देहरादूनः उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही पलायन एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है. इन 20 सालों में प्रदेश के करीब 1700 गांव आज खाली हो चुके हैं, जबकि, बीजेपी और कांग्रेस ने बारी-बारी से राज किया, लेकिन कोई भी सरकार पलायन पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठा पाई. वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पलायन के गंभीर मुद्दे पर अपनी राय रखी. उन्होंने पलायन पर लगाम लगाने के लिए योजनाएं लाने की बात कही.
गौर हो कि पलायन आयोग के माध्यम से किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पहाड़ से 55 फीसदी से ज्यादा पलायन हुआ है. यानी प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों ने रोजगार की तलाश में मैदानी इलाकों जैसे दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी का रुख किया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार लगातार पलायन पर लगाम लगाने के लिए प्रयासरत है और इसके लिए पलायन आयोग का गठन किया है.
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उन्होंने कहा कि पलायन आयोग के जरिए पहले चरण में अध्ययन का कार्य पूरा कर लिया गया है. जिसमें प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से हो रहे पलायन के प्रमुख कारणों का पता लगाने का प्रयास किया गया है. इसमें जो प्रमुख कारण उभर कर सामने आए हैं, उनमें मुख्यतः स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी है.
ऐसे में उनकी सरकार पलायन के मुख्य कारणों से निपटने के लिए कई योजनाएं लेकर आ रही है. जिसमें ग्रोथ सेंटर समेत अन्य योजनाएं शामिल हैं. इन सभी योजनाओं के माध्यम से आने वाले कुछ सालों में प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से लगातार हो रहे पलायन को रोकने का काम किया जाएगा.