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'नशा मुक्त उत्तराखंड' के तहत बाल आयोग की मुहिम, नशे से जंग जीतने वाले सम्मानित

देहरादून में राज्य बाल आयोग ने 'नशा मुक्त उत्तराखंड' मुहिम के तहत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर नशे से जंग जीतने वालों को अतिथि बनाकर सम्मानित किया गया.

Child commission campaign
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Published : Feb 23, 2021, 9:22 PM IST

देहरादून: राज्य बाल आयोग की ओर से 'नशा मुक्त उत्तराखंड' को लेकर विशेष मुहिम चलाई जा रही है. जिसके तहत मंगलवार को राजधानी देहरादून में विशेष एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इस कार्यशाला में आयोग ने नशे से जंग जीतने वाले युवाओं को ही कार्यशाला का मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि बना कर सम्मानित किया.

वहीं, कार्यक्रम में मौजूद राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि इस कार्यशाला को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जो युवा नशे की गिरफ्त में हैं, उन युवाओं तक यह संदेश जाए कि नशे से वह भी जंग जीत सकते हैं. जिस तरह कई युवा सालों तक नशा करने के बाद आज नशे की गिरफ्त से खुद को बाहर निकाल चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः कोरोना काल में रखे गए PRD कर्मियों का धरना जारी, कांग्रेस ने किया समर्थन

बता दें कि कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे स्थानीय युवा योगेश थापा ने मौके पर मौजूद सभी युवाओं और छात्रों के सामने नशे के खिलाफ अपनी जंग की दास्तां बयां की. योगेश ने बताया कि उन्होंने नशा करने की शुरुआत तब कर दी थी, जब वह महज 12 साल के थे. लेकिन अचानक ही वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आए जो नशा मुक्ति केंद्र चलाते थे. ऐसे में उनका दिल तो नशे को त्यागना चाहता था, लेकिन दिमाग इसकी इजाजत नहीं देता था. वहीं नशा मुक्ति केंद्र के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया, जिसकी वजह से ही वह अब नशे को पूरी तरह से त्याग चुके हैं.

देहरादून: राज्य बाल आयोग की ओर से 'नशा मुक्त उत्तराखंड' को लेकर विशेष मुहिम चलाई जा रही है. जिसके तहत मंगलवार को राजधानी देहरादून में विशेष एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इस कार्यशाला में आयोग ने नशे से जंग जीतने वाले युवाओं को ही कार्यशाला का मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि बना कर सम्मानित किया.

वहीं, कार्यक्रम में मौजूद राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि इस कार्यशाला को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जो युवा नशे की गिरफ्त में हैं, उन युवाओं तक यह संदेश जाए कि नशे से वह भी जंग जीत सकते हैं. जिस तरह कई युवा सालों तक नशा करने के बाद आज नशे की गिरफ्त से खुद को बाहर निकाल चुके हैं.

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बता दें कि कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे स्थानीय युवा योगेश थापा ने मौके पर मौजूद सभी युवाओं और छात्रों के सामने नशे के खिलाफ अपनी जंग की दास्तां बयां की. योगेश ने बताया कि उन्होंने नशा करने की शुरुआत तब कर दी थी, जब वह महज 12 साल के थे. लेकिन अचानक ही वह कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आए जो नशा मुक्ति केंद्र चलाते थे. ऐसे में उनका दिल तो नशे को त्यागना चाहता था, लेकिन दिमाग इसकी इजाजत नहीं देता था. वहीं नशा मुक्ति केंद्र के लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया, जिसकी वजह से ही वह अब नशे को पूरी तरह से त्याग चुके हैं.

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