देहरादूनः उत्तराखंड में पहली बार छात्र-छात्राएं लोक बोलियों गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी में भी सर्टिफाइड कोर्स कर पाएंगे. इस मुहिम को दून विश्वविद्यालय (Doon University) ने शुरू किया है. विवि की ओर से इस शैक्षणिक सत्र से इन तीनों लोक-बोलियों में एक वर्ष का सर्टिफाइड कोर्स शुरू किया जाएगा. जिसके लिए विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की ओर से स्वीकृति मिल गई है.
दून विवि में कोर्स शुरू होने के बाद अन्य प्रदेशों के छात्र-छात्राएं भी उत्तराखंड की इन लोक बोलियों की बारीकियों से रूबरू हो सकेंगे. साथ ही बोलियों के बारीकियों को समझ पाएंगे. दून विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि जहां युवा पीढ़ियां अपनी लोक बोलियों से दूर होती जा रही थी तो अब इस मुहिम से युवा अपनी संस्कृति से सीधे शिक्षा के माध्यम से जुड़ पाएंगे.
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देहरादून स्थित दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर सुरेखा डंगवाल (Doon University Vice Chancellor Surekha Dangwal) ने बताया कि अभी यूनिवर्सिटी में विदेश की विभिन्न पांच भाषाओं का सर्टिफिकेट कोर्स चलाया जा रहा है. अब इसी तर्ज पर उत्तराखंड की तीनों मुख्य लोक बोलियों गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी का एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स इस सत्र से शुरू होने जा रहा है. जिसके अकादमी ढांचे को तैयार किया जा रहा है.
कुलपति डंगवाल ने बताया कि डॉ नित्यानंद स्वामी के नाम पर प्रदेश सरकार की मदद से विश्वविद्यालय परिसर में 22 करोड़ की लागत से डॉ नित्यानंद शोध एवं स्टडी केंद्र की स्थापना (Dr Nityanand Research and Study Center) की गई है. जिसका लोकार्पण 2 जून को सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे. इस शोध केंद्र में ही तीनों लोक बोलियों का कोर्स संचालित किया जाएगा.
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डॉ सुरेखा डंगवाल ने बताया कि हिमालय और भूगोल से जुड़ी हर जानकारियों को यहां संकलित किया जाएगा. क्योंकि, डॉ नित्यानंद स्वामी एक समाजसेवी के साथ भूगोल के प्रवक्ता और वरिष्ठ जानकार रहे हैं. इसके लोकार्पण के साथ ही भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय की ओर से महिलाओं की विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रतिभाग बढ़ाने के लिए दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. जिसमें प्रदेश और देश की करीब 44 महिला वैज्ञानिक प्रतिभाग करेंगी.
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अलावा देश के प्रतिष्टित संस्थानों और केंद्रों के करीब 52 वैज्ञानिक, शिक्षाविद समेत निदेशक इस सेमिनार में प्रतिभाग करेंगे. जिसमें से 16 वैज्ञानिक सीधे तौर पर महिला वैज्ञानिकों से उनके क्षेत्र से संबंधित संवाद करेंगे. जो महिला वैज्ञानिक इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाएंगे, उनके लिए ऑनलाइन संवाद की व्यवस्था की गई है. साथ ही विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं की ओर से गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने वाली नंदा देवी राजजात यात्रा (Nanda Devi Raj Jat Yatra) की नृत्य व नाटिका का भी मंचन किया जाएगा.