देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम आने में ज्यादा वक्त नहीं बचा है. 10 मार्च को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी. दोपहर 12 बजे तक स्थिति साफ हो जाएगी कि प्रदेश में किसी सरकार बन रही है. हालांकि कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है, लेकिन बीजेपी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है. कांग्रेस ने अपने विधायकों को किसी भी तरह दूसरे पाले में जाने से बचाने की कवायद भी तेज कर दी है. उत्तराखंड में इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल हो दी गई है. सीएम भूपेश बघेल आज 9 मार्च शाम को देहरादून पहुंचे चुके हैं.
वैसे तो कांग्रेस दावा कर रही है कि उत्तराखंड में उनकी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बन रही है, लेकिन फिर कांग्रेस को एक डर सता रहा है कि कही उन्नीस बीस की कमी रह गई तो बीजेपी सरकार बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी और बीजेपी के नेता कोई बड़ा खेल करके उनके विधायकों की खरीद-फरोख्त तक कर सकते हैं. कांग्रेस का बीजेपी को लेकर इस तरह का कई राज्यों में कड़वा अनुभव रहा है.
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उत्तराखंड में चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के विधायक किसी भी कीमत अपना पाला न बदल सकें, इसकी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल पर हैं. उन्होंने देहरादून में अपना डेरा डाल दिया है. पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की प्लानिंग तो यहां तक है कि जरूरत पड़े तो विधायकों को एयरलिफ्ट करके हॉर्स ट्रेडिंग से बचा लिया जाए.
विधायकों को अपने पाले में रखने के लिए कांग्रेस हर तरकीब अपनाने को तैयार बैठी है. कुमाऊं और गढ़वाल के सुदूर इलाकों से जीतने वाले विधायकों को सड़क मार्ग से देहरादून पहुंचने में कई घंटे लग सकते हैं. ऐसे में उन्हें हेलिकॉप्टर से भी देहरादून लाने का प्लान तैयार है.
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देहरादून पहुंचने पर भूपेश बघेल ने कहा कि कांग्रेस उत्तराखंड में बहुमत से सरकार बनाएगी. इसके बाद विधायक अपना नेता चुनेंगे और पार्टी आलाकमान सीएम का नाम तय करेगी, लेकिन बीजेपी ने अतीत में पैसे के जरिए और अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल करके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है. ऐसा न हो इसके लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार है. बीजेपी ने इससे पहले मध्य प्रदेश और कर्नाटक में इस तरह कर चुकी है.
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सांसद दीपेंद्र हुड्डा, स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे सहित अन्य रणनीतिकार भी देहरादून पहुंच चुके हैं. जीतने वाले हर कैंडिडेट से पार्टी के नेता लगातार टच में हैं, ताकि BJP की किसी भी विधायक पर डोरे डालने की गतिविधि को समय रहते फेल किया जा सके. कांग्रेस ने हर जिले की जिम्मेदारी एक-एक पर्यवेक्षक को दी है. वहीं प्रत्याशियों के साथ ही एक सह पर्यवेक्षक रहेगा.