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'कन्यादान' का हुआ विमोचन, दिखेगी उत्तराखंड की खूबसूरती - निर्माता-निर्देशक देबू रावत

उत्तराखंड के फिल्मी  इतिहास में पहली बार कोई फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सिनेमा हॉल में प्रदर्शित की जा रही है. यह फिल्म उत्तराखंड में व्याप्त जातिवाद पर चोट करती है.

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फीचर फिल्म कन्यादान का हुआ विमोचन
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Published : Nov 26, 2019, 5:07 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित गढ़वाली फीचर फिल्म कन्यादान का विमोचन प्रेस क्लब में आयोजित किया गया. जातिवाद पर आधारित फीचर फिल्म कन्यादान को उत्तराखंड की हसीन वादियों में फिल्माया गया है.

फीचर फिल्म कन्यादान का हुआ विमोचन

निर्माता-निर्देशक देबू रावत ने बताया कि उत्तराखंड के फिल्मी इतिहास में पहली बार कोई फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सिनेमा हॉल में प्रदर्शित की जा रही है. यह फिल्म उत्तराखंड में व्याप्त जातिवाद पर चोट करती हुई एक नई राह दिखाती है.

ये भी पढ़ेंः...तो रुड़की नगर निगम चुनाव से पहले ही बीजेपी ने मान ली थी हार, सीएम ने कहा- भविष्य के लिए मिली सीख

फिल्म की कहानी दो फौजी दोस्तों से शुरू होकर उत्तराखंड के पहाड़ी समाज में व्याप्त जातिवाद के ताने-बाने पर आधारित है. जिसमें एक गरीब लोहार दंपति को देव योग से एक सवर्ण परिवार की नवजात बच्ची जंगल में मिलती है. मजबूरी में लोहार दंपति इस उम्मीद में बच्ची को पालने का कठोर निर्णय लेते हैं कि शायद कभी तो कोई बच्ची को लेने आएगा.

उधर, समय बीतता चला गया और वक्त के साथ बड़ी होने पर युवती को एक सवर्ण लड़के से प्यार हो जाता है. यहीं से गरीब लोहार दंपति जातिवाद जुल्म के भयानक फेर में उलझ जाते हैं.
वहीं, जातिवाद पर चोट करती इस फिल्म के संवाद वजनदार हैं. गीत संगीत मधुर है. फिल्म के सभी कलाकारों ने बेहतर अभिनय किया है. फिल्म की शूटिंग केदारनाथ के त्रियुगीनारायण, चोपता, अगस्त्यमुनि की हसीन वादियों में फिल्माया गया है.

देहरादूनः उत्तराखंड फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित गढ़वाली फीचर फिल्म कन्यादान का विमोचन प्रेस क्लब में आयोजित किया गया. जातिवाद पर आधारित फीचर फिल्म कन्यादान को उत्तराखंड की हसीन वादियों में फिल्माया गया है.

फीचर फिल्म कन्यादान का हुआ विमोचन

निर्माता-निर्देशक देबू रावत ने बताया कि उत्तराखंड के फिल्मी इतिहास में पहली बार कोई फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सिनेमा हॉल में प्रदर्शित की जा रही है. यह फिल्म उत्तराखंड में व्याप्त जातिवाद पर चोट करती हुई एक नई राह दिखाती है.

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फिल्म की कहानी दो फौजी दोस्तों से शुरू होकर उत्तराखंड के पहाड़ी समाज में व्याप्त जातिवाद के ताने-बाने पर आधारित है. जिसमें एक गरीब लोहार दंपति को देव योग से एक सवर्ण परिवार की नवजात बच्ची जंगल में मिलती है. मजबूरी में लोहार दंपति इस उम्मीद में बच्ची को पालने का कठोर निर्णय लेते हैं कि शायद कभी तो कोई बच्ची को लेने आएगा.

उधर, समय बीतता चला गया और वक्त के साथ बड़ी होने पर युवती को एक सवर्ण लड़के से प्यार हो जाता है. यहीं से गरीब लोहार दंपति जातिवाद जुल्म के भयानक फेर में उलझ जाते हैं.
वहीं, जातिवाद पर चोट करती इस फिल्म के संवाद वजनदार हैं. गीत संगीत मधुर है. फिल्म के सभी कलाकारों ने बेहतर अभिनय किया है. फिल्म की शूटिंग केदारनाथ के त्रियुगीनारायण, चोपता, अगस्त्यमुनि की हसीन वादियों में फिल्माया गया है.

Intro:उत्तराखंड फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित गढ़वाली फीचर फिल्म कन्यादान का विमोचन देहरादून के प्रेस क्लब में आयोजित किया गया, दलित जातिवाद पर आधारित फीचर फिल्म कन्यादान को उत्तराखंड की कई हसीन वादियों में फिल्माया गया है।


Body:कन्यादान फिल्म की जानकारी देते हुए निर्माता-निर्देशक देबू रावत ने बताया कि उत्तराखंडी फिल्मों के इतिहास में पहली बार कोई फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से सिनेमा हॉल में प्रदर्शित की जा रही है। यह फिल्म उत्तराखंड में व्याप्त जातिवाद पर चोट करती हुई एक नई राह दिखाती है। कन्यादान फिल्म की कहानी दो फौजी दोस्तों के समधी बनने के वजन से शुरू होकर उत्तराखंड के पहाड़ी समाज में व्याप्त जातिवाद के ताने-बाने पर आधारित है जिसमें एक गरीब ने संतान लोहार दंपति को देव योग से एक सवर्ण परिवार की नवजात बच्ची जंगल में मिलती है मजबूरी में लोहार दंपति इस उम्मीद में बच्ची को पालने का कठोर निर्णय लेते हैं कि शायद कभी तो कोई बच्ची को लेने आएगा। समय बीतता चला गया और वक्त के साथ-साथ बड़ी होने पर युवती को एक सवर्ण लड़के से प्यार हो जाता है और यहीं से गरीब लोहार दंपति जातिवाद जुल्म के भयानक फेर में उलझ जाते हैं।

बाईट- देबू रावत, निर्माता-निर्देशक, कन्यादान


Conclusion:उत्तराखंड पर जातिवाद पर चोट करती इस फिल्म के संवाद वजनदार हैं गीत संगीत मधुर है जबकि फिल्म के सभी कलाकारों ने बेहतर अभिनय किया है। फिल्म की शूटिंग केदारनाथ के त्रियुगीनारायण, चोपता, अगस्त्यमुनि की हसीन वादियों के अलावा देहरादून के मालदेवता आदि खूबसूरत जगहों पर फिल्माया गया है।
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