देहरादून: हेलीकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन रंजीव लाल ने उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों के तमाम ऑपरेशन को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया, जिसका परिणाम सैकड़ों लोगों की जान बचाने के रूप में सामने आया. उत्तराकाशी आपदा में जान गंवा चुके लोगों के परिजन एक ओर जहां कैप्टन रंजीव लाल को नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. तो वहीं, उनसे जुड़ी यादों की सराहना भी कर रहे हैं. साथ ही कैप्टन के साथी पायलट भी इसे बड़ा नुकसान बता रहे हैं. आखिर कौन थे कैप्टन रंजीव लाल और उन्हें क्यों 'हिल रत्न' से सम्मानित किया गया था. देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...
हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कैप्टन रंजीव लाल उनकी कंपनी में पिछले 7-8 साल से काम कर रहे थे. इस सेक्टर में उत्तराखंड के सबसे एक्सपीरियंस पायलट थे. करीब 6 से 7 हजार घंटे से ज्यादा समय हेलीकॉप्टर उड़ाने का एक्सपीरियंस था. साल 2012 उत्तरकाशी में आपदा के दौरान भी कैप्टन रंजीव लाल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इसके साथ ही साल 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू किया था. रोहित लाल ने बताया कि उत्तराखंड में जितनी भी कंपनियां हैं, उनमें सबसे ज्यादा एक्सपीरियंस्ड पायलट थे कैप्टन रंजीव लाल.
आपदा के दौरान 3-4 महीने तक किया रेस्क्यू
रोहित लाल ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल हेरिटेज हेली कंपनी के बैक बोन थे. उत्तराखंड में उन्होंने बहुत काम किया है. उन्होंने कहा कि इस प्रोफेशन में कभी भी घटना घट सकती है, लेकिन कोई यह नहीं कह सकता है कि इतने एक्सपीरियंस पायलट के साथ ये दुर्घटना कैसे हो गई. यह किसी के हाथ में नहीं होता. सीईओ रोहित लाल ने कहा कि हेलीकॉप्टर का नुकसान सेकेंडरी है, जबकि पायलट और इंजीनियर की मौत की कीमत नहीं लगाया जा सकती.
कैप्टन को 39 साल का एक्सपीरियंस था
कैप्टन रंजीव लाल के साथ काम करने वाले साथी पायलट एसके जाना ने बताया कि कैप्टन रंजीव लाल, इंडियन आर्मी से रिटायर्ड थे और दोनों साल 1983 से एक साथ फ्लाइंग कर रहे हैं. हालांकि, फ्लाइंग सर्विस में पिछले 39 सालों से काम कर रहे थे. एसके जाना ने भी बताया कि कैप्टन रंजीव लाल एक्सपीरियंस्ड और प्रोफेशनल पायलट थे. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा के दौरान जिस तरीके से रेस्क्यू का काम किया है, वह बेहद ही काबिले तारीफ है. कैप्टन रंजीव लाल सब के साथ मिलकर काम करने वाले व्यक्ति थे, ऐसे व्यक्ति का आजकल मिलना बहुत ही मुश्किल है.
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साल 2013 में 'हिल रत्न' से हुए थे सम्मानित
पायलट एस के जाना बताया कि उनके घर के लिए तो लॉस है ही, साथ ही सभी पायलटों के लिए भी बहुत बड़ा नुकसान है. कैप्टन रंजीव लाल ने साल 2013 में आई आपदा में अच्छा काम करने के लिए उन्होंने 'हिल रत्न' का अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था.
लोगों की जान बचाना ही हमारी प्राथमिकता
एसके जाना ने बताया कि जब भी पायलट को किसी घटना की सूचना मिलती है, तो बिना टाइम खराब किये तुरंत ही टेक ऑफ कर कर जाते हैं. हमारी प्राथमिकता रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके. कई बार खराब मौसम में भी फ्लाई करना पड़ता है. एसके जाना बताया कि लाइफ सेविंग उनका पैशन है.
कैप्टन रंजीव लाल का लोगों की जान बचाने का एक जज्बा ही था, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने उनको न सिर्फ हिलमैन की उपाधि से सम्मानित किया, बल्कि एविएशन से जुड़े लोगों ने भी उनकी जमकर सराहना की. लेकिन अफसोस इस बात का है कि एक जांबाज पायलट राहत बचाव कार्य के दौरान ही अपनी जान गंवा बैठे. कैप्टन रंजीव लाल मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले थे जोकि पिछले कई सालों से दिल्ली में रहते थे, कैप्टन रंजीव लाल के फादर भी आर्मी अफसर थे.