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वनाग्नि प्रबंधन की CM ने की समीक्षा, 5 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की योजना - मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने की समीक्षा बैठक

सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने वन पंचायतों और स्थानीय लोगों की सहभागिता को बहुत जरूरी बताया है.

Chief Minister Tirath Singh Rawat
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत
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Published : Mar 16, 2021, 9:49 AM IST

देहरादून: प्रदेश की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक्टिव हो गए हैं. वे लगातार अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वनाग्नि प्रबंधन की बैठक ली. इस दौरान सीएम तीरथ ने कैंपा की स्वीकृत धनराशि को तत्काल फील्ड लेवल तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि शमन के दौरान मृतक कार्मिकों और स्थानीय नागरिकों के परिवारों को अनुग्रह राशि अविलम्ब उपलब्ध कराई जाए. वन कर्मियों को वनाग्नि शमन के लिए जरूरी सभी उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित हो. इसके साथ ही फायर लाइन की मॉनिटरिंग के लिए ड्रोन सर्वे कराया जाए. आपदा प्रबंधन विभाग को वनाग्नि शमन के लिए हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए.

पढ़ें- CM ने गढ़वाल आयुक्त को हरिद्वार कुंभ में किया तैनात, कमिश्नर ने 8 पीसीएस अधिकारियों की बनाई टीम

सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन पंचायतों और स्थानीय लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है. स्थानीय लोगों के हक-हकूक का समय से वितरण किया जाए. वन, पुलिस, राजस्व व अन्य संबंधित विभागों में पूरा समन्वय हो. जिलाधिकारी नियमित रूप से वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करें और ये सुनिश्चित करें कि आवश्यक मानव संसाधन, उपकरण आदि उपलब्ध हों. यदि कोई समस्या हो तो शासन को अवगत कराएं. वनाग्नि प्रबंधन संबंधी कार्यों में 10,000 वन प्रहरियों में से 5 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की योजना बनाई जाए. फॉरेस्ट फायर कंजरवेंसी सिस्टम को विकसित कर आमजन में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए.

मुख्यमंत्री ने वनाग्नि प्रबंधन के लिए की गई तैयारियों के संबंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा जिलाधिकारियों से भी जानकारी ली. उन्होंने कहा कि जान-बूझकर आग लगाने वालों को चिह्नित किया जाए. वनाग्नि के कारण जो भी क्षति होती है, उसमें आपदा के मानकों के अनुसार तत्काल राहत राशि प्रदान की जाए. पिरूल एकत्रण का भुगतान समय से हो, इसके लिए प्रभावी मैकेनिज्म बना लिया जाए.

बैठक में बताया गया कि प्रतिवर्ष लगभग 36 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में वनाग्नि शमन के लिए जरूरी नियंत्रित दाहन किया जाता है. लगभग 2700 किमी फायर लाइनों का रखरखाव किया जाता है. स्थानीय निवासियों में से प्रतिवर्ष लगभग 7000 फायर वाचर अग्निकाल में लगाए जाते हैं. 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1317 क्रू स्टेशन और 174 वाच टावर स्थापित हैं. जिला फायर समितियों की बैठक कर ली गई है.

देहरादून: प्रदेश की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक्टिव हो गए हैं. वे लगातार अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में वनाग्नि प्रबंधन की बैठक ली. इस दौरान सीएम तीरथ ने कैंपा की स्वीकृत धनराशि को तत्काल फील्ड लेवल तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि शमन के दौरान मृतक कार्मिकों और स्थानीय नागरिकों के परिवारों को अनुग्रह राशि अविलम्ब उपलब्ध कराई जाए. वन कर्मियों को वनाग्नि शमन के लिए जरूरी सभी उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित हो. इसके साथ ही फायर लाइन की मॉनिटरिंग के लिए ड्रोन सर्वे कराया जाए. आपदा प्रबंधन विभाग को वनाग्नि शमन के लिए हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था रखने के निर्देश दिए.

पढ़ें- CM ने गढ़वाल आयुक्त को हरिद्वार कुंभ में किया तैनात, कमिश्नर ने 8 पीसीएस अधिकारियों की बनाई टीम

सचिवालय में आयोजित बैठक में वनाग्नि प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन पंचायतों और स्थानीय लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है. स्थानीय लोगों के हक-हकूक का समय से वितरण किया जाए. वन, पुलिस, राजस्व व अन्य संबंधित विभागों में पूरा समन्वय हो. जिलाधिकारी नियमित रूप से वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा करें और ये सुनिश्चित करें कि आवश्यक मानव संसाधन, उपकरण आदि उपलब्ध हों. यदि कोई समस्या हो तो शासन को अवगत कराएं. वनाग्नि प्रबंधन संबंधी कार्यों में 10,000 वन प्रहरियों में से 5 हजार महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की योजना बनाई जाए. फॉरेस्ट फायर कंजरवेंसी सिस्टम को विकसित कर आमजन में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए.

मुख्यमंत्री ने वनाग्नि प्रबंधन के लिए की गई तैयारियों के संबंध में वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा जिलाधिकारियों से भी जानकारी ली. उन्होंने कहा कि जान-बूझकर आग लगाने वालों को चिह्नित किया जाए. वनाग्नि के कारण जो भी क्षति होती है, उसमें आपदा के मानकों के अनुसार तत्काल राहत राशि प्रदान की जाए. पिरूल एकत्रण का भुगतान समय से हो, इसके लिए प्रभावी मैकेनिज्म बना लिया जाए.

बैठक में बताया गया कि प्रतिवर्ष लगभग 36 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र में वनाग्नि शमन के लिए जरूरी नियंत्रित दाहन किया जाता है. लगभग 2700 किमी फायर लाइनों का रखरखाव किया जाता है. स्थानीय निवासियों में से प्रतिवर्ष लगभग 7000 फायर वाचर अग्निकाल में लगाए जाते हैं. 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1317 क्रू स्टेशन और 174 वाच टावर स्थापित हैं. जिला फायर समितियों की बैठक कर ली गई है.

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