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CM के लिए उपचुनाव: धामी अपने MLA की सीट से लड़ेंगे चुनाव या विपक्ष में लगाएंगे सेंध, ये रही है परंपरा

CM धामी के उपचुनाव को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कोई उनके चंपावत से चुनाव लड़ने की बात कह रहा है तो कोई विपक्ष में सेंधमारी की परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कह रहा है. उत्तराखंड में क्या है उपचुनाव के लिए विपक्ष में सेंधमारी की परंपरा और क्या धामी इसे आगे बढ़ाएंगे, आइये जानते हैं.

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उत्तराखंड में सेंधमारी की सियासत का रहा है इतिहास
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Published : Apr 6, 2022, 10:06 AM IST

Updated : Apr 6, 2022, 6:15 PM IST

देहरादून: 22 वर्ष के युवा उत्तराखंड प्रदेश में राजनीति में कई परम्पराएं और नियम राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाते आए हैं. प्रदेश में विधायकों के चुनाव के बाद उनमें से ही मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा कम ही रही है. उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों के सत्ता में आने के बाद पैराशूट मुख्यमंत्री ही देखने को मिले हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी 47 सीटों के साथ बहुमत में आई, लेकिन उसके बाद भाजपा हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद भी एक बार फिर उन पर विश्वास जताकर सीएम बना दिया. अब धामी को 6 माह के भीतर चुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य बनना है. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या बीजेपी सीएम के लिए अपने विधायक की सीट छुड़वाती है या पूर्व की भांति विपक्षी दल में सेंधमारी की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा.

क्या बीजेपी, कांग्रेस में सेंध लगाएगी: भाजपा के कई विधायकों ने भी पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने की बात कही है. इसमें सबसे पहले चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी का नाम है. जिसके कारण सीएम धामी की चंपावत से चुनाव लड़ने की खबरें भी सामने आ रही हैं. इस बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा चल रही है कि भाजपा, कांग्रेस में सेंधमारी कर सीएम धामी के लिए सीट खाली करवा सकती है. जिससे उनकी 47 सीटें यथावत बनी रहें.

उत्तराखंड में सेंधमारी की सियासत का रहा है इतिहास

यह भी पढ़ें- भाजपा स्थापना दिवस: गांधीवादी समाजवाद नहीं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से बढ़ी भाजपा

राजनीतिक मामलों के जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि जहां तक सीएम चुनाव के लिए दूसरे दल में सेंधमारी की बात है, तो आज की परिस्थिति पूर्व की परिस्थितियों से बिल्कुल विपरीत है. वर्तमान में प्रदेश में भाजपा बहुमत में है. 2007 की बात करें, तो उस समय भुवन चन्द्र खण्डूड़ी भाजपा को बहुमत में नहीं ला पाए थे. तब उन्होंने धुमाकोट से टीपीएस रावत से सीट खाली करवाकर चुनाव लड़ा, तो भाजपा की भी एक सीट बढ़ी थी.

पढ़ें- BJP Foundation Day: 15 दिन तक होंगे कार्यक्रम, समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की रणनीति

चंपावत से चुनाव लड़ने का दावा है मजबूत: इसी तरह 2012 में विजय बहुगुणा ने भी सितारगंज से किरण मंडल को भाजपा से तोड़कर उनकी सीट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस को मजबूत किया. इस समय भाजपा को 2007 की तरह सेंधमारी की आवश्यकता नहीं है. अगर इस नीति के साथ भाजपा चल रही है कि अपने विधायकों को यथावत रखा जाए और कांग्रेस को एक सीट का नुकसान पहुंचाया जाए तो हो सकता है कि सीएम धामी सेंधमारी की परम्परा को आगे बढ़ा सकते हैं. वे कहते हैं तमाम समीकरणों को देखते हुए सीएम धामी की चम्पावत से दावेदारी जगजाहिर है. अगर सबकुछ सही रहा तो धामी चंपावत से ही उपचुनाव लड़ेंगे.

देहरादून: 22 वर्ष के युवा उत्तराखंड प्रदेश में राजनीति में कई परम्पराएं और नियम राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाते आए हैं. प्रदेश में विधायकों के चुनाव के बाद उनमें से ही मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा कम ही रही है. उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों के सत्ता में आने के बाद पैराशूट मुख्यमंत्री ही देखने को मिले हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी 47 सीटों के साथ बहुमत में आई, लेकिन उसके बाद भाजपा हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद भी एक बार फिर उन पर विश्वास जताकर सीएम बना दिया. अब धामी को 6 माह के भीतर चुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य बनना है. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या बीजेपी सीएम के लिए अपने विधायक की सीट छुड़वाती है या पूर्व की भांति विपक्षी दल में सेंधमारी की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा.

क्या बीजेपी, कांग्रेस में सेंध लगाएगी: भाजपा के कई विधायकों ने भी पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने की बात कही है. इसमें सबसे पहले चम्पावत विधायक कैलाश गहतोड़ी का नाम है. जिसके कारण सीएम धामी की चंपावत से चुनाव लड़ने की खबरें भी सामने आ रही हैं. इस बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा चल रही है कि भाजपा, कांग्रेस में सेंधमारी कर सीएम धामी के लिए सीट खाली करवा सकती है. जिससे उनकी 47 सीटें यथावत बनी रहें.

उत्तराखंड में सेंधमारी की सियासत का रहा है इतिहास

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राजनीतिक मामलों के जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि जहां तक सीएम चुनाव के लिए दूसरे दल में सेंधमारी की बात है, तो आज की परिस्थिति पूर्व की परिस्थितियों से बिल्कुल विपरीत है. वर्तमान में प्रदेश में भाजपा बहुमत में है. 2007 की बात करें, तो उस समय भुवन चन्द्र खण्डूड़ी भाजपा को बहुमत में नहीं ला पाए थे. तब उन्होंने धुमाकोट से टीपीएस रावत से सीट खाली करवाकर चुनाव लड़ा, तो भाजपा की भी एक सीट बढ़ी थी.

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चंपावत से चुनाव लड़ने का दावा है मजबूत: इसी तरह 2012 में विजय बहुगुणा ने भी सितारगंज से किरण मंडल को भाजपा से तोड़कर उनकी सीट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस को मजबूत किया. इस समय भाजपा को 2007 की तरह सेंधमारी की आवश्यकता नहीं है. अगर इस नीति के साथ भाजपा चल रही है कि अपने विधायकों को यथावत रखा जाए और कांग्रेस को एक सीट का नुकसान पहुंचाया जाए तो हो सकता है कि सीएम धामी सेंधमारी की परम्परा को आगे बढ़ा सकते हैं. वे कहते हैं तमाम समीकरणों को देखते हुए सीएम धामी की चम्पावत से दावेदारी जगजाहिर है. अगर सबकुछ सही रहा तो धामी चंपावत से ही उपचुनाव लड़ेंगे.

Last Updated : Apr 6, 2022, 6:15 PM IST
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