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रामपुर तिराहा कांड में CBI ने कोर्ट में दो की कराई गवाही, आरोपी विक्रम सिंह भगोड़ा घोषित - उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

उत्तराखंड राज्य गठन की मांग को लेकर हुए आंदोलन के दौरान गैंगरेप और दूसरे मामलों में सीबीआई ने दो लोगों की गवाई कराई है. वहीं, एक फरार आरोपी को भगोड़ा घोषित कर उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. आज दो मुकदमों में कोर्ट में राधा मोहन द्विवेदी और मिलाप सिंह की गवाही हुई.

Uttarakhand Martyrs Memorial
उत्तराखंड शहीद स्मारक
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Published : Apr 26, 2023, 11:00 PM IST

मुजफ्फरनगर/देहरादूनः करीब 29 साल बाद यूपी के चर्चित रामपुर तिराहा कांड में बुधवार 26 अप्रैल को सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने गैंगरेप और दूसरे मामले में मुजफ्फरनगर कोर्ट में गवाही कराई है. इस केस के सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे. वहीं, एक आरोपी विक्रम सिंह जो लंबे समय से फरार चल रहा है, उसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया है. सीबीआई ने आरोपी विक्रम सिंह के खिलाफ स्थायी गैर जमानती वारंट जारी किया है.

26 अप्रैल को मुजफ्फरनगर कोर्ट में रामपुर तिराहा कांड के दो मुकदमों में राधा मोहन द्विवेदी और मिलाप सिंह की कोर्ट में गवाही हुई. मामले की सुनवाई एडीजे संख्या सात शक्ति सिंह कर रहे हैं. दोनों मामलों में सीबीआई ने कोर्ट में रामपुर निवासी चश्मदीद गवाह पेश किया गया. इस दौरान सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे.

वहीं, तीन आरोपियों राधा मोहन द्विवेदी, तमकीन अहमद और संजीव भारद्वाज के वकील ने उनकी हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया. सीबीआई के आवेदन पर कोर्ट ने लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी विक्रम सिंह को भगोड़ा घोषित किया गया और उसका स्थायी गैर जमानती वारंट जारी किया गया है.

बता दें कि पृथक राज्य उत्तराखंड की मांग को लेकर एक अक्टूबर 1994 को सैकड़ों की संख्या में पहाड़ से लोग गाड़ियों में भरकर देहरादून से दिल्ली जा रहे थे. तभी आधी रात को तत्कालीन यूपी पुलिस ने मुजफ्फरनगर जिले के छपार थाना क्षेत्र में रामपुर तिराहे पर सभी आंदोलनकारियों की गाड़ियों को रोक लिया.

पुलिस ने आंदोलनकारियों को आगे नहीं जाने दिया तो वो, आंदोलनकारी वहीं सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे. यूपी पुलिस ने इस आंदोलन का कुचलने के लिए आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया. आरोप है कि जब लाठीचार्ज के बाद भी आंदोलनकारी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने लोगों पर फायरिंग कर दी थी. पुलिस की इस फायरिंग में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी.

आरोप है कि इस दौरान महिलाओं के साथ भी ज्यादती की गई थी. इस मामले में उत्तराखंड गठन समिति ने छपार थाने में आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कराए थे. बीते कई सालों से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला है. हालांकि, बीते दिनों जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी.
ये भी पढ़ेंः रामपुर तिराहा कांड में सीबीआई ने आरोपी पुलिस कर्मी को गिरफ्तार करके भेजा जेल

मुजफ्फरनगर/देहरादूनः करीब 29 साल बाद यूपी के चर्चित रामपुर तिराहा कांड में बुधवार 26 अप्रैल को सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने गैंगरेप और दूसरे मामले में मुजफ्फरनगर कोर्ट में गवाही कराई है. इस केस के सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे. वहीं, एक आरोपी विक्रम सिंह जो लंबे समय से फरार चल रहा है, उसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया है. सीबीआई ने आरोपी विक्रम सिंह के खिलाफ स्थायी गैर जमानती वारंट जारी किया है.

26 अप्रैल को मुजफ्फरनगर कोर्ट में रामपुर तिराहा कांड के दो मुकदमों में राधा मोहन द्विवेदी और मिलाप सिंह की कोर्ट में गवाही हुई. मामले की सुनवाई एडीजे संख्या सात शक्ति सिंह कर रहे हैं. दोनों मामलों में सीबीआई ने कोर्ट में रामपुर निवासी चश्मदीद गवाह पेश किया गया. इस दौरान सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे.

वहीं, तीन आरोपियों राधा मोहन द्विवेदी, तमकीन अहमद और संजीव भारद्वाज के वकील ने उनकी हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया. सीबीआई के आवेदन पर कोर्ट ने लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी विक्रम सिंह को भगोड़ा घोषित किया गया और उसका स्थायी गैर जमानती वारंट जारी किया गया है.

बता दें कि पृथक राज्य उत्तराखंड की मांग को लेकर एक अक्टूबर 1994 को सैकड़ों की संख्या में पहाड़ से लोग गाड़ियों में भरकर देहरादून से दिल्ली जा रहे थे. तभी आधी रात को तत्कालीन यूपी पुलिस ने मुजफ्फरनगर जिले के छपार थाना क्षेत्र में रामपुर तिराहे पर सभी आंदोलनकारियों की गाड़ियों को रोक लिया.

पुलिस ने आंदोलनकारियों को आगे नहीं जाने दिया तो वो, आंदोलनकारी वहीं सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे. यूपी पुलिस ने इस आंदोलन का कुचलने के लिए आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया. आरोप है कि जब लाठीचार्ज के बाद भी आंदोलनकारी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हुए तो पुलिस ने लोगों पर फायरिंग कर दी थी. पुलिस की इस फायरिंग में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी.

आरोप है कि इस दौरान महिलाओं के साथ भी ज्यादती की गई थी. इस मामले में उत्तराखंड गठन समिति ने छपार थाने में आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कराए थे. बीते कई सालों से उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें इंसाफ नहीं मिला है. हालांकि, बीते दिनों जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी.
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