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हरीश रावत स्टिंग प्रकरण में फिर एक्टिव हुई CBI, 4 नेताओं को भेजे नोटिस, लिए जाएंगे वॉयस सैंपल! - हरीश रावत स्टिंग प्रकरण

उत्तराखंड के स्टिंग प्रकरण मामले में सीबीआई ने हरीश रावत, हरक सिंह रावत, उमेश कुमार और मदन बिष्ट को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस वॉयस सैंपल लेने के लिए जारी किया गया है. सीबीआई की ओर से नोटिस जारी होने के बाद सूबे में सियासी हलचल तेज हो गई है.

Harish Rawat Sting Case
हरीश रावत स्टिंग प्रकरण
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Published : Jun 22, 2023, 9:55 PM IST

Updated : Jun 24, 2023, 2:59 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में एक बार फिस से सीबीआई एक्टिव हुई है. सीबीआई ने बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में चार नेताओं को नोटिस जारी किया है. इन नेताओं में पूर्व सीएम हरीश रावत, हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और खानपुर विधायक उमेश कुमार का नाम शामिल है. सीबीआई ने इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने के हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है.

बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन हरीश की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सरकार के अपने ही 9 विधायक बागी हो गए थे. इन विधायकों में विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा, शैलेंद्र मोहन, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा शामिल थे. इनके बगावती तेवरों की आंच इतनी बढ़ गई थी कि इसकी तपिश दिल्ली तक पहुंची. नजीजतन उत्तराखंड में 3 महीने तक उहापोह की स्थिति बनी रही. आखिरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
ये भी पढ़ेंः हरीश रावत बोले- बीजेपी ही कथित स्टिंग मास्टर को लाई थी उत्तराखंड

इस घटना के बाद देहरादून में मीडिया का जमावड़ा लग गया था. सोशल मीडिया से लेकर तमाम समाचार पत्रों में इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी. आखिर में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन हरीश रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट का मौका मिला, जिसमें हरीश रावत ने बीजेपी को चिढ़ाते हुए सरकार पर आए इस संकट से पार पाया.

CBI Issued Notice
सीबीआई से जारी पत्र

क्या है मामलाः गौर हो कि साल 2016 में एक निजी चैनल ने हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था, जिसमें उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करते नजर आए थे. तब विपक्ष यानी बीजेपी ने इस प्रकरण को पुरजोर तरीके से उठाया और इस मामले में लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की.

मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. जहां से हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गई थी, लेकिन इस बीच रहे राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल की संस्तुति पर केंद्र ने स्टिंग प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने याचिका दायर कर कहा था कि साल 2017 में कांग्रेस की सरकार गिरने पर उनके स्टिंग और विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में प्रारंभिक जांच पर रोक लगाई जाए.
ये भी पढ़ेंः 'रेंजर्स ग्राउंड में दिखाइए मेरे और अपने स्टिंग', हरीश रावत ने BJP को ललकारा

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने का सिलसिले वार घटनाक्रम

  • 18 मार्चः सुबह के समय तत्कालीन मसूरी विधायक गणेश जोशी शक्तिमान घोड़े को घायल करने के मामले में गिरफ्तार हुए. शाम को विधानसभा में कांग्रेस के 9 विधायकों ने विनियोग विधेयक पारित करने के लिए बीजेपी के साथ मिलकर वोटिंग की मांग की. इसी दिन बागी विधायक बीजेपी के साथ राज्यपाल से मिलकर विश्वास मत की मांग करने के बाद दिल्ली रवाना हो गए.
  • 19 मार्चः राज्यपाल ने सीएम हरीश रावत को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने के लिए पत्र भेजा. सरकार ने भी बागी विधायकों के घर पर दल बदल कानून के तहत सदस्यता निरस्त करने का नोटिस भेजा.
  • 20 मार्चः विधानसभा अध्यक्ष ने 28 मार्च को सदन बुलाने के लिए पत्र भेजा.
  • 21 मार्चः बीजेपी और कांग्रेस के बीच छिड़ी सियासी जंग राष्ट्रपति दरबार में पहुंची. बीजेपी ने 18 मार्च को हुए हंगामे को आधार बनाकर सरकार बर्खास्त करने की मांग कर डाली.
  • 22 मार्चः उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावनाएं बढ़ी. विधायक गणेश जोशी की जमानत याचिका मंजूर की गई.
  • 23 मार्चः राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को 28 मार्च को सदन में मर्यादा बनाए रखने के लिए संदेश भेजा. संदेश से राष्ट्रपति शासन लगने के आधार को और बल मिला.
  • 24 मार्चः बागी विधायकों ने दिल्ली में दावा जताया कि सरकार से कोई समझौता नहीं होगा. लिहाजा, विधानसभा अध्यक्ष को कुछ बागियों ने नोटिस के जवाब दिए.
  • 25 मार्चः बागी विधायकों ने दल बदल कानून को आधार बनाया और सदस्यता समाप्त करने के नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली, लेकिन हाईकोर्ट ने स्पीकर के खिलाफ याचिका खारिज की.
  • 26 मार्चः सीएम हरीश रावत का विधायकों की खरीद फरोख्त का स्टिंग सामने आ गया. केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति को धारा 356 लागू करने की सिफारिश भेजी.
  • 27 मार्चः उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया.
  • 28 मार्चः तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अपील की.
  • 29 मार्चः कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने सदस्यता समाप्त करने के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.
  • 30 मार्चः हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हरीश रावत को सदन में बहुमत साबित करने का निर्णय दिया.
  • 2 अप्रैलः तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने एक और याचिका दाखिल कर बजट अध्यादेश को दी चुनौती.
  • 7 अप्रैलः हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फ्लोर के एकलपीठ के निर्णय को 18 अप्रैल तक स्थगित किया.
  • 12 अप्रैलः एकलपीठ ने बागी विधायकों की याचिका पर 23 अप्रैल तक सुनवाई टाली.
  • 18 अप्रैलः राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई.
  • 21 अप्रैलः हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन समाप्त कर 29 अप्रैल को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया.
  • 29 अप्रैलः तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फ्लोर पर बहुमत साबित किया.

देहरादूनः उत्तराखंड में साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में एक बार फिस से सीबीआई एक्टिव हुई है. सीबीआई ने बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में चार नेताओं को नोटिस जारी किया है. इन नेताओं में पूर्व सीएम हरीश रावत, हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और खानपुर विधायक उमेश कुमार का नाम शामिल है. सीबीआई ने इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने के हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है.

बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड की तत्कालीन हरीश की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए सरकार के अपने ही 9 विधायक बागी हो गए थे. इन विधायकों में विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा, शैलेंद्र मोहन, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा शामिल थे. इनके बगावती तेवरों की आंच इतनी बढ़ गई थी कि इसकी तपिश दिल्ली तक पहुंची. नजीजतन उत्तराखंड में 3 महीने तक उहापोह की स्थिति बनी रही. आखिरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा.
ये भी पढ़ेंः हरीश रावत बोले- बीजेपी ही कथित स्टिंग मास्टर को लाई थी उत्तराखंड

इस घटना के बाद देहरादून में मीडिया का जमावड़ा लग गया था. सोशल मीडिया से लेकर तमाम समाचार पत्रों में इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी. आखिर में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन हरीश रावत सरकार को फ्लोर टेस्ट का मौका मिला, जिसमें हरीश रावत ने बीजेपी को चिढ़ाते हुए सरकार पर आए इस संकट से पार पाया.

CBI Issued Notice
सीबीआई से जारी पत्र

क्या है मामलाः गौर हो कि साल 2016 में एक निजी चैनल ने हरीश रावत का एक स्टिंग दिखाया था, जिसमें उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करते नजर आए थे. तब विपक्ष यानी बीजेपी ने इस प्रकरण को पुरजोर तरीके से उठाया और इस मामले में लगातार सरकार को घेरने की कोशिश की.

मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. जहां से हरीश रावत सरकार फिर से बहाल हो गई थी, लेकिन इस बीच रहे राष्ट्रपति शासन के दौरान तत्कालीन राज्यपाल की संस्तुति पर केंद्र ने स्टिंग प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए. मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने याचिका दायर कर कहा था कि साल 2017 में कांग्रेस की सरकार गिरने पर उनके स्टिंग और विधायकों की खरीद फरोख्त मामले में प्रारंभिक जांच पर रोक लगाई जाए.
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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने का सिलसिले वार घटनाक्रम

  • 18 मार्चः सुबह के समय तत्कालीन मसूरी विधायक गणेश जोशी शक्तिमान घोड़े को घायल करने के मामले में गिरफ्तार हुए. शाम को विधानसभा में कांग्रेस के 9 विधायकों ने विनियोग विधेयक पारित करने के लिए बीजेपी के साथ मिलकर वोटिंग की मांग की. इसी दिन बागी विधायक बीजेपी के साथ राज्यपाल से मिलकर विश्वास मत की मांग करने के बाद दिल्ली रवाना हो गए.
  • 19 मार्चः राज्यपाल ने सीएम हरीश रावत को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने के लिए पत्र भेजा. सरकार ने भी बागी विधायकों के घर पर दल बदल कानून के तहत सदस्यता निरस्त करने का नोटिस भेजा.
  • 20 मार्चः विधानसभा अध्यक्ष ने 28 मार्च को सदन बुलाने के लिए पत्र भेजा.
  • 21 मार्चः बीजेपी और कांग्रेस के बीच छिड़ी सियासी जंग राष्ट्रपति दरबार में पहुंची. बीजेपी ने 18 मार्च को हुए हंगामे को आधार बनाकर सरकार बर्खास्त करने की मांग कर डाली.
  • 22 मार्चः उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावनाएं बढ़ी. विधायक गणेश जोशी की जमानत याचिका मंजूर की गई.
  • 23 मार्चः राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को 28 मार्च को सदन में मर्यादा बनाए रखने के लिए संदेश भेजा. संदेश से राष्ट्रपति शासन लगने के आधार को और बल मिला.
  • 24 मार्चः बागी विधायकों ने दिल्ली में दावा जताया कि सरकार से कोई समझौता नहीं होगा. लिहाजा, विधानसभा अध्यक्ष को कुछ बागियों ने नोटिस के जवाब दिए.
  • 25 मार्चः बागी विधायकों ने दल बदल कानून को आधार बनाया और सदस्यता समाप्त करने के नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली, लेकिन हाईकोर्ट ने स्पीकर के खिलाफ याचिका खारिज की.
  • 26 मार्चः सीएम हरीश रावत का विधायकों की खरीद फरोख्त का स्टिंग सामने आ गया. केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति को धारा 356 लागू करने की सिफारिश भेजी.
  • 27 मार्चः उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया.
  • 28 मार्चः तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अपील की.
  • 29 मार्चः कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने सदस्यता समाप्त करने के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.
  • 30 मार्चः हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हरीश रावत को सदन में बहुमत साबित करने का निर्णय दिया.
  • 2 अप्रैलः तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने एक और याचिका दाखिल कर बजट अध्यादेश को दी चुनौती.
  • 7 अप्रैलः हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फ्लोर के एकलपीठ के निर्णय को 18 अप्रैल तक स्थगित किया.
  • 12 अप्रैलः एकलपीठ ने बागी विधायकों की याचिका पर 23 अप्रैल तक सुनवाई टाली.
  • 18 अप्रैलः राष्ट्रपति शासन के खिलाफ दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई.
  • 21 अप्रैलः हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन समाप्त कर 29 अप्रैल को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया.
  • 29 अप्रैलः तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फ्लोर पर बहुमत साबित किया.
Last Updated : Jun 24, 2023, 2:59 PM IST
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