देहरादून: नमामि गंगे के अंतर्गत आने वाली राज्य सरकार की गंगा समिति की सातवीं बैठक गुरुवार मुख्य सचिव उत्पल कुमार की अध्यक्षता में हुई है. इस दौरान मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए. इस बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि योजना का उद्देश्य तभी पूर्ण माना जाएगा तक गंगा नदी और घाटों में स्वच्छता की पुष्टि तीर्थयात्री खुद करें. गंगा सफाई को लेकर सख्ती दिखाते हुए मुख्य सचिव कहा कि वह कागजी आंकड़ों पर विश्वास नहीं करते हैं.
बैठक में मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों से आउटकम बेस कार्य करने के निर्देश दिए, ताकि उसका लाभ सीधा दिखाई दे. उन्होंने पूर्ण किए गए कार्यों को जनता में प्रसारित करने के निर्देश भी दिए. इसके अलावा बैठक में सभी जिलाधिकारियों को मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि एनजीटी के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रत्येक पखवाड़े में नमामि गंगे योजना की समीक्षा की जाए. जिसमें निर्माणाधीन एसटीपी ट्रीटेड सिविल सीवेज के मानकों की जांच और घाटों की सफाई की निरंतर मॉनिटिंरिग की जाए.
पढ़ें- कॉर्बेट पार्क की फर्जी वेबसाइट पर प्रशासन सख्त, पर्यटकों से हो रही थी धोखाधड़ी
इसके साथ ही मुख्य सचिव ने चेतावनी दी कि एनजीटी के निर्देशानुसार योजना में निर्माणाधीन एसटीपी प्रोजेक्ट के कैचमेंट एरिया से अगर गंगा में अनट्रीटेड जाता है तो 1 जुलाई 2020 से संबंधित प्रोजेक्ट पर 10 लाख रुपए प्रतिमाह उत्तराखंड राज्य को अर्थदंड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करना पड़ेगा. जिसकी जिम्मेदारी संबंधित विभागीय अधिकारी की होगी. उन्होंने 31 दिसंबर 2020 तक सभी एसटीपी प्रोजेक्ट पूर्ण करने के सख्त निर्देश दिए. अन्यथा ऐसे प्रकरणों पर भी उत्तराखंड राज्य पर लगने वाले अर्थदंड 10 लाख प्रति माह का दायित्व संबंधित विभागीय अधिकारी पर निर्धारित करने के निर्देश दिए.