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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: सुसाइड नहीं है समाधान !

विश्व भर में साल दर साल आत्महत्या से जुड़े मामलों में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. ऐसे में जिंदगी की कठिन परिस्थितियों के बीच लोग आत्महत्या जैसा घातक कदम न उठाएं इसके लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस ( world suicide prevention Day ) मनाया जाता है. मनोवैज्ञानिक डॉक्टर स्वाति मिश्रा ने बताया आत्महत्या से कैसे बचें.

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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
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Published : Sep 10, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 4:25 PM IST

देहरादून: हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया जाता है) इसे लोगों में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरूकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है. आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए इसे 2003 में शुरू किया गया था. इसकी शुरुआत आईएएसपी (इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी. आइये जानें इससे जुड़े कुछ और तथ्य...

क्या संदेश देता है यह दिवस

यह दिवस हमें यह संदेश देता है कि किसी भी कठिन परिस्तिथि में आत्महत्या जैसा कदम उठाना एक बेहद ही स्वार्थी कदम है.

आत्महत्या के आंकड़े

गौरतलब है कि देश के साथ ही उत्तराखंड में भी साल दर साल आत्महत्या से जुड़े मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में सुसाइड के मामलों में 22 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. इनमें ज्यादातर मामले पारिवारिक विवाद और असफल प्रेम प्रसंग से जुड़े हैं.

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस.

साल 2018- 2019 में आत्महत्या से जुड़े मामले

बात अगर पूरे भारत वर्ष की करें तो देश में भी आत्महत्या से जुड़े मामलों में तेजी के साथ बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार जहां देश भर में साल 2018 में 1,34,516 आत्महत्या से जुड़े मामले दर्ज किए गए थे. वहीं, साल 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,39,123 हो गया. इस तरह देखा जाए तो साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में आत्महत्या से जुड़े मामलों में 3.4% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

पढ़ें- विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस : हर वर्ष बढ़ रही दर, जानें कारण

कुल मिलाकर देखा जाए तो जिस तेजी से देश के साथ ही प्रदेश में भी आत्महत्या से जुड़े मामलों में साल दर साल बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है, उसे देखते हुए हमारे लिए यह समझना बेहद ही जरूरी हो जाता है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है. इन्हीं कुछ सवालों का जवाब देते हुए देहरादून की जानी- मानी मनोवैज्ञानिक डॉ. स्वाति मिश्रा ने ईटीवी भारत के साथ अपना एक वीडियो संदेश साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि आखिर आत्महत्या क्या है और इस जिंदगी को खत्म कर देने वाले भयानक कदम को उठाने से कैसे बचा जा सकता है.

आत्महत्या क्या है ?

आत्महत्या की स्थिति के विषय में जानकारी देते हुए मनोवैज्ञानिक डॉक्टर स्वाति मिश्रा बताती हैं कि यह एक मानसिक स्थिति है या फिर इसे हम एक मानसिक बीमारी कह सकते हैं, जो एक व्यक्ति को तब हो जाती है जब उसका मनोबल किसी वजह से पूरी तरह टूट जाता है और वह अत्यधिक तनाव में रहने लगता है. इस स्थिति में एक इंसान के मन में अपनी जिंदगी खत्म कर देने के सिवाय और कोई दूसरा विचार नहीं आ पाता.

पढ़ें- रेलवे स्टेशन पर शव मिलने से मचा हड़कंप, हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी गुत्थी

किन परिस्थितियों में आने लगते हैं आत्महत्या करने से जुड़े विचार ?

मनोवैज्ञानिक डॉ. स्वाति मिश्रा के मुताबिक आत्महत्या करने से जुड़े विचार सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति के मन में आ सकते हैं. लेकिन ज्यादातर इस तरह के विचार उस व्यक्ति के मन में ज्यादा आने लगते हैं जो मानसिक रूप से कमजोर है और पिछले लंबे समय से तनाव के दौर से गुजर रहा है. तनाव किसी भी तरह का हो सकता है. कई लोगों को व्यापार में हुए नुकसान की वजह से तनाव होने लगता है तो कई लोग पारिवारिक कलह और असफल प्रेम-प्रसंग के चलते तनाव में आ जाते हैं.

मन में आत्महत्या जैसा कदम उठाने के विचार आने लगे तो क्या करें ?

डॉ. स्वाति मिश्रा के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारणवश तनाव के दौर से गुजर रहा है और लंबे समय से इस तनाव से उभर पाने में असफल है, तो उस व्यक्ति को अपने किसी खास मित्र परिवारीजन या फिर अपने किसी रिश्तेदार से अपने तनाव के विषय में जरूर बात करनी चाहिए. यदि अपने खास मित्र या परिवारीजन से भी कोई व्यक्ति अपनी समस्या को साझा नहीं करना चाहता तो वह व्यक्ति किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकता है. ऐसा करने पर एक व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही दोस्तों और परिवारजनों या फिर किसी अन्य व्यक्ति का सहयोग भी मिल पाता है, जिससे तनाव की स्थिति से निकलने में मदद मिलती है.

जिंदगी खत्म करने का विचार मन में आ रहा हो तो इन बातों का जरूर रखें ख्याल

कोई भी व्यक्ति जो लंबे समय से किसी कारणवश तनाव में चल रहा है और उसके मन में जिंदगी खत्म कर देने जैसे विचार आ रहे हैं. तो ऐसे व्यक्ति को या फिर ऐसे व्यक्ति के परिवारीजनों को इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए. जहां तक हो सके धारदार चीजें जैसे चाकू, कैंची, सुई या फिर बंदूक इत्यादि को ऐसे व्यक्ति से दूर रखें जो पिछले लंबे समय से मानसिक तनाव या फिर अवसाद के दौर से गुजर रहा है.

दूसरी तरफ सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए हमेशा घर या फिर अपने कमरे में हल्के रंग की चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करें. उदाहरण के तौर पर अपने कमरे में हल्के रंग के परदे, चादरें इत्यादि लगाएं जिससे कि इन्हें देख कर आपको सकारात्मक ऊर्जा मिल सके. बहरहाल इसमें कोई दो राह नहीं कि बदलती जीवनशैली के बीच आज आत्महत्या विश्व भर के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है. लेकिन कुछ बातों का विशेष ख्याल रखकर और अपने दोस्तों और परिवारीजनों के साथ अपनी समस्या को साझा कर आत्महत्या जैसा कदम उठाने की स्थिति से आसानी से उबरा जा सकता है.

देहरादून: हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया जाता है) इसे लोगों में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरूकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है. आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए इसे 2003 में शुरू किया गया था. इसकी शुरुआत आईएएसपी (इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन) द्वारा की गई थी. आइये जानें इससे जुड़े कुछ और तथ्य...

क्या संदेश देता है यह दिवस

यह दिवस हमें यह संदेश देता है कि किसी भी कठिन परिस्तिथि में आत्महत्या जैसा कदम उठाना एक बेहद ही स्वार्थी कदम है.

आत्महत्या के आंकड़े

गौरतलब है कि देश के साथ ही उत्तराखंड में भी साल दर साल आत्महत्या से जुड़े मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में सुसाइड के मामलों में 22 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है. इनमें ज्यादातर मामले पारिवारिक विवाद और असफल प्रेम प्रसंग से जुड़े हैं.

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस.

साल 2018- 2019 में आत्महत्या से जुड़े मामले

बात अगर पूरे भारत वर्ष की करें तो देश में भी आत्महत्या से जुड़े मामलों में तेजी के साथ बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार जहां देश भर में साल 2018 में 1,34,516 आत्महत्या से जुड़े मामले दर्ज किए गए थे. वहीं, साल 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,39,123 हो गया. इस तरह देखा जाए तो साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में आत्महत्या से जुड़े मामलों में 3.4% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

पढ़ें- विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस : हर वर्ष बढ़ रही दर, जानें कारण

कुल मिलाकर देखा जाए तो जिस तेजी से देश के साथ ही प्रदेश में भी आत्महत्या से जुड़े मामलों में साल दर साल बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है, उसे देखते हुए हमारे लिए यह समझना बेहद ही जरूरी हो जाता है कि आखिर किन परिस्थितियों में एक व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है. इन्हीं कुछ सवालों का जवाब देते हुए देहरादून की जानी- मानी मनोवैज्ञानिक डॉ. स्वाति मिश्रा ने ईटीवी भारत के साथ अपना एक वीडियो संदेश साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि आखिर आत्महत्या क्या है और इस जिंदगी को खत्म कर देने वाले भयानक कदम को उठाने से कैसे बचा जा सकता है.

आत्महत्या क्या है ?

आत्महत्या की स्थिति के विषय में जानकारी देते हुए मनोवैज्ञानिक डॉक्टर स्वाति मिश्रा बताती हैं कि यह एक मानसिक स्थिति है या फिर इसे हम एक मानसिक बीमारी कह सकते हैं, जो एक व्यक्ति को तब हो जाती है जब उसका मनोबल किसी वजह से पूरी तरह टूट जाता है और वह अत्यधिक तनाव में रहने लगता है. इस स्थिति में एक इंसान के मन में अपनी जिंदगी खत्म कर देने के सिवाय और कोई दूसरा विचार नहीं आ पाता.

पढ़ें- रेलवे स्टेशन पर शव मिलने से मचा हड़कंप, हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी गुत्थी

किन परिस्थितियों में आने लगते हैं आत्महत्या करने से जुड़े विचार ?

मनोवैज्ञानिक डॉ. स्वाति मिश्रा के मुताबिक आत्महत्या करने से जुड़े विचार सामान्य तौर पर किसी भी व्यक्ति के मन में आ सकते हैं. लेकिन ज्यादातर इस तरह के विचार उस व्यक्ति के मन में ज्यादा आने लगते हैं जो मानसिक रूप से कमजोर है और पिछले लंबे समय से तनाव के दौर से गुजर रहा है. तनाव किसी भी तरह का हो सकता है. कई लोगों को व्यापार में हुए नुकसान की वजह से तनाव होने लगता है तो कई लोग पारिवारिक कलह और असफल प्रेम-प्रसंग के चलते तनाव में आ जाते हैं.

मन में आत्महत्या जैसा कदम उठाने के विचार आने लगे तो क्या करें ?

डॉ. स्वाति मिश्रा के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारणवश तनाव के दौर से गुजर रहा है और लंबे समय से इस तनाव से उभर पाने में असफल है, तो उस व्यक्ति को अपने किसी खास मित्र परिवारीजन या फिर अपने किसी रिश्तेदार से अपने तनाव के विषय में जरूर बात करनी चाहिए. यदि अपने खास मित्र या परिवारीजन से भी कोई व्यक्ति अपनी समस्या को साझा नहीं करना चाहता तो वह व्यक्ति किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकता है. ऐसा करने पर एक व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही दोस्तों और परिवारजनों या फिर किसी अन्य व्यक्ति का सहयोग भी मिल पाता है, जिससे तनाव की स्थिति से निकलने में मदद मिलती है.

जिंदगी खत्म करने का विचार मन में आ रहा हो तो इन बातों का जरूर रखें ख्याल

कोई भी व्यक्ति जो लंबे समय से किसी कारणवश तनाव में चल रहा है और उसके मन में जिंदगी खत्म कर देने जैसे विचार आ रहे हैं. तो ऐसे व्यक्ति को या फिर ऐसे व्यक्ति के परिवारीजनों को इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए. जहां तक हो सके धारदार चीजें जैसे चाकू, कैंची, सुई या फिर बंदूक इत्यादि को ऐसे व्यक्ति से दूर रखें जो पिछले लंबे समय से मानसिक तनाव या फिर अवसाद के दौर से गुजर रहा है.

दूसरी तरफ सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए हमेशा घर या फिर अपने कमरे में हल्के रंग की चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करें. उदाहरण के तौर पर अपने कमरे में हल्के रंग के परदे, चादरें इत्यादि लगाएं जिससे कि इन्हें देख कर आपको सकारात्मक ऊर्जा मिल सके. बहरहाल इसमें कोई दो राह नहीं कि बदलती जीवनशैली के बीच आज आत्महत्या विश्व भर के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है. लेकिन कुछ बातों का विशेष ख्याल रखकर और अपने दोस्तों और परिवारीजनों के साथ अपनी समस्या को साझा कर आत्महत्या जैसा कदम उठाने की स्थिति से आसानी से उबरा जा सकता है.

Last Updated : Sep 10, 2020, 4:25 PM IST
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