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फूलदेई पर फूलों से महकी सीएम आवास की चौखट, धामी ने बच्चों को दिया शगुन

आज सुबह कुछ बच्चे फूलदेई मनाने सीएम आवास पहुंचे और फूलों से सीएम आवास की देहरियां पूजीं. बच्चों ने देहली (घर की चौखट) पर फूल और चावल अर्पित कर फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार, तुमार देली में बार-बार नमस्कार’ गीत गाकर लोगों की सुख समृद्धि की कामना की. कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया.

Uttarakhand Phooldei festival
फूलदेई पर्व मनाते बच्चे.
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Published : Mar 14, 2022, 12:12 PM IST

Updated : Mar 14, 2022, 1:57 PM IST

देहरादून: कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में लोक पर्व फूलदेई की धूम मची हुई है. इस दौरान बच्चे लोगों के घरों में जाकर घर की देहरियों की फूलों से पूजा कर रहे हैं. वहीं कुछ बच्चे आज देहरादून सीएम आवास पहुंचे. इस दौरान बच्चों ने सीएम आवास की देहरियों को फूलों से पूजा. कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया. साथ ही सीएम धामी ने प्रदेश वासियों को फूलदेई की शुभकामनाएं भी दी.

उत्तराखंड में लोक पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जा रहा है. त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. आज सुबह कुछ बच्चे फूलदेई मनाने सीएम आवास पहुंचे और फूलों से सीएम आवास की देहरियां पूजीं. बच्चों ने देहरी (घर की चौखट) पर फूल और चावल अर्पित कर फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार, तुमार देली में बार-बार नमस्कार’ गीत गाकर लोगों की सुख समृद्धि की कामना की. कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया.

Uttarakhand Phooldei festival
बच्चों को चॉकलेट देते कार्यवाहक सीएम धामी.

पढ़ें-देवभूमि के घरों में गूंजे 'फूलदेई छम्मा देई' के स्वर, लोक पर्व पर फूलों से महकी चौखटें

वहीं सीएम धामी ने ट्वीट लिखा कि समस्त प्रदेशवासियों को लोकपर्व फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं. देवभूमि के प्रत्येक लोकपर्व में लोकमंगल और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का संदेश जुड़ा रहता है. फूलदेई पर्व भी हमें प्रकृति का आभार व्यक्त करने एवं अपने जीवन में वसन्त ऋतु की भांति सदैव खुशहाली का संदेश देता है. आज पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति के माध्यम से मुख्यमंत्री आवास में बच्चों के साथ लोकपर्व फूलदेई मनाया. इस दौरान फूलदेई एवं विभिन्न मंगल गीतों के गायन द्वारा प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की.

फूलदेई त्योहार का महत्व: बसंत ऋतु के स्वागत के लिए इस पर्व को मनाया जाता है. चैत्र की संक्रांति यानी फूलदेई के दिन से प्रकृति का नजारा ही बदल जाता है. हर ओर फूल खिलने शुरू हो जाते हैं. फूलदेई के लिए बच्चे अपनी टोकरी में खेतों और जंगलों से रंग-बिरंगे फूल चुनकर लाते हैं और हर घर की देहरी पर चुनकर लाए इन फूलों को चढ़ाते हैं. इस लोक पर्व के दौरान बच्चे लोकगीत भी गाते हैं. 'फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार' यानि भगवान देहरी के इन फूलों से सबकी रक्षा करें और घरों में अन्न के भंडार कभी खाली न होने दें.

देहरादून: कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में लोक पर्व फूलदेई की धूम मची हुई है. इस दौरान बच्चे लोगों के घरों में जाकर घर की देहरियों की फूलों से पूजा कर रहे हैं. वहीं कुछ बच्चे आज देहरादून सीएम आवास पहुंचे. इस दौरान बच्चों ने सीएम आवास की देहरियों को फूलों से पूजा. कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया. साथ ही सीएम धामी ने प्रदेश वासियों को फूलदेई की शुभकामनाएं भी दी.

उत्तराखंड में लोक पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जा रहा है. त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. आज सुबह कुछ बच्चे फूलदेई मनाने सीएम आवास पहुंचे और फूलों से सीएम आवास की देहरियां पूजीं. बच्चों ने देहरी (घर की चौखट) पर फूल और चावल अर्पित कर फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार, तुमार देली में बार-बार नमस्कार’ गीत गाकर लोगों की सुख समृद्धि की कामना की. कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी गीता धामी ने बच्चों को शगुन दिया.

Uttarakhand Phooldei festival
बच्चों को चॉकलेट देते कार्यवाहक सीएम धामी.

पढ़ें-देवभूमि के घरों में गूंजे 'फूलदेई छम्मा देई' के स्वर, लोक पर्व पर फूलों से महकी चौखटें

वहीं सीएम धामी ने ट्वीट लिखा कि समस्त प्रदेशवासियों को लोकपर्व फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं. देवभूमि के प्रत्येक लोकपर्व में लोकमंगल और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का संदेश जुड़ा रहता है. फूलदेई पर्व भी हमें प्रकृति का आभार व्यक्त करने एवं अपने जीवन में वसन्त ऋतु की भांति सदैव खुशहाली का संदेश देता है. आज पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति के माध्यम से मुख्यमंत्री आवास में बच्चों के साथ लोकपर्व फूलदेई मनाया. इस दौरान फूलदेई एवं विभिन्न मंगल गीतों के गायन द्वारा प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की.

फूलदेई त्योहार का महत्व: बसंत ऋतु के स्वागत के लिए इस पर्व को मनाया जाता है. चैत्र की संक्रांति यानी फूलदेई के दिन से प्रकृति का नजारा ही बदल जाता है. हर ओर फूल खिलने शुरू हो जाते हैं. फूलदेई के लिए बच्चे अपनी टोकरी में खेतों और जंगलों से रंग-बिरंगे फूल चुनकर लाते हैं और हर घर की देहरी पर चुनकर लाए इन फूलों को चढ़ाते हैं. इस लोक पर्व के दौरान बच्चे लोकगीत भी गाते हैं. 'फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारंबार नमस्कार' यानि भगवान देहरी के इन फूलों से सबकी रक्षा करें और घरों में अन्न के भंडार कभी खाली न होने दें.

Last Updated : Mar 14, 2022, 1:57 PM IST
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