में हाईटेक नर्सरी निर्माण, एरोमा पार्क नीति एवं इंडस्ट्रियल एवं मेडिसनल हैंप की नीति की दिशा में तेजी से कार्य किया जाय.

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बैठक में जानकारी दी गई कि उत्तराखंड संगंध पौध केंद्र से प्रदेश के 21 हजार किसान जुड़े हैं. प्रदेश में 109 कलस्टर बनाये गए हैं. इसके अन्तर्गत परित्यक्त भूमि के पुनर्वास, बाउन्ड्री फसल के रूप में डैमस्क गुलाब का कृषिकरण, मिश्रित खेती के रूप में जापानी मिन्ट का कृषिकरण, वानिकी फसल के रूप में तेजपात के कृषिकरण एवं अल्प अवधि के रूप में कैमोमिल व अन्य फसलों के कृषिकरण की ओर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.

कैप का सीएजीआर 37 प्रतिशत है. जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान से प्रदेश के 26 हजार किसान जुड़े हैं. सीमांत जनपदों चमोली, उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ में जड़ी-बूटी अनुसंधान एवं विकास का अनुश्रवण व पर्यवेक्षण हेतु 3 केन्द्रों की स्थापना की गई है. संस्थान की मंडल पौधशाला में 12 विभिन्न औषधीय उद्यानों के मॉडल की स्थापना की गई हैं. संस्थान मुख्यालय मंडल में म्यूजियम तथा हर्वेरियम की स्थापना की गई है.

संस्थान द्वारा 6 हर्बल चाय यथा मार्निंग हर्बल टी, इवनिंग हर्बल टी, नाईट हर्बल टी, क्वीन हर्बल टी, किंग हर्बल टी एवं हिपोफी हर्बल टी की तकनीकी हस्तानांतरण हेतु निर्माण किया गया. प्रदेश के काश्तकारों हेतु 38 प्रजातियों की संक्षिप्त कृषि तकनीक की बुकलेट का प्रकाशन किया गया. 100 औषधीय उत्पादों को विकसित किये जाने हेतु शोध एवं विकास की कार्यवाही चल रही है.

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