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उत्तरकाशी हेलीकॉप्टर क्रैश: कैप्टन रंजीव लाल को मिला था 'हिल रत्न' अवॉर्ड, जानिए क्यों ? - हेलीकॉप्टर क्रैश

उत्तराकाशी में हेलीकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले कैप्टन रंजीव लाल को साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में बेहतरीन काम के लिए सरकार ने 'हिल रत्न' पुरस्कार दिया था. ईटीवी भारत ने उनकी जर्नी के बारे में हेरिटेज हेली कंपनी सीईओ रोहित लाल और उनके साथी पायलट एसके जाना से खास बात की.

उत्तरकाशी हेलीकॉप्टर क्रैश
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Published : Aug 22, 2019, 9:49 AM IST

Updated : Aug 22, 2019, 3:42 PM IST

देहरादून: हेलीकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन रंजीव लाल ने उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के तमाम ऑपरेशन को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया, जिसका परिणाम सैकड़ों लोगों की जान बचाने के रूप में सामने आया. उत्तराकाशी आपदा में जान गंवा चुके लोगों के परिजन एक ओर जहां कैप्टन रंजीव लाल को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. तो वहीं, उनसे जुड़ी यादों की सराहना भी कर रहे हैं. साथ ही कैप्टन के साथी पायलट भी इसे बड़ा नुकसान बता रहे हैं. आखिर कौन थे कैप्टन रंजीव लाल और उन्हें क्यों 'हिल रत्न' से सम्मानित किया गया था. देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कैप्टन रंजीव लाल उनकी कंपनी में पिछले 7-8 साल से काम कर रहे थे. इस सेक्टर में उत्तराखंड के सबसे एक्सपीरियंस पायलट थे. करीब 6 से 7 हजार घंटे से ज्यादा समय हेलीकॉप्टर उड़ाने का एक्सपीरियंस था. साल 2012 उत्तरकाशी में आपदा के दौरान भी कैप्टन रंजीव लाल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इसके साथ ही साल 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू किया था. रोहित लाल ने बताया कि उत्तराखंड में जितनी भी कंपनियां हैं, उनमें सबसे ज्यादा एक्सपीरियंस्ड पायलट थे कैप्टन रंजीव लाल.

हेरिटेज हेली कंपनी सीईओ रोहित लाल

आपदा के दौरान 3-4 महीने तक किया रेस्क्यू
रोहित लाल ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल हेरिटेज हेली कंपनी के बैक बोन थे. उत्तराखंड में उन्होंने बहुत काम किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोफेशन में कभी भी घटना घट सकती है, लेकिन कोई यह नहीं कह सकता है कि इतने एक्सपीरियंस पायलट के साथ ये दुर्घटना कैसे हो गई. यह किसी के हाथ में नहीं होता. सीईओ रोहित लाल ने कहा कि हेलीकॉप्टर का नुकसान सेकेंडरी है, जबकि पायलट और इंजीनियर की मौत की कीमत नहीं लगाया जा सकती.

कैप्टन को 39 साल का एक्सपीरियंस था
कैप्टन रंजीव लाल के साथ काम करने वाले साथी पायलट एसके जाना ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल, इंडियन आर्मी से रिटायर्ड थे और दोनों साल 1983 से एक साथ फ्लाइंग कर रहे हैं. हालांकि, फ्लाइंग सर्विस में पिछले 39 सालों से काम कर रहे थे. एसके जाना ने भी बताया कि कैप्टन रंजीव लाल एक्सपीरियंस्ड और प्रोफेशनल पायलट थे. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा के दौरान जिस तरीके से रेस्क्यू का काम किया है, वह बेहद ही काबिले तारीफ है. कैप्टन रंजीव लाल सब के साथ मिलकर काम करने वाले व्यक्ति थे, ऐसे व्यक्ति का आजकल मिलना बहुत ही मुश्किल है.

एसके जाना, कैप्टन रंजीत लाल के साथी पायलट

पढ़ें- सरकार ने कराई होती केबल मार्किंग तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा, पायलट के दोस्तों ने बताई यह बात

साल 2013 में 'हिल रत्न' से हुए थे सम्मानित
पायलट एस के जाना बताया कि उनके घर के लिए तो लॉस है ही, साथ ही सभी पायलटों के लिए भी बहुत बड़ा नुकसान है. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा में अच्छा काम करने के लिए उन्होंने 'हिल रत्न' का अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था.

लोगों की जान बचाना ही हमारी प्राथमिकता
एसके जाना ने बताया कि जब भी पायलट को किसी घटना की सूचना मिलती है, तो बिना टाइम खराब किये तुरंत ही टेक ऑफ कर कर जाते हैं. हमारी प्राथमिकता रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. कई बार खराब मौसम में भी फ्लाई करना पड़ता है. एसके जाना बताया कि लाइफ सेविंग उनका पैशन है.

कैप्टन रंजीव लाल का लोगों की जान बचाने का एक जज्बा ही था, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने उनको न सिर्फ हिलमैन की उपाधि से सम्मानित किया, बल्कि एविएशन से जुड़े लोगों ने भी उनकी जमकर सराहना की. लेकिन अफसोस इस बात का है कि एक जांबाज पायलट राहत बचाव कार्य के दौरान ही अपनी जान गंवा बैठे. कैप्टन रंजीव लाल मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले थे जोकि पिछले कई सालों से दिल्ली में रहते थे, कैप्टन रंजीव लाल के फादर भी आर्मी अफसर थे.

देहरादून: हेलीकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन रंजीव लाल ने उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के तमाम ऑपरेशन को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया, जिसका परिणाम सैकड़ों लोगों की जान बचाने के रूप में सामने आया. उत्तराकाशी आपदा में जान गंवा चुके लोगों के परिजन एक ओर जहां कैप्टन रंजीव लाल को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. तो वहीं, उनसे जुड़ी यादों की सराहना भी कर रहे हैं. साथ ही कैप्टन के साथी पायलट भी इसे बड़ा नुकसान बता रहे हैं. आखिर कौन थे कैप्टन रंजीव लाल और उन्हें क्यों 'हिल रत्न' से सम्मानित किया गया था. देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कैप्टन रंजीव लाल उनकी कंपनी में पिछले 7-8 साल से काम कर रहे थे. इस सेक्टर में उत्तराखंड के सबसे एक्सपीरियंस पायलट थे. करीब 6 से 7 हजार घंटे से ज्यादा समय हेलीकॉप्टर उड़ाने का एक्सपीरियंस था. साल 2012 उत्तरकाशी में आपदा के दौरान भी कैप्टन रंजीव लाल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इसके साथ ही साल 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू किया था. रोहित लाल ने बताया कि उत्तराखंड में जितनी भी कंपनियां हैं, उनमें सबसे ज्यादा एक्सपीरियंस्ड पायलट थे कैप्टन रंजीव लाल.

हेरिटेज हेली कंपनी सीईओ रोहित लाल

आपदा के दौरान 3-4 महीने तक किया रेस्क्यू
रोहित लाल ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल हेरिटेज हेली कंपनी के बैक बोन थे. उत्तराखंड में उन्होंने बहुत काम किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोफेशन में कभी भी घटना घट सकती है, लेकिन कोई यह नहीं कह सकता है कि इतने एक्सपीरियंस पायलट के साथ ये दुर्घटना कैसे हो गई. यह किसी के हाथ में नहीं होता. सीईओ रोहित लाल ने कहा कि हेलीकॉप्टर का नुकसान सेकेंडरी है, जबकि पायलट और इंजीनियर की मौत की कीमत नहीं लगाया जा सकती.

कैप्टन को 39 साल का एक्सपीरियंस था
कैप्टन रंजीव लाल के साथ काम करने वाले साथी पायलट एसके जाना ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल, इंडियन आर्मी से रिटायर्ड थे और दोनों साल 1983 से एक साथ फ्लाइंग कर रहे हैं. हालांकि, फ्लाइंग सर्विस में पिछले 39 सालों से काम कर रहे थे. एसके जाना ने भी बताया कि कैप्टन रंजीव लाल एक्सपीरियंस्ड और प्रोफेशनल पायलट थे. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा के दौरान जिस तरीके से रेस्क्यू का काम किया है, वह बेहद ही काबिले तारीफ है. कैप्टन रंजीव लाल सब के साथ मिलकर काम करने वाले व्यक्ति थे, ऐसे व्यक्ति का आजकल मिलना बहुत ही मुश्किल है.

एसके जाना, कैप्टन रंजीत लाल के साथी पायलट

पढ़ें- सरकार ने कराई होती केबल मार्किंग तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा, पायलट के दोस्तों ने बताई यह बात

साल 2013 में 'हिल रत्न' से हुए थे सम्मानित
पायलट एस के जाना बताया कि उनके घर के लिए तो लॉस है ही, साथ ही सभी पायलटों के लिए भी बहुत बड़ा नुकसान है. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा में अच्छा काम करने के लिए उन्होंने 'हिल रत्न' का अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था.

लोगों की जान बचाना ही हमारी प्राथमिकता
एसके जाना ने बताया कि जब भी पायलट को किसी घटना की सूचना मिलती है, तो बिना टाइम खराब किये तुरंत ही टेक ऑफ कर कर जाते हैं. हमारी प्राथमिकता रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. कई बार खराब मौसम में भी फ्लाई करना पड़ता है. एसके जाना बताया कि लाइफ सेविंग उनका पैशन है.

कैप्टन रंजीव लाल का लोगों की जान बचाने का एक जज्बा ही था, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने उनको न सिर्फ हिलमैन की उपाधि से सम्मानित किया, बल्कि एविएशन से जुड़े लोगों ने भी उनकी जमकर सराहना की. लेकिन अफसोस इस बात का है कि एक जांबाज पायलट राहत बचाव कार्य के दौरान ही अपनी जान गंवा बैठे. कैप्टन रंजीव लाल मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले थे जोकि पिछले कई सालों से दिल्ली में रहते थे, कैप्टन रंजीव लाल के फादर भी आर्मी अफसर थे.

Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी......

हेलीकॉप्टर क्रैश में जान गवाने वाले आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन रंजीत लाल ने उत्तराखंड के कई इलाकों में बादल फटने के बाद आयी आपदा प्रभावित क्षेत्रों के तमाम ऑपरेसन को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। जिसका परिणाम सैकड़ों लोगों की जान बचाने के रूप में सामने आया। मृतक परिजनों के साथ ही उनके साथ हेलीकॉप्टर फ्लाई करने वाले पायलट भी जहां, कैप्टन रंजीत लाल को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं तो वही उनसे जुड़ी यादों की सराहना भी कर रहे हैं। साथ ही आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन रंजीत लाल के निधन को उनके साथ के मौजूदा पायलट भी बहुत बड़ा नुकसान बता रहे हैं। आखिर कौन थे कैप्टन रंजीत लाल और क्यू हुए थे, हिल रत्न से सम्मानित देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट......


Body:कैप्टन रंजीत हेरिटेज में पिछले 7 सालों से कर रहे थे काम....

हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि कैप्टन रंजीत लाल उनके कंपनी में पिछले सात-आठ सालों से काम कर रहे थे। और इस सेक्टर के और उत्तराखंड के सबसे एक्सपीरियंस पायलट थे और करीब 6 से 7 हजार घंटे से ज्यादा समय हेलीकॉप्टर उड़ाने का एक्सपीरियंस था। 2012 मेजर उत्तरकाशी में आपदा थी उस दौरान भी कैप्टन रंजीत लाल ने बहुत रेस्क्यू किया, इसके साथ ही 2013 में देवीय आपदा के दौरान भी काफी रेस्क्यू किया था। और उत्तराखंड में जितने भी कंपनियां रन करती हैं उनमें सबसे ज्यादा एक्सपीरियंस्ड पायलट थे।


आपदा के दौरान 3-4 महीने तक किया था रेस्क्यू.....

साथ ही हेरिटेज के सीईओ रोहित लाल ने बताया कि कैप्टन रंजीत लाल हेरिटेज हेली कंपनी के बैकबोन थे। और उत्तराखंड में उन्होंने बहुत काम किया है हालांकि 2013 में आयी आपदा के दौरान करीब 3-4 महीने तक कैप्टन रंजीत लाल ने रेस्क्यू का काम किया था। और इस लाइन में कभी भी कोई भी घटना घट सकती है लेकिन कोई यह नहीं कह सकता था कि इतने एक्सपीरियंस पायलट से साथ कैसे यह हो गया। लेकिन यह सारी चीजें किसी के हाथ में नहीं होती हैं। साथ ही बताया कि हेलीकॉप्टर का नुकसान सेकेंडरी है जबकि पायलट और इंजीनियर की मौत की कीमत नहीं लगाया जा सकती है। क्योंकि उन दोनों की मौत तो अनमोल है। 


कैप्टन रंजीत लाल को 39 सालों के था एक्सपीरियंस......

कैप्टन रंजीत लाल के साथ काम करने वाले पायलट एस के जाना ने बताया कि कैप्टन रंजीत लाल, इंडियन आर्मी से रिटायर्ड है। और वो दोनों 1983 से एक साथ फ्लाइंग कर रहे हैं, हालांकि फ्लाइंग सर्विस में पिछले 39 सालों से काम कर रहे थे। साथ ही बताया कि कैप्टन रंजीत लाल बहुत एक्सपीरियंस्ड और प्रोफेशनल पायलट थे। साथ बताया कि कैप्टन रंजीत लाल ने साल 2013 में आई आपदा के दौरान और अन्य आपदा के दौरान जिस तरीके से रेस्कयू का काम किया है वह बेहद ही काबिले तारीफ है। और कैप्टन रंजीत लाल सब के साथ मिलकर काम करने वाले व्यक्ति थे, और ऐसे व्यक्ति का आजकल मिलना बहुत ही मुश्किल है। 


कैप्टन रंजीत साल 2013 में हिल रत्न से हुए थे सम्मानित.....

साथ ही पायलट एस के जाना बताया कि उनके घर के लिए तो लॉस है ही इसके साथ ही सभी पायलटों के लिए भी बहुत बड़ा लॉस है। साथ ही बताया कि उत्तराखंड में उन्होंने कई रेस्कयू ऑपरेशन किये। इसमें साथ साल 2013 में आई आपदा में अच्छा काम करने के लिए हिल रत्न का अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था। साथ ही बताया कि कुछ दिन पहले वो और कैप्टन रंजीत लाल साथ ही फ्लाइंग कर रहे थे। इसके बाद फिर वो उत्तरकाशी में आई आपदा में रेस्क्यू में लग गए। 


ज्यादा से ज्यादा लोगो की जान बचाना हमारी है प्राथमिकता....

साथ ही पायलट एस के जाना बताया कि जब भी किसी आधा की खबर मिलती है तो बिना टाइम खराब की है तुरंत टेक ऑफ कर जाते हैं और हमारी प्राथमिकता रहती है कि ज्यादा से ज्यादा जाने बचाई जाए। कई बार खराब मौसम में भी फ्राई करना पड़ता है लेकिन जो उत्तरकाशी में आपदा हुआ है ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जाए और लाइफ सेविंग हमारा पैशन है और वही हम सभी पायलट करते है। 

बाइट - पायलट एस के जाना, कैप्टन रंजीत के साथी


Conclusion:यह उनका लोगों की जान बचाने का एक जज्बा ही था, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने उनको न सिर्फ हिलमैन की उपाधि से सम्मानित किया, बल्कि एविएशन से जुड़े लोगों ने भी उनकी खूब जमकर सराहना की थी। लेकिन अफसोस इस बात का एक जांबाज पायलट आज राहत बचाव कार्य के ऑपरेशन के दौरान ही अपनी जान गवा गए। दरअसल कैप्टन रंजीत लाल मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले थे जोकि पिछले कई सालों से दिल्ली में रहते थे, कैप्टन रंजीत लाल के फादर भी आर्मी में ही थे।


Last Updated : Aug 22, 2019, 3:42 PM IST
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