देहरादूनः उत्तराखंड में सोलर फार्मिंग और स्वरोजगार को लेकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ा कदम उठाया है. सीएम त्रिवेंद्र ने आज मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित इस योजना में 10 हजार युवाओं एवं उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी. प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बैंकों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें. स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है. डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो. हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें.
उत्तराखंड भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए. भू- परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए. इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी. जो टारगेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए. संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें. कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी होगी. इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा.
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है. इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे. राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं.
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इटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है. संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे. योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्य का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है. इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे. एमएसएमई के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं. इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी. योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा.
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए राधिका झा ने बताया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे. इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी. 40 हजार रुपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रुपए सम्भावित है. राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है. इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे. इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है. योजना के अंतर्गत आवंटित परियेजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी. इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा.
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है. सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा. चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी. तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है. पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है. परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा. लाभार्थी द्वारा परियेजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे. इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी.